तभी वकील साहब अपनी पत्नी सीमा से कहते हैं - तुमने तो कमाल कर दिया।
सीमा - इसमें मेरा कमाल तो है ही, जिससे तुम्हें मुनाफा।
विक्की - और मुझे भी। यह कहकर तीनों हंसने लगते हैं।
असल में वकील साहब को ऐसे गैंग की पहले से खबर थी जो पैसा लेकर लोगों को इलाज के नाम पर मर्डर कर रहे थे। इसलिए उन्होंने अपने असिस्टेंट विक्की को स्टिंग ऑपरेशन करने के लिए वहां भेजा ताकि वह पुख्ता सुबूतों का इंतजाम कर सके और वहां से किसी एक व्यक्ति को आजाद करवा कर बाहर ला सके। जिसके बाद सभी को आजाद करवाकर गैंग को पकड़वाने से वकील साहब का नाम तो हो ही गया और वहीं दूसरी ओर उनकी पत्नी सीमा जो एक मनोवैज्ञानिक भी हैं। उन सभी आजाद हुए लोगों का दिमागी इलाज करती है जो पहले से विभिन्न कारणों से मानसिक रूप से प्रताड़ित थे। लेकिन यहां डॉ0 सीमा अपने मरीजों को मानसिक रूप से स्वस्थ और शांत होने के लिए जो दवाएं देती है, वह एक खास प्रकार की दवा है जो उसने विभिन्न कैमिकल्स को मिलाकर स्वयं निर्मित की है। जिसके असर से व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ और शक्तिशाली अनुभव करता है और उसके मस्तिष्क के वह केन्द्र उत्तेजित होने लगते हैं जिससे उन्हें हिंसा करने में आनन्द प्राप्त होने लगता है लेकिन यह दवा किस व्यक्ति को किस प्रकार प्रभावित करती है, यह प्रत्येक व्यक्ति पर अलग-अलग था, जिसका ज्ञान स्वयं सीमा को भी न था इसलिए अभी तो यह सब मात्र परीक्षण ही था। जिसे वह विश्लेषित कर रही थी।
सुन्दर वही दवा लेने के बाद इस प्रकार का साइको बन गया जिसके कारण वह उन महिलाओं को निशाना बनाने लगा जो दिखने में सुन्दर और कमजोर होती थी। यह सब करने में उसे मजा आने लगा था। किसी स्थान पर फंसने पर वकील साहब उसे एक मोटी रकम की ऐवज में बचा लेते। इस प्रकार वकील और मनोवैज्ञानिक की जोड़ी खूब फलफूल रही थी।
तभी दृश्य बदलता है, जहां सुन्दर आंखे बंद किये सोना के घर कुर्सी पर बैठा था। बाहर से सोना कुछ सामान लेकर घर में प्रवेश करती है और उसे कोई जानी पहचानी महक का अनुभव होता है जिसके कारण उसका दिमाग तुरन्त चौकन्ना हो उठता है क्योंकि यह महक लोहे के गर्म होने की थी जो वह पहले जंगल में अनुभव कर चुकी थी। वह बड़े ध्यान से लड़की बने सुन्दर को देखती है और उसे पहचान लेती है और वहां से चिल्लाते हुए जंगल की ओर भागने लगती है ताकि वह सुन्दर को फंसा सके। पीछे छिपे गांव के लड़के समझ जाते हैं कि यह वही साइको किलर है जिसे गांव वाले ढूंढ रहे हैं। वह वहां से गांव की ओर भाग जाते हैं ताकि वह गांव वालों को बुला सके।
लेकिन आश्चर्य! यह सब होने के बाद सुन्दर ने कोई भी प्रतिक्रिया नहीं की थी। वह बड़े इत्मिनान के साथ अपनी जेब से दो कार्ड निकालता है जो वकील साहब का था और दूसरा उनकी मनोवैज्ञानिक पत्नी का। उन दोनों कार्ड को निकाल वह वहीं फैंक देता है और जल्दी से वह दूसरी ओर से गांव से बाहर चला जाता है। थोड़ी देर बाद सोना जो जंगल की ओर भागी थी। दूर से यह दृश्य देख रही थी कि सुन्दर दूसरी ओर से चुपचाप चला गया है। वह वापिस घर आती है तो वह कार्ड देखकर उन्हें अपने पास रख लेती है। तभी गांव वाले सोना के घर आते हैं तो गांव वाले पूछते हैं, तुम ठीक तो हो? कहां है वो पागल। आज हम उसे नहीं छोड़ेंगे।
सोना - वह तो भाग गया, लेकिन पता नहीं आज कुछ अजीब सा था।
गांववाले - डर गया होगा, इसलिए भाग गया। कोई बात नहीं वह नहीं बचेगा। तभी सभी गांव वाले उसे ढूंढने निकल जाते हैं।
अगले दिन सभी टीवी चैनलों और अखबारों में एक ही न्यूज चल रही थी कि अनेकों महिलाओं की हत्या करने वाला साइको किलर ने न्यायालय में आत्मसमर्पण कर दिया है। चारों और खबरों का बाजार गर्म था। तरह-तरह की बातें हो रही थी कि आखिर ऐसा कैसे हो गया। एक साइको किलर ने भला आत्मसमर्पण कैसे कर दिया।
यह खबर अपने घर में बैठा वकील राकेश और उसकी पत्नी सीमा देख रही थी।
राकेश - ऐसा कैसे हो गया सीमा, सुन्दर एकदम कैसे बदल गया। क्या तुम्हारी दवा ने असर दिखाना बंद कर दिया?
