कुकिंग के लिए सोना अब सभी सामान को जुटाने लगी और झोपड़ी के सामने अपनी लगाई हुई बागवानी में चली गई। सोना अक्सर अपनी कुकिंग का कार्य वहीं किया करती थी क्योंकि उसके माता-पिता उसके खाना बनाने और खाने के तरीकों से अधिक प्रसन्न न थे लेकिन वह उससे अधिक कुछ कहते नहीं थे। बाग के एक किनारे सोना ने एक खुली रसोई बनाई हुई थी। जो देखने में काफी सुन्दर थी। ऊपर से धूप और बारिश का पानी अंदर न आये। उसके लिए लकड़ियों और घासफूस की एक छत बनाई गई थी। जो काफी हद तक पश्चिमी शैली के डिजाइन से प्रभावित लगती थी। किचन के साथ ही एक ओर उसने मिट्टी का एक छोटा सा तंदूर बनाया हुआ था और जंगल से काफी सारी लकड़ियां तंदूर के पास करीने से रखी हुई थी। रसोई की जमीन और दीवारों को सोना ने गोबर से लीपा हुआ था। जिससे उसमें भारतीय ग्रामीण शैली का समागम अद्भुद था।वहीं बाग के एक दूसरे कोने में एक छोटा सा तालाब बनाया हुआ था। जो नदी में पाये जाने वाले छोटे-बड़े सफेद और सलेटी गोल पत्थरों से सजाया हुआ था। वह कोना जंगल के साथ जुड़ा हुआ था। सोना ने जंगल में पास ही बहने वाली एक नदी से 2 फीट चौड़ी और गहरी नहर खोद कर अपने बाग तक बनाई थी। नहर के अंदर उसने नदी में पाये जाने वाले गोल पत्थरों को इस नहर के चारो ओर अच्छी तरह से चिपकाये हुए थे ताकि पानी में मिट्टी न आ सके। नहर को खुला न छोड़कर उसे ऊपर से बांस की खपच्चियों से ढंककर ऊपर से घास और मिट्टी द्वारा उसे अंडरग्रांउण्ड कर दिया था।
इस छोटे तालाब से होकर पानी बाग के दूसरे कोने में बने दूसरे तालाब की ओर जाता था, जहां सोना ने कई तरह की मछलियों को पाला हुआ था। कुछ मछलियां सुनहरी और रंग-बिरंगी थी और कुछ ऐसी मछलियां भी थी जिन्हें पकाकर खाना सोना का खासा पसंद था। सोना की इस कला के बारे में गांव के लोगों में भी खासी चर्चा थी और कभी कभार गांव के कुछ लोग सोना से मछलियों को खरीदने भी आया करते थे जिससे सोना आर्थिक रूप से अपने परिवार की सहायता भी करती रहती थी।यह सारा दृश्य देखकर कुछ आश्चर्य प्रतीत होता था कि कैसे एक 15 साल की बच्ची जो कभी गांव से बाहर नहीं निकली। वो यह सब इतनी सटीकता के साथ कैसे कर रही थी।
सोना ने एक कुत्ता भी पाला हुआ था, जिसका नाम था टॉमी। टॉमी एक साधारण नस्ल का ही एक कुत्ता था। सामान्य कद-काठी वाला काले रंग का टॉमी बहुत ही फुर्तिला और हमेशा उछलकूद मचाने वाला था। जिसे सोना बहुत प्यार करती थी। बाहर से किसी भी अजनबी के आने पर टॉमी भौंक-भौंककर पागल हो जाता था और शांत कराने पर जल्दी से शांत भी हो जाता था। टॉमी को मछलियों वाले तालाब में रंग-बिरंगी मछलियां देखना बहुत पसंद था। सोना ने उसी तालाब के साथ ही टॉमी के लिए एक छोटी से झोपड़ी बनाई हुई थी। जहां टॉमी अपनी मर्जी से कभी भी अंदर बाहर आता जाता रहता था।
तभी सोना छोटे वाले तालाब के पास जंगली मुर्गे को लेकर गई और उसे वहीं एक किनारे पर ले जाकर उसने एक तेज और धारदार चाकू निकाला फिर एक ही झटके में उसका सिर तन से जुदा कर दिया और बड़ी ही सावधानी से चाकू की सहायता से उसकी खाल अलग करने लगी उसकी पूरी सफाई करने के बाद उसने चिकन को अच्छी तरह से धोया। चिकन की महक के कारण टॉमी खुशी से उछल-कूद मचा रहा था। टॉमी का दिन हमेशा खेल और उछलकूद के साथ शुरू होता था। वह अपने बाग में खुशी से उछल-कूद मचा रहा था और उसे लग रहा था कि वह इस प्रकार लड़की को भी खुश कर देगा। टॉमी उछलते-कूदते सोना के पास जा पहुँचा और अपनी दुम दांये-बांये हिलाते हुए इधर-उधर भागने लगा। टॉमी खुशी में सोना की पैंट को पकड़कर खींचता और खूब शोर मचाता। उसे यह नहीं समझ आ रहा था कि उसकी उछल-कूद मचाने से सोना को परेशानी हो रही थी। वह जल्दी से उसे दूर करने की कोशिश करने लगी, लेकिन टॉमी नहीं मान रहा था। सोना ने फिर से कोशिश की और टॉमी को दूर करने की कोशिश की। लेकिन टॉमी अभी भी लड़की को परेशान कर रहा था। उसने खाने की मसालों को गिरा दिया और लड़की को तरह-तरह की दिक्कतें झेलनी पड़ रही थी। वह जल्दी से टॉमी को दूर करने के लिए उसे भगाने की कोशिश करने लगी लेकिन टॉमी सोना की बात बिल्कुल भी नहीं मान रहा था। जिससे सोना को बहुत ही गुस्सा आ रहा था।