भानूप्रताप के शरीर को पोस्टमॉर्टम हेतु भेजने के बाद इंस्पेक्टर शक्तिनाथ अपने कुछ सिपाहियों के साथ फौजी गंगाधर के घर की ओर चल पड़ते हैं। वहां पहुंचकर शक्तिनाथ गंगाधर को पूछताछ के लिए थाने लेकर आता है और उससे पूछता है।
शक्तिनाथ - आज दोपहर 11 से 2 बजे के बीच तुम कहां थे?
गंगाधर - मैं पास के गांव में स्थित बैंक में सिक्योरिटी इंचार्ज का कार्य करता हूं। मैं वहां सुबह 10 से शाम 5 बजे तक वहीं था।
यह सुनकर शक्तिनाथ गंगाधर को जाने को कहता है और सिपाहियों को कहता है - इस पर नजर बनाये रखो और यह भी पता करो कि क्या यह सच कह रहा है कि यह आज का सारा दिन खासकर 11 से 2 के बीच बैंक ही था। अगर यह बात सच निकलती है तो भानूप्रताप को कातिल कोई और हो सकता है। लेकिन वो कौन हो सकता है, बस यही समझ नहीं आ रहा। अभी तक सारा शक फौजी गंगाधर पर जा रहा था। अब हमें जल्दी से जल्दी पता लगाना होगा कि फॉरेस्ट गार्ड और भानूप्रताप का असली कातिल कौन है। हो न हो, इन दोनों हत्याओं के पीछे एक ही हत्यारे का काम है।
तभी एक गांव वाला भागता हुआ थाने में प्रवेश करता है।
गांववाला - साहब मेरी बीवी आज दिन से लापता है। पानी भरने कुंए तक गयी थी। लेकिन अंधेरा होने को आया। अभी तक घर नहीं पहुंची। सारा गांव छान मारा लेकिन उसका कुछ पता नहीं लग पाया।
शक्तिनाथ - ठीक है, तुम्हारी रिपोर्ट लिख देते हैं। कैसी दिखती थी, तुम्हारी पत्नी।
गांववाला - साहब, कद यही कोई साढे पांच फीट का होगा। रंग गोरा था और पतली थी। हरे रंग की साड़ी पहने थी आज।
शक्तिनाथ - ठीक है, जैसे ही पता लगता है, तुम्हें बता देंगे। अपना पूरा पता और नाम रिपोर्ट में लिखवा दो।
गंववाला - बहुत मेहरबानी साहब। यह कहकर गांववाला वापिस चला जाता है।
शक्तिनाथ - अब यह क्या नयी मुसीबत आ गई। अभी दो बड़े मर्डर केस सुलझे नहीं और अब यहां खोये हुए लोगों को ढूंढने पड़ेगा। भाग गई होगी साली, किसी के साथ।
यह कहकर शक्तिनाथ हंसने लगता है। लेकिन यह मजाक शायद अन्य किसी सिपाही को पसंद नहीं आया और सभी बिना किसी भाव के बुत बने खड़े रहे।
अगले दिन सुबह-सुबह वही गांववाला भागते हुए थाने पहुंचता है औरएक सिपाही से कहता है। साहब हमारे घर से थोड़े ही दूर एक खेत के किनारे झाड़ियों में एक औरत की लाश मिली है। जल्दी चलिये। यह सुनते ही शक्तिनाथ कुछ सिपाहियों को लेकर जल्दी से मोटरसाईकिल में वारदात वाली जगह पर पहुंचते हैं। जहां पहले से गांव के कुछ लोग गोल घेरा बनाकर उस औरत को देख रहे थे। शक्तिनाथ सभी को वहां से हटाकर उस औरत को देखता है। तो उस औरत के शरीर के ऊपरी हिस्से के कपड़े फाड़ दिये गये थे। उसके चेहरे पर काफी चोटों के निशान थे, ऐसा जान पड़ रहा था जैसे किसी ने उसे बुरी तरह से पीटा हो। तभी पीछे से एक सिपाही उस औरत की छाती देखकर कहता है, ये क्या बला है?
औरत की छाती पर PSYCHO शब्द छपा था। जो किसी लोहे से बनी हुई ठप्पे जैसी मोहर को गर्म करके उसकी छाती पर दागा गया था। जिससे जलने के कारण यह निशान बन गया था। यह देखकर शक्तिनाथ अपना सिर पीट लेता है कि अब ये क्या मुसीबत आ गई है। क्योंकि शक्तिनाथ जानता था कि यह किसका काम है।
लाश को ढंककर उसे पोस्टमार्टम हेतु शहर भेज दिया जाता है। थाने वापिस आकर शक्तिनाथ सोचने लगता है कि अब साइको किलर का क्या किया जाये क्योंकि इससे पहले जिस जगह शक्तिनाथ की पोस्टिंग थी। इस तरह का केस उसे पहले मिल चुका था जिसमें एक व्यक्ति को उसने पकड़ा था लेकिन सुबूतों की कमी होने के कारण वह अदालत से बाइज्जत रिहा हो गया। जिसके बाद उक्त व्यक्ति अपना घर बेचकर न जाने कहां गायब हो गया। यह हत्या का तरीका बिल्कुल उसी की तरह था। अगर यह बात सच है कि ये कत्ल उसी साइको ने किये हैं तो अब यह सिलसिला अब यही नहीं रूकने वाला। अब और भी कत्ल होंगे। जो मेरी और इन गांव वालों की नाक में दम कर देंगे। बस अब जल्दी से जल्दी किसी भी तरह उसे पकड़ना होगा।