वहीं दूसरी ओर जंगल में फॉरेस्ट गार्ड के हत्याकाण्ड की इन्वेस्टीगेशन करने के लिए शहर से एक नया इंस्पेक्टर नियुक्त किया गया। जिसका नाम शक्तिनाथ था। लम्बा कद, चेहरे पर हमेशा गुस्सा, बड़ी-बड़ी आंखें और स्वभाव से एकदम कड़क पुलिसिया अंदाज। शक्तिनाथ अपने पुराने रिकार्डस में एक बात के लिए कुख्यात था कि वह अपराधियों के साथ बहुत ही ज्यादा सख्ती से पेश आता था, उसका मानना था कि ये अपराधी कभी नहीं सुधर सकते। ये सब बस डण्डे की मार या फिर बंदूक की गोली के ही काबिल हैं। इसलिए उसके दोस्त कम और दुश्मन अधिक थे। जिससे कुछ लोगों को यह बेरहम जान पड़ता था और अनेकों लोग इसके इस व्यवहार से खुश भी थे क्योंकि जहां शक्तिनाथ की पोस्टिंग होती थी वहां के छुटभैये गुण्डे, बदमाश या तो अपना काम छोड़ देते थे या शहर छोड़कर भाग जाते थे। नहीं तो शक्तिनाथ के हाथों किसी न किसी बहाने से उसका टार्चर झेलते थे। जो किसी डरावने सपने से कम न था।
वहीं दूसरी ओर शक्तिनाथ का एक और रूप भी था। वह आज तक कभी भी किसी भ्रष्टाचार के आरोप में नहीं फंसा था, न ही कभी उसका नाम आया था लेकिन ऐसा नहीं है कि जिसकी छवि ईमानदार और कड़क इस्पेक्टर की हो वो वास्तव में वैसा ही हो। कुछ ऐसा ही शक्तिनाथ के साथ भी था। उसका डण्डा और गोली सदा छोटे अपराधियों पर बड़ी बेरहमी से चलता था लेकिन बड़े मगरमच्छों को शक्तिनाथ भूलकर भी न छेड़ता था। अक्सर ऊंचे स्तर के लोग उसे अपनी पर्सनल पार्टियो में बुलाया करते थे। जहां उसे सरकार द्वारा मिलने वाले वेतन से इतना अधिक मिलता था जितना कोई नौकरीपेशे व्यक्ति की सोच से बाहर है।
पूरे केस की डिटेल जानने के बाद शक्तिनाथ कुछ सिपाहियों के साथ गांव में सीधे प्रधान के घर पहुंच गया और उनसे इस केस पर बात करने लगा। प्रधान के घर के बाहर पुलिस को देखकर गांव वाले इकट्ठा हो गये और उनकी बातों को ध्यान लगाकर सुनने लगे। गांव में भीड़ और शोर देखकर रोहन भी भीड़ में घुसकर उनकी बातें सुनने लगा।
शक्तिनाथ - हां तो प्रधान जी, यह बताओ कि आपके गांव के पास जंगल में एक फारेस्ट गार्ड की लाश मिलती है जिसे डण्डे से उसकी गर्दन पर तेज चोट मारने के निशान हैं, गोलियों के छर्रे बरामद हैं, जानवर का खून और उसे घसीटने के निशान हैं और यह सब कोई गांव का ही कोई हट्टा-कट्टा आदमी कर सकता है क्योंकि जितनी तेजी से गर्दन पर डण्डे से मारने का निशान है, वो कोई ताकतवर आदमी ही कर सकता है, क्योंकि डण्डे की चोट से गर्दन का पूरी तरह से टूट जाना यह कोइ आम बात नहीं है।
प्रधान - इंस्पेक्टर साहब, मुझे यह काम हमारे गांव के किसी भी आदमी का नहीं लगता क्योंकि हमारे इस गांव में सभी परिवार ब्राह्मण समाज के हैं। उनके लिए मरा हुआ जानवर किस काम का। हम तो उसे छूना तो दूर, देखना भी पसंद नहीं करते। हां, लेकिन मैं एक बात जरूर कह सकता हूं। हमारे गांव के बाहर एक अन्य गांव भी है, जहां हिन्दू समाज के ही लोग हैं लेकिन वह मांस-मछली-शराब और इस प्रकार की चीजों का प्रयोग करते हैं। हमारे गांव के बाहर जंगल से सटा एक और परिवार है, जहां से अक्सर मांस जलने की बदबू आती रहती है। मुझे लगता है, वहां रहने वाले परिवार का मुखिया भी हो सकता है क्योकि शारीरिक रूप से वह काफी तगड़ा है और उसकी एक बेटी भी है जो बहुत अजीब किस्म की है।
शक्तिनाथ - कैसी अजीब, खुलकर बताओ?
प्रधान - पता नहीं, लेकिन अन्य लड़कियों से बहुत अलग है। हमेशा अकेली रहती है। दूसरे गांव के लोगों का भी उनके घर आना-जाना लगा रहता है। लेकिन हमने उन्हें अपने गांव में आने पर पाबंदी लगा रखी है। पूरा परिवार ही अजीब है साहब। मेरी मानिये तो सबसे पहले आप वहीं से शुरूआत कीजिए।यह बात सुनकर शक्तिनाथ प्रधान की बात पर हामी भरता है और वहां से चला जाता है।
यह सब बातें सुनकर रोहन के पैरों में फिर से घोड़े लग जाते हैं और वो बड़ी तेजी से सोना के घर की ओर दौड़ने लगता है ताकि समय रहते वह उसे सबकुछ बता सके।