गांव में एक छोटी सी अफवाह भी बड़ी तेजी से फैलती है। यहां तो दिन-दहाड़े गांव की एक औरत की निर्मम हत्या हुई थी। जिन लोगों ने भी वह लाश देखी थी। सभी अपनी-अपनी कहानियां गांव वालों को सुना रहे थे। कुछ कह रहे थे कि भई कैसा जमाना आ गया है। जो बातें पहले शहरों में होती थी, अब गांवों में भी होने लगी हैं। भला, उस औरत का क्या कूसूर था, जो उसे इतनी बेरहमी से मार दिया। तभी दूसरा बोला - मुझे तो बताने में भी शर्म आती है कि उस कातिल ने उस औरत के सभी कपड़े भी फाड़ दिये और न जाने क्या उसके सीने पर गर्म लोहे से दाग दिया। पूरे गांव में डर का साया बना हुआ था और चारो ओर खुसर-पुसर वाला माहौल था। उधर शक्तिनाथ ने उस हत्यारे के कुछ स्केच बनाकर अपने सिपाहियों को दे दिये थे कि गांव में या गांव से बाहर कहीं भी ऐसा दिखने वाला व्यक्ति दिखे तो उसे तुरन्त गिरफ्तार कर लिया जाये। हवलवार हीरा ठाकुर जो अपने दोस्त भानूप्रताप की हत्या से काफी दुखी था। वह भी चाहता था कि जल्दी से जल्दी हत्यारे को पकड़ लिया जाये। उसका चित्र लेकर हीरा ठाकुर कुछ सिपाहियों के साथ गांव में घूम ही रहा था तभी उसे खिलौने बेचने वाली वही खूबसूरत औरत, सुन्दरी दिखाई देती है। जो आज और भी अधिक सुन्दर लग रही थी। सुन्दरी को देखकर हीरा ठाकुर के टेस्टोस्टेरोन हार्मोन्स रिलीज होने लगते हैं जिसके कारण उसके भीतर उत्साह और उमंग की तरंगें हिलोरे मारने लगती हैं, उसकी आंखों के चारो ओर सुनहरी तितलियां उड़ने लगती हैं। इसके बाद न जाने कैसे हीरा ठाकुर में इतनी फुर्ती आ जाती है कि वह बैक-फलिप कलाबाजियां मारते हुए सुन्दरी के सामने आ खड़ा होता है। जिसे देखकर सुन्दरी हंसते हुए कहती है। क्या हुआ साहब, क्या आज किसी बंदरियां का दूध पीकर आये हो, जो इतनी कलाबाजियां मार रहे हो?
इस पर हीरा ठाकुर बोलता है - तुम्हें देखकर न जाने कैसे कलाबाजियां निकल जाती हैं।
अच्छा इसी बात पर कुछ और खिलौने दे दो।
सुन्दरी - इतने खिलौनों का क्या करते हो। अच्छा.....छा... घर में बच्चों के लिए ले जाते हो।
हीरा ठाकुर - अभी तो मेरी शादी ही नहीं हुई। हां, लेकिन मुझे बच्चे बहुत पसंद हैं। जो तुमसे कल खिलौना लिया था। वो गांव के बाहर रहने वाली एक बच्ची को दिया था। बहुत ही प्यारी बच्ची थी। आज भी ये उसे ही दूंगा।
सुन्दरी - खिलौनों की टोकरी की ओर इशारा करते हुए - ठीक है इनमें से जो भी पसंद है, ले लो।
हीरा ठाकुर - कुछ खिलौने लेकर गांव की ओर चलता बनता है। जिसे पीछे से जाता देख सुन्दरी कुछ सोचने लगती है।
गांव में पुलिस वाले किसी भी अनजान दिखने वाले व्यक्तियों से कड़ी पूछताछ कर रहे थे। तभी एक ओर गांववाला भागता हुआ पुलिस स्टेशन पहुंचता है और सिपाही से अपनी बहन के गायब होने की सूचना देता है। यह खबर सुनते ही इन्स्पेक्टर शक्तिनाथ तुरन्त पूरे गांव में कुछ सिपाहियों के साथ उस स्त्री को ढूंढने निकल जाते है।
वहीं दूसरी ओर एक ग्रामीण स्त्री जो सामान्य कद, रंग गोरा और पतली थी। जो एक पेड़ से बंधी हुई थी। चारो ओर पेड़ ही पेड़ थे लेकिन वो जंगल न था। यह एक बाग था, जहां आम और अमरूद के बहुत सारे पेड़ थे। स्त्री अपने सामने एक व्यक्ति को देखती है। जो सामान्य कद का पतला, लम्बा और गोरे रंग का युवक था। उसने काले चमड़े के पॉलिश किये हुए जूतों के साथ काले रंग की टाईट पैंन्ट पहनी हुई थी। जिसके ऊपर काले रंग की टाई के साथ सफेद कमीज के ऊपर तोतिया रंग का एकदम चमकीला कोट पहना हुआ। आंखों में काला गोल फ्रेम वाला चश्मा लगाये वह किसी हीरो से कम न लग रहा था। लेकिन यह तो समय ही बताने वाला था कि वो हीरो है या विलेन, या फिर साईको......