चाय पीते हुए भानू प्रताप भारी आवाज में सोना से पूछता है - वहां बगीचे के किनारे मैंने अभी जंगली सुअर का गोली लगा सिर और हड्डियां देखी हैं। उसके बारे में क्या कहोगी? इस पर सोना कुछ नहीं बोलती।
भानू प्रताप - चुप क्यों हो, जल्दी से अपने आप बताओ क्योंकि मुझे सब कुछ पता लग चुका है कि जंगल में गार्ड की हत्या किसने और कैसे की है और वहां से इस जंगली सुअर को घसीटकर यहां तक कौन लाया है।
इतना सुनते ही सोना जंगल की ओर भागने लगती है। उसे भागता हुआ देखकर भानू प्रताप उसे रूकने के लिए चिल्लाता हुआ, उसके पीछे भागने लगता है। भानू प्रताप ने तो सिर्फ अंधेरे में तीर चलाया था कि उसे सबकुछ पता चल चुका है। वारदात वाली जगह से मिले निशानों के आधार पर उसने सोना को यह कहानी सुनाई जिसे सच मानकर सोना जंगल की ओर भागने लगी। भानू प्रताप मौके की नजाकत को समझते हुए उसे पकड़ने के लिए जंगल में दाखिल हो गया लेकिन उसे क्या पता था कि शिकारी खुद यहां शिकार होने जा रहा है। यह तो सोना का पुराना पैंतरा था जिसका प्रयोग वो अपने दुश्मनों पर करती थी।
जंगल के अंदर प्रवेश करते ही एकाएक भानू प्रताप स्वयं को एकदम अकेला पाता है। जहां उसे सोना कहीं भी दिखाई न पड़ रही थी। धीरे-धीरे चलते हुए भानू प्रताप इधर-उधर नजर दौड़ाते हुए सोना को ढूंढ रहा था। तभी उसे एक पेड़ के पीछे छिपी हुई सोना दिखाई देती है और वह उसे पकड़ने के लिए उसकी ओर बढ़ने लगता है। जैसे ही भानू प्रताप उसे पकड़ने ही वाला था। सोना उसकी ओर पीछे मुड़कर देखती है और तेजी से दूसरी ओर भागने लगती है। जंगल के सीधे रास्ते से भागते हुए वह कंटीली झाड़ियों के बीच बने हुए एक छोटे से रास्ते से भागने लगती है जहां से वह अक्सर आया जाया करती थी। जिसके कारण वहां टेड़ा-मेड़ा रास्ता बन चुका था। कब कहां से मुड़ना है और कहां रास्ते में बड़ा पत्थर है, कहां गड्डे हैं, इन सब बातों की जानकारी सोना को भली-भांति थी क्योंकि जंगल का यह हिस्सा सोना के लिए खेल का मैदान था। भानू प्रताप जो शारीरिक रूप से काफी फिट था। बड़ी तेजी से सोना के पीछे भागने लगता है। रास्ते में एक बड़ा गड्डा आता है जिसे फांदकर सोना बड़ी तेजी से दांयी ओर नीचे की ओर जा रहे रास्ते की ओर भागने लगती है। तेजी से फिसलन भरे रास्ते के बीच में बड़े कंटीले पेड़ों ने रास्ते को रोका हुआ था जिनसे बचते हुए सोना तेजी से स्टंट मारती हुई, भागती जाती है। लेकिन उसका पीछा कर रहे भानू प्रताप के लिए यह सब इतना आसान न था। गड्डे को पार करते ही अचानक से आगे पत्थर से टकराने के कारण वो एक बार चोट खा चुका था। आगे फिसलन भरे तेज ढलान वाले रास्तो के बीच कंटीले पेड़ों से टकरा कर भी चोटिल हो चुका था। इतनी चोट खाने के बाद भानू प्रताप सोचता है कि मैं भी कहा फंस गया। इस लड़की को तो मैं बाद में देख लूंगा। अभी मुझे वापिस चलना चाहिए।
तभी वह जैसे ही वापिस मुड़ने लगता है। तभी उसे पीछे से हंसने की आवाज आती है, जिसे सुनकर भानू प्रताप उस ओर देखता है तो दूर एक पत्थर के ऊपर सोना खड़ी थी। जिसे देखकर भानू प्रताप उसे पकड़ने के लिए तेजी से दौड़ने लगता है। लेकिन सोना तक पहुंचने से पहले ही उसका पांव जमीन पर दो पेड़ों से बंधी पतली लोहे की तार से अटक जाता है जिसके कारण वो बड़ी तेजी से आगे की ओर तेज ढलान और फिसलन भरे रास्ते पर गिर जाता है और सिर के बल फिसलते हुए सीधा एक बड़े और नुकीले पत्थर से जा टकराता है। सिर पर पत्थर की गहरी चोट लगते ही भानू प्रताप का सिर दो हिस्सों में बंट जाता है। यह नजारा सोना ऊंची चट्टान पर खड़ी होकर देख रही थी। तभी वह जोर-जोर से अट्टहास करते हुए हंसने लगती है। जो शायद उसके इस खेल में विजेता होने का पुरस्कार था। पेड़ों पर बांधी हुई उस पतली लोहे की तार को खोलकर सोना अपने साथ ले जाती है ताकि किसी को इस बात का पता न लग सके कि भानू प्रताप की मौत तार में पैर अटकने के कारण नीचे गिरने से हुई है। अपने इस मायाजाल को छिपाकर रखना भी सोना के लिए अत्यन्त ही आवश्यक था।
सोना जल्दी से वापिस अपने घर की ओर जंगल के एक शॉर्टकट रास्ते से कुछ ही मिनटों में पहुंच जाती है और जल्दी-जल्दी बगीचे के कोने में रखे हुए जंगली सुअर और उसकी हड्डियों को जंगल की ओर एक गड्डा खोद कर उसमें दबा देती है ताकि भविष्य में किसी को इस बारे में कोई सुराग न मिल सके। भानू प्रताप के पीछे उसे ढूंढता हुआ उसका साथी हीरा ठाकुर पहुंच जाता है जिसे देखकर टॉमी जोर से भौंकने लगता है। सोना बाहर एक ओर पुलिस वाले को देखकर मन ही मन सोचती है अब कौन मरने आ गया। हीