सुन्दर के पास ही बैठा दूसरा युवक जो घबराया हुआ चुपचाप एक कोने में दुबक कर बैठा हुआ था। जिसके चेहरे पर कुछ चोटों के निशान थे। उसे देखकर सुन्दर उसके पास जाकर धीरे से पूछता है कि तुम्हें भी तुम्हारे घरवालों ने यहां इलाज के लिए भेजा है? तभी वह युवक सुन्दर से कहता है - कैसा इलाज और कैसा अस्पताल, तुम्हें क्या लगता है। यहां किसी को भी इलाज करने के लिए लाये हैं। जब कोई बीमारी ही नहीं है तो इलाज कैसा?
सुन्दर - तो फिर ये सब लोग कौन हैं और तुम्हें ये चोटें कैसे लगी।
तभी वह युवक उसे अपना नाम विक्की बताता है। जो इसी शहर का रहने वाला था लेकिन कुछ सालों से वह थाईलैण्ड के पटाया शहर में रह रहा था। उसके पिताजी ने वहां अपराध की दुनियां से काफी सम्पत्ति बनाई हुई थी। उनके मरने के बाद उसकी बहन और जीजा ने उसे रास्ते से हटाने का फैसला किया लेकिन वहां पर वह अधिक कुछ नहीं कर सकते थे क्योकि पिताजी के बाद मेरे ही हाथ में सारा साम्राज्य आने वाला था। बहन और जीजा ने मिलकर मुझे किसी बहाने अपने पुराने घर भारत देखने के लिए ले आये और यहां इन गुण्डो को पैसा देकर मुझे यहां कैद करवा दिया। मैं भी तुम्हारी ही तरह इस जाल में फंस चुका हूं। अब हम ज्यादा दिन जिन्दा नहीं रहने वाले क्योंकि जल्दी ही यहां आने वाले व्यक्ति मारे जाते हैं। रात को तुम खुद ही समझ जाओगे कि यहां किस प्रकार का इलाज किया जाता है।
उसकी यह बातें सुनकर सुन्दर डरकर दूसरे कोने में बैठ गया। फिर उनके बीच खामोशी छा गई और सुन्दर वहां से बाहर निकलने की तरकीबें सोचने लगा। शाम होते ही बाहर से तेज म्यूजिक की आवाजें आने लगी। जिसे सुनकर विक्की सुन्दर से कहता है, सुन्दर बस अब तैयार हो जाओं, कुछ देर बाद इलाज शुरू होने वाला है। तभी सुन्दर पूछता है - कैसा इलाज और यह म्यूजिक कैसा? विक्की - थोड़ी देर में तुम्हें सब पता चल जायेगा।
थोड़ी देर बाद एक आदमी उनके कमरे का दरवाजा खोलकर उन्हें बाहर आने को कहता है। दोनों बाहर आते हैं जहां उन्हीं की तरह और युवक और कुछ युवतियां लाईन बनाकर खड़े थे, उनमें वह दोनों भी शामिल हो जाते हैं। जिसके बाद लाईन में सभी उस आदमी के पीछे-पीछे चलने लगते हैं जिसने काली कमीज, काली पैन्ट और उसके ऊपर डॉक्टर वाला सफेद कोट पहना हुआ था। वह उन सबको पहली मंजिल से नीचे लेकर आता है जहां और नीचे सीढ़ियां जा रही थी। सभी उसके पीछ-पीछे चलते रहते हैं। तभी एक लोहे का दरवाजा दिखाई पड़ता है जैसे की अक्सर अस्पताल में होते हैं। दरवाजा खुलते ही बहुत ही ठण्डी हवा का झोंका बाहर आता है जिससे सभी सिहर उठते हैं क्योंकि किसी को भी पैर में कोई जूता या चप्पल पहनने की अनुमति नहीं थी। कमरे के अंदर चारो ओर सफेद ही रंग दिखाई पड़ रहा था। फर्श से लेकर दीवारों तक सफेद मार्बल लगा हुआ था और कमरे के चारों ओर छत के कोनों से जुड़े खुले एयर कंडीशनर लगे हुए थे जहां से बहुत तेज ठण्डी हवा आ रही थी। पूरी छत पर बहुत सारे छोटे-छोटे छेद थे जो शायद एयर कंडीशन का ही हिस्सा थे या फिर कोई डिजाइन।
जैसे ही कमरे में सभी प्रवेश करते हैं। डॉक्टर युवक ओर युवतियों को अलग-अलग लाईन में बैठने को कहता है। जिसमें करीबन 10 युवक और 10 ही युवतियां थी। सभी पांच-पांच की चार पंक्ति बनाकर फर्श में बैठ जाते हैं। इस समय फर्श एकदम ठण्डा था और ऊपर से आती हवा से सभी ठिठुर रहे थे। तभी डॉक्टर कड़ी आवाज में कहता है - देखों आज हम तुम्हारे इलाज का पहला चरण प्रारम्भ करेंगे। जिससे जो तुम असल में हो, मतलब जैसा तुम्हारा शरीर है, वैसे ही तुम बन जाओगे। थोड़ी सी तकलीफ होगी लेकिन यह तुम्हारे भले के लिए ही है। अब मैं आधे घण्टे के बाद आउंगा फिर ये चैक करूंगा कि किस-किसको आगे कैसे इलाज की जरूरत है। अब यह तुम्हारे ही हाथ में है कि तुम जल्दी से ठीक होकर जाना चाहते हो या फिर...... तभी अपनी बात अधूरी छोड़कर वह व्यक्ति बाहर निकलकर लोहे के दरवाजें को बाहर से बंद कर देता है। जिसे देखकर अंदर सभी एक दूसरे को देखने लगते हैं कि अब आगे क्या होगा।
अब क्या होने वाला है जानने के अगले अंक को पढ़ें। लाइक, सबस्क्राइब, शेयर, कमेट, रेटिंग, सबकुछ बढ़चढ़ कर जोरदार तरीके से करें, बिल्कुल न डरें.... हम आपके साथ हैं......😍 🥰