भागते-भागते रोहन सोना के घर पहुंच जाता है। जहां वह दूर से उसे बगीचे में कुछ काम करती हुई दिखाई देती है। बगीचे के चारो ओर लगी बाड़ के कारण वह उसे ठीक से नहीं देख पा रहा था। लेकिन बाड़ के बीच में बने सुराखों से भी जब उसने ध्यान से देखने का प्रयास किया तो वह उसे देखता ही रह गया। सोना ने काले रंग की कुरती के साथ पीले रंग की फिटिंग वाली लैगिंग पहनी हुई थी। कायदे के साथ उसने अपने बालों को बांधा हुआ था। जिससे उसका गोरा चेहरा और अधिक दिलकश दिख रहा था। लेकिन जैसे ही वह बगीचे में प्रवेश करता है तो वह देखता है कि सोना उस समय बगीचे की खुली किचन के पास बने छोटे से तालाब में मांस के बहुत सारे छोटे-छोटे टुकड़े एक बड़े टब मे भरकर धो रही थी। शायद वह उसके कुछ दिनों के लिए खाने का इंतजाम था। रोहन इतना सारा मांस देखकर एकाएक घिन से भर उठता है क्योंकि उस समय वहां आसपास के वातावरण में मांस के कारण बहुत दुर्गन्ध फैली हुई थी और रोहन ने ब्राह्मण होने के कारण अपने जीवन में कभी ऐसा कुछ नहीं देखा था। रोहन को देखकर सोना मुस्कुराती है और उसे पास आकर कुछ मदद करने के लिए कहती है। उसकी आवाज सुनते ही रोहन सबकुछ भूल जाता है और उसके आंखों के चारो और फिर से तितलियां उड़ने लगती हैं।
सोना के करीब जाते हुए इस बार उसके मन में बैकग्राउण्ड म्यूजिक के साथ गाना बजने लगता है और उसके चारो और बहुत सारे डांसर रंग बिरंगे कपड़े पहने हुए प्रकट हो जाते हैं और उनकी लोकेशन जंगल से सीधे गोवा के बीच में हो जाती है, जहां रोहन महिन्द्रा की थार जीप को दौड़ाता हुआ सोना को देखकर गाना गा रहा होता है -
नी कुड़िये तू ऑलराईट, आजा नी रे वन नाइट,
लगे तू मैनू सैक्सीईईईईईई,
करावे नी तू मर्डर, ओ भाहवें होवे डे-लाईट।
झक्कास तेरी बॉडीईईईईईई,
आई फैल इन लव एट फर्स्ट साईट।
करावे नी तू मर्डर, ओ भाहवें होवे डे-लाईट।
ना जा, ना जा, ना जा, मितरां तो दूर,
अम्बरां तो आई तू लगदी है हूर,
अत्त तेरा नखरा तेरा की कसूर,
मैनूं वी पसंद तू करदी जरूर।
नाजा, नाजा, नाजा...... नाजा, नाजा, नाजा......
सोहणी बड़ी लगदी जद तू कुरती पावें काले रंग दी।
थोड़ा जेहा नेड़े आ तेरे उत्तों मेरी नजर न हटती,
लक तेरा हिलता ए जिवें पाणी दे विच हिलदी सपणीं,
तू अज मैनू रोकी न तेरे कोलों मैं हां कराके छडणीं।
तभी सोना रोहन के चेहरे पर पानी फैंककर कहती है, अब आओ भी कहां खो गये। ठण्डे पानी का तेज छींटा चेहरे पर पड़ने से उसका सपना टूटता है जो रोहन खड़े-खड़े दिन में देख रहा था। तब रोहन पूछता है, बताओ क्या करना है। इस पर सोना बहुत ही मासूम से चेहरा बनाकर कहती है। देखों न रोहन कल रात न जाने कहां से एक जंगली बकरा हमारे बगीचे में घुस गया था और उसने हमारी पूरी फूलों की क्यारी को बर्बाद कर दिया।
बेचारे टॉमी को भी उसे भगाने के चक्कर में उसके सींगों से मार खानी पड़ गई। तभी वो बकरा बाड़ की कंटीली तारों में फंस गया और हमारे टॉमी ने बड़ी बहादुरी से उस बकरे को मार गिराया। फिर क्या था, अब वो बकरा इस टब में धुल रहा है। यह कहकर सोना हंसने लगती है। रोहन भी उसकी बात सुनकर हंसने लगता है।
लेकिन प्यार में अंधे रोहन को इस समय सोना की सभी बातें सच्ची और अच्छी लग रही थी। उसे क्या पता था जिसे वो बकरा बता रही है, वो बकरा नहीं जंगली सुअर था जिसे बीते दिन वो गार्ड से छीनकर लाई थी।