अभी बचपन है इनका।
नहीं बनाओ मजदूर इनको।।
उम्र पढ़ने की है इनकी।
अभी पढ़ने दो इनको।।
अभी बचपन है-----------------।।
हाथ कोमल है इनके।
मासूम चेहरे है इनके।।
शरीर नाजुक है इनका।
खेलने दो अभी इनको।।
अभी बचपन है -----------------।।
मत डालो इनपे ,भार परिवार का।
सपना चुनने दो इनको,इनके संसार का।।
मजदूरी के लायक, ये अभी नहीं।
इनकी मंजिल, चुनने दो इनको।।
अभी बचपन है -----------------------।।
बाल मजदूरी, एक महापाप है।
बालविवाह भी , एक अभिशाप है।।
इन फूलों को , अभी खिलने दीजिए।
गृहस्थी में , नहीं बांधों इनको।।
अभी बचपन है --------------------।।
साहित्यकार एवं शिक्षक-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
मोबाईल नम्बर- 9571070847