सुन्दर की मां की बात सुन सुनकर परेशान उसके पिता कुछ महीने की छुट्टी लेकर घर आते हैं और अकेले में सुन्दर को बुलाकर प्यार से समझाते हैं। देखो बेटा सुन्दर आज मैं तुमसे बहुत जरूरी बात करने वाला हूं। जो तुम्हारी जिन्दगी के बारे में है।
सुन्दर - बोलिये पिताजी मैं सुन रहा हूं।
पिताजी - देखों बेटा, मुझे सुनने में आया है और मैं देख भी रहा हूं। तुम्हारा चाल-चलन औरतों के जैसा है जो हमारे समाज के लोगों को बिल्कुल स्वीकार नहीं है। बेटा, मेरा शुरू से ही सपना था कि मैं तुम्हें भी अपनी तरह एक फौजी बनाउं। लेकिन एक सिपाही नहीं बल्कि अफसर। जिसे मैं सैल्यूट कर सकूं। बेटा जब बाप से आगे निकल जाता है तो हमेशा बाप को खुशी ही होती है कि उसकी परवरिश में कोई कमी नहीं रही। मैं जानता हूं कि मैं तुम्हें ज्यादा समय नहीं दे पाया और तुम्हारी दूसरी मां ने भी तुम्हें सताया है लेकिन तुम खुद को मेरी जगह रखकर देखों मैं कर भी क्या सकता था। अब भी समय हमारी साथ है। तुम ठीक हो जाओ, फिर हम बात करते हैं।
सुन्दर - ठीक हो जाओ से आपका क्या मतलब है?
पिताजी - यही कि तुम्हारे दिमाग में कोई दिक्कत है, जिसका हमें इलाज करवाना होगा। नही ंतो तुम ऐसे ही जिन्दगी भर औरत बनकर घूमते रहोगे और लोग तुम्हें देखकर हंसते रहेंगे और मुझ पर भी कि एक फौजी की ऐसी औलाद, कितने शर्म की बात है मेरे लिए। इसलिए बेटा अपने बाप के लिए ही तुम अपने दिमाग का इलाज करवा लो।
सुन्दर - मैं कोई बीमार नहीं हूं। मैं बिल्कुल ठीक हूं और रही इलाज की बात तो आप चाहे किसी भी डॉक्टर या साइंटिस्ट को भी ले आयें वह कुछ भी नहीं कर सकते क्योंकि यह कोई बीमारी नहीं बल्कि एक स्थिति है। मैं ऐसा ही हूं और ऐसा ही रहने वाला हूं।
पिताजी गुस्से पर काबू करते हुए - देखो बेटा, तुम्हारी मां ने एक बहुत अच्छा डॉक्टर भी देखा है जिन्होंने एक ऐसा सेन्टर खोला हुआ है, जहां तुम्हारी तरह के लोगों का इलाज किया जाता है और वो जल्दी ही ठीक भी हो जाते हैं।
सुन्दर - मैं कहीं नही जाने वाला।
पिताजी गुस्से में - जायेगा कैसे नहीं, मैं भी देखता हूं। तू वाकई में पागल हो गया, तेरी मां सही कहती है। अब तो जब तक तू ठीक होकर असली मर्द नहीं बनता। तेरा इलाज तब तक वहीं होगा। तभी बाहर से कुछ लोग आते हैं और सुन्दर को जबरदस्ती पकड़ कर बाहर ले जाने लगते हैं। सुन्दर उनसे खुद को छुड़वाने का प्रयास करता है लेकिन छुड़वा नहीं पाता। तभी वह उनमें से एक को धक्का देकर गिरा देता है और भागने लगता है। उनमें से दो आदमी उसे पकड़ कर गिरा देते हैं और लातों घूसों से मारने लगते हैं। फिर उसे पकड़कर एक वैन में डाल देते हैं। यह सब नजारा गली में खड़े सभी लोग देख रहे थे कि उसे इलाज के लिए ले जाया जा रहा है। लोगों मे खुसर पुसर चल रही थी कि चलो सही ही हुआ, ऐसे लोगों के कारण समाज में कितना बुरा असर पड़ता है। आखिर हमारे घर में भी बहू बेटियां है और बेटे भी। यह बीमारी ही है और इसका इलाज करवाना बहुत जरूरी है, ऐसी बातें लोग कर रहे थे। वहीं पीछे खड़ी सुन्दर की सौतेली मां जिसने इन सेन्टर वालों को बुलाया था, मंद-मंद कुटिल मुस्कान हंस रही थी क्योंकि यह बात तो वही जानती थी जो भी उस सेन्टर में जाता है, वो वापिस कभी नहीं आता। एक तरह से उसने अपने रास्ते का कांटा हटा दिया था। लेकिन सुन्दर के साथ क्या होने वाला है जानने के अगले अंक को पढ़ें। लाइक सबस्क्राइब शेयर कमेट रेटिंग सबकुछ बढ़कर करें, बिल्कुल न डरें.... 😂😂😂