इधर सुन्दर लाल होटल में अपना अधूरा काम पूरा करने के लिए आईने के आगे खड़ा मेकअप कर रहा था। सुन्दर ने इतना परफेक्ट मेकअप किया था जिससे वह पूरी तरह एक सुन्दर औरत लग रहा था। जिसे पहचान पाना बहुत ही मुश्किल था। तभी दरवाजे पर रूम ब्वाय दस्तक देकर अंदर कुछ खाने का सामान लाता है और सुन्दर से पूछता है - मैडम यह साहब के लिए नाश्ता लाया हूं। सुन्दर मन ही मन खुश होता है कि रूम ब्वाय उसे पहचान नहीं पाया तो गांव वाले उसे खाक पहचान सकेंगे। वह इशारा करके रूम ब्वाय को बाहर जाने को कहता है। जिसके बाद नाश्ता करके गेस्ट हाउस से बाहर निकल जाता है।
गांव में गंगाधर सोना से सावधान रहने को कहकर उसे घर में छोड़कर काया को देखने अस्पताल की ओर जाने लगता है और इधर सुन्दर लाल औरत के भेष में गांव में प्रवेश करता है। तो गांववाले उसे अचरज भरी निगाहों से देखते हैं कि यह कौन स्त्री यहां आई है और इसे यहां गांव में क्या काम। सुन्दर बड़ी चालाकी से लड़की की आवाज निकालते हुए एक गांववाले के बताता है कि वो शहर से एक सरकारी विभाग से आई है। जहां उसे यह निरक्षण करना है कि गांव की औसत जनसंख्या में साक्षरता दर क्या है। वह पूरे गांव में लोगों से उनकी शिक्षा के बारे में सूचना एकत्र करेगी जिसके कारण उसे कुछ दिन गांव में ही रूकना होगा। जैसे कि गांव और छोटे कस्बों में अक्सर होता है, यदि कोई शहर से या कोई बाहरी व्यक्ति गांव में प्रवेश करता है तो लोग उन्हें उत्सुकता भरी नजरों से देखते है और भीड़ लगा लेते हैं और खासकर उस समय यदि वह कोई मॉडर्न ड्रेस पहनी कोई खूबसूरत महिला हो तो उसकी सहायता करने के लिए सभी आंखें बिछाये रहते हैं। सुन्दर जो इस समय सुन्दरी बना हुआ था, मन ही मन गांववालों की मूर्खता और अपनी चालाकी पर खुश हो रहा था और यह सोच रहा था। कितने मूर्ख हैं ये गांव वाले। जिसकी जान के दुश्मन हैं, उसी की तिमारदारी कर रहे हैं बेवकूफ.... ही...ही...ही...
कुछ लोगों से बातचीत करके सुन्दर वहां से जाने ही लगता है तभी एक गांववाला उसे कहता है - बेटी, जरा ध्यान से जाना, आज कल इस गांव का माहौल ठीक नहीं चल रहा है।
सुन्दर - क्यों क्या हुआ?
गांववाला - यहां कुछ दिनों से एक पागल आदमी घूम रहा है, जो औरतों की हत्यायें कर रहा है। हमने तो उसे बस पकड़ ही लिया था, पर वो कायर अपनी जान बचाकर दुम दबाकर भाग गया।
सुन्दर आंखें मटकाते हुए - ठीक है, मैं ध्यान रखूंगी।
गांववाले की यह बात सुनकर सुन्दर का मन अन्दर ही अन्दर खौल उठा और वो सोचने लगा - इन गांववालों ने मुझे समझ क्या रखा है कि मैं कायर हूं, इनसे डरकर दुम दबाकर भाग गया। एक साथ आयेंगे तो कोई भी अक्लमंद इंसान भागेगा ही न। अगर इतनी हिम्मत थी तो एक-एक करके मुकाबला करने आते। देखा नहीं इन्होंने, अकेले मैंने फौजी और पुलिस वाले का क्या हाल किया। अब मैं इन्हें वो करके दिखाउंगी जिससे इन्हें पता चलेगा कि मैं भी किसी से कम नहीं। तभी वह गांव के बाहर बने घर जो सोना का था, उस ओर धीमे-धीमे कदमों के साथ बढ़ने लगता है।
गांव के कुछ लड़के सुन्दर की सुन्दरता से मुग्ध होकर उसका पीछा कर रहे थे जिस बात से सुन्दर अंजान चलता ही जा रहा था। उन युवकों के बीच रोहन भी था जो सोना को पसन्द करता था लेकिन सुन्दर की सुन्दता को देखकर वो भी सोना को भूल सुन्दर के पीछे-पीछे किसी जॉम्बी की तरह चलता जा रहा था। उन युवकों को क्या पता था जिसे वो हसीना समझ रहे हैं वो कमीना निकलेगा और उनकी बुरी तरह से बैण्ड बजा देगा।