सीमा - ऐसा नहीं हो सकता क्योंकि यह दवा एकदम कारगर है, औरों पर तो पूरा काम कर रही है, पर पता नहीं कैसे सुन्दर पर दवा ने असर नहीं दिखाया!
राकेश - कोई बात नहीं, अभी ऐसे ही चलने दो। इसे बाद में देखते हैं। यह कहकर राकेश और सीमा गंभीर हो जाते हैं।
उधर सुन्दर न्यायालय में न्यायाधीश महोदय के सामने रोते हुए उसकी जिन्दगी के सारे घटनाक्रम को सुनाकर अपने सभी अपराध स्वीकार कर लेता है। जिसके कारण न्यायाधीश महोदय उसे 14 सालों के कारावास की सजा सुना देते हैं।
गांव में सोना और गांव वालों तक यह खबर पहुंच चुकी थी कि पागल व्यक्ति पकड़ा गया है और उसे सजा हो चुकी है, जिससे वहां डर का साया खत्म हो चुका था। सोना अपने हाथ में वह कार्ड देख रही थी कि वह मनोवैज्ञानिक कौन है और वकील कौन क्योंकि जिस दुख से भरी मानसिक अवस्था से सोना गुजर रही थी, वह किसी से छिपी नहीं थी। सोना अपने पिताजी से कहकर शहर जाती है जहां वह मनोवैज्ञानिक सीमा से मिलती है और उसे अपनी मानसिक अवस्था के बारे में बताती है कि वह किस प्रकार अपने बाहरी स्वरूप से आयु में बड़ी है। जिसके कारण वह दुखी तो है ही, उसके साथ-साथ गांव में हुई सभी घटनाओं को बताती है। जिसके बाद डॉ0 सीमा सोना को सांत्वना देते हुए एक दवा की शीशी देती है और उसे सप्ताह में एक बार एक गोली खाने को कहती है। जिससे वह सभी मनोविकारों से बाहर हो जायेगी और कमजोरी और पीड़ा से मुक्त हो जायेगी। सोना दवा लेकर घर आती है और डॉक्टर द्वारा बताये तरीके से दवा को पहली बार लेती है।
दवा खाने के थोड़ी ही देर बाद सोना के शरीर में कंपन होने लगता है और वह बड़ी ही तेजी के साथ उठ खड़ी होती है। आज उसकी आंखों में अलग ही चमक थी और उसके होठों में अलग ही मुस्कान। वह बड़ी चुस्ती के साथ छलांग लगाती है और सामने रखी कुल्हाड़ी को उठाकर जंगल की ओर तेजी से भागने लगती है। आज उसकी दौड़ पहले से और भी कहीं ज्यादा तेज और चुस्त थी। कुछ ही मिनट में वह जंगल की एक पहाड़ी के ऊपर खड़ी दिखती है। पहाड़ की ऊंचाईयों से पूरा जंगल और गांव छोटा सो दिखाई पड़ रहा था। तभी सोना कुल्हाड़ी लिए अपने हाथ को ऊपर करके जोर से चिल्लाती है।
तभी इस दृश्य के सामने THE END के अक्षर दिखाई पड़ते हैं।
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