पिछले अंक में आपने पढ़ा कि कोई रहस्यमयी व्यक्ति सोना का पीछा कर रहा था। सोना उसे चकमा देकर जंगल में फंसा देती है, व्यक्ति सोना को ढूंढ रहा था तभी उस पर एक जंगली सुअर हमला कर देता है। वह बंदूक के तीन फायर सुअर की सिर पर मार उसे धराशायी कर देता है।
तभी अन्य दिशा से उसे सूखे पत्तों के चरमराने की आवाज आती है तो वह समझ जाता है कि लड़की उसी तरफ छिपी हुई है और धीरे से उसे चकमा देकर भागने की कोशिश कर रही है। तभी वह चिल्लाकर बोलता है, तुम जल्दी से मेरे सामने आ जाओ, मुझे पता है तुम उस तरफ हो। लेकिन दूसरी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं होती तब वह व्यक्ति बड़ी ही सावधानी से उस ओर पहुंचता है तो उसे कुछ नहीं मिलता। तभी अचानक पीछे से एक पत्थर उसके सिर पर बजता है। अचानक लगी चोट से उसका सिर चकरा जाता है, जिसके कारण वह व्यक्ति गुस्से से पागल हो उठता है और चिल्लाने लगता है कि मैं तुम्हारा कोई नुकसान करने नहीं आया हूं, जल्दी से मेरे सामने आ जाओ। नही तो अच्छा नहीं होगा। उसका इतना बोलना था कि तभी अचानक दूसरी दिशा एक ओर पत्थर बड़ी तेजी से उसकी खोपड़ी की दूसरी तरफ आ बजता है। व्यक्ति को दिन में तारे नजर आ जाते हैं और दर्द से बिलबिलाता हुए वह हवा में एक-दो बंदूक से फायर करता है। जिससे उक्त लड़की डर जाये और उसके सामने आ जाये।
उसका गोली चलाना ही उसकी सबसे बड़ी गलती थी। तभी उसे पीछे से हंसने की आवाज आती है। वह बडी तेजी से आवाज वाली दिशा की ओर दौड़ने लगता है। तभी सामने से एक बांस का पेड़ किसी गुलेल की तरह आकर उसकी गर्दन पर आ लगता है। ऐसे तीव्र और अप्रत्याशित हमले के कारण गर्दन टूटने के कारण उसकी मृत्यु हो जाती है। उस बांस के पेड़ को तेजी से मोड़कर गुलेल की तरह हमला करना सोना का ही प्लान था। उसे बेहोश देखकर सोना तुरन्त उसके पास आती है और स्वयं को एक रहस्यमयी व्यक्ति के हमले से बच जाने का शुकर मनाती है और स्वयं के दिमाग पर गर्व करती है कि कैसे उसने एक रहस्यमयी व्यक्ति से अपनी जान बचाई।
इतनी भागदौड़ के बाद सोना को भूख लगने लगी थी, वह फिर वापिस गांव की ओर अपने घर की ओर चलने लगती है। तभी उसे उस व्यक्ति द्वारा मारा गया जंगली सुअर दिखता है तो वह उसे लेकर गांव की ओर चलने लगती है। चलते-चलते वह सोचने लगती है कि आखिर वह व्यक्ति उसका पीछा क्यों कर रहा था और उसे क्यों मारना चाहता था। क्या वो जिन्दा होगा? क्या उसे इस तरह जंगल में छोड़कर जाना ठीक होगा? वहीं दूसरी तरफ वह सोचती है, उसको बचाने का अर्थ, खुद की मौत होगा, उसे उसकी किस्मत पर छोड़ देना ही ठीक होगा। वैसे भी मैंने कुछ भी गलत नहीं किया। वो सब मात्र मैंने आत्मरक्षा के लिए किया था। अपने आपको यह समझाते हुए कि उसने कुछ भी गलत नहीं किया सोना गांव पहुंच जाती है।
घर पहुंचते ही वह सबसे पहले जंगली सुअर को घर के बाहर बने बागवानी की खुली किचन में रख देती है और झोपड़ी में जाकर अपनी मां से कहती है - मां कुछ खाने को दो, बहुत तेज भूख लगी है।
तभी उसकी मां कुछ खाना थाली में उसके सामने रख देती है और उसके चेहरे की ओर देखने लगती है। आज उसके चेहरे में एक अजीब सी चमक थी, एक उत्साह और उमंग थी। जो अन्य दिन उसके चेहरे पर नहीं दिखती थी।
तभी सोना अपनी मां से कहती है - मेरा चेहरा क्या देख रही हो, भूख लगी है, खाना तो खाने दो। अब आप जाओ, यहां से। मैं बहुत थक गई हूं। मुझे आराम करना है।
सोना की मां की छठी इन्द्री कह रही थी कि कुछ तो हुआ है, बस वो न हुआ हो, जिसका मुझे हमेशा से डर था। इसकी चेहरे की ऐसी चमक मुझे हमेशा डरा देती है। हे भगवान, रक्षा करना इस बच्ची की। कोई अनहोनी न हो इसके साथ।