पिछले अंक में आपने पढ़ा साइको और फौजी गंगाधर की जंगल में लड़ाई होती है जिसमें साइको बुरी से चोट खाकर भाग जाता है। तभी थोड़ी देर में कुछ गांव वाले वहां पहुंचते हैं और गंगाधर से पूछते हैं - कहां है वो पागल आदमी, जो गांव की औरतों को मार रहा है, आज हम उसे नहीं छोड़ेंगे।
गंगाधर - तुमने आने में थोड़ी देर कर दी, वो तो भाग गया। लेकिन कोई बात नही ंहम उसे जरूर ढूंढ लेंगे। गांव के आसपास जितने अस्पताल या दवाखाने हैं वहां सभी जगह अपने लोग लगा दो। उसे बहुत चोटें लगी हैं, वह जरूर भेष बदलकर गांव के आसपास के कि अस्पताल या दवाखाने से दर्दनिवारक दवायें और जले और कटे के घावों की दवा जरूर लेगा। तब हम उसे आसानी से पकड़ सकते हैं। तभी उसमें से एक गांववाला कहता है - साहब, काया मेमसाहब को भी हमने पास ही के अस्पताल में भर्ती करवा दिया र्ह अब वह ठीक हैं। यह सुनते ही वह सभी काया को देखने की अस्पताल की ओर चलने लगते हैं।
अस्पताल पहुंचते ही जहां काया एक बैड पर लेटी हुई थी, जहां इंस्पेक्टर शक्तिनाथ अपने कुछ सिपाहियों के साथ काया से इस घटना के बारे में बयान ले रहा था ताकि जल्दी से जल्दी उसे पकड़ा जा सके। फौजी गंगाधर, उसकी बेटी सोना और अन्य गांव वाले वहां पहुंचकर काया को सांत्वना देते हैं।
इंस्पेटक्र शक्तिनाथ - गंगाधर जी इस घटना के बारे में आपको अगर और कुछ भी जानकारी हो तो हमसे जरूर सांझा करें ताकि हम उसे पकड़कर कानून के हवाले कर सकें। यह बात सुनकर गंगाधर शक्तिनाथ को जंगल में हुई घटना और उसके साथ हुई मुठभ्ेड़ के बारे में बताता है और उसके चेहरे पर लगी चोटों और पिछवाड़े पर उसी के गर्म ठप्पे के कारण जलने के घाव के बारे में बताता है। यह सुनकर शक्तिनाथ भी अपने सिपाहियों से यही कहता है कि सभी अस्पतालों और दवाखानों पर अपनी नजर बनाये रखो, इसके साथ ही कोई भी संदिग्ध चोटिल व्यक्ति के दिखने पर उससे जांच पड़ताल करो। यह कहकर शक्तिनाथ और सिपाही अस्पताल से बाहर निकल जाते हैं। उनके जाते ही गंगाधर गांव वालों से कहता है, हम लोगों को पुलिस से पहले उस पागल को पकड़कर उसे मौत के घाट उतारना होगा और यही उसकी सजा है। कानून की गिरफ्त में आने के बाद भी वो बच जायेगा क्योंकि हमारी मौजूदा कानून व्यवस्था ज्यादा से ज्यादा उसे उम्रकैद की सजा ही देगी जो हमारे इस गांव की मां-बहनों की जिन्दगी के आगे कुछ भी नहीं। यह सुनकर गांव वाले भी गंगाधर की हां में हां मिलाते हैं और पूरे जोश से अस्पताल से बाहर निकल जाते हैं।
वहीं दूसरी ओर बाहर गांव का पूरा माहौल ही तनावपूर्ण हो चुका था। सभी गांववालों के मन में उस साइको के प्रति आक्रोश था और वो किसी भी तरह से उसे पकड़कर मार डालना चाहते थे और इस बात की खबर शक्तिनाथ को भी थी कि अगर गांववालों ने साइको को उनसे पहले पकड़ लिया तो वह उसे निश्चित रूप से मार डालेंगे जो उसके लिए अच्छा नही होगा और यदि वह गांव वालों से पहले उसे पकड़ कर कानून के हवाले कर देता है तो उसका नाम और रूतबा दोनों ही बढ़ना निश्चित था। यहां इन्स्पेक्टर शक्तिनाथ का दिमाग यही कह रहा था कि उस साइको को मारने की अपेक्षा उसका जिन्दा रहना उसके लिए अधिक लाभदायक था। तभी इन्स्पेक्टर को हवलदार हीरा ठाकुर थाने के बाहर टहलते हुए दिखता है जिसे देखकर इन्स्पेक्टर चिल्लाकर उसे बुलाता है और पूछता है - तुम यहां क्या कर रहे हो, उस पागल आदमी को ढूंढो, इससे पहले गांव वाले उसे मार डालें। हमें उसे पहले पकड़ना होगा और ये तुम्हारे हाथ में ये क्या है, खिलौने लेकर कहां घूम रहे हो। इस पर हीरा ठाकुर इन्स्पेक्टर से कहता है - साहब, गांव में एक औरत शहर से आई है जो यह खिलौने बेचती है। उसी से लिए हैं।
इन्स्पेक्टर - अब ये खेल तमाशे छोड़ो और उस पागल को ढूंढो।
हीरा ठाकुर - जी साहब, तभी हीरा ठाकुर सिर खुजलाते हुए कहता है। साहब आज एक बड़ी अजीब बात हुई।
इन्स्पेक्टर - मुझे फालतू बाते पसंद नहीं, काम की बात हो तो बोलना।
हीरा ठाकुर जो काफी बातूनी था, उससे रूका नहीं जाता और वो कहता है - साहब, आज जब मैं उस खिलौने वाली से खिलौने खरीद रहा था तो उसने अपना चेहरा ढंका हुआ था। जब मैंने ध्यान से देखा तो उसके चेहरे पर चोटों के निशान थे। जब उससे पूछा तो वो बोली कि फिसल कर गिर गई थी लेकिन फिसलकर गिरने से ऐसी चोटें कहां आती हैं भला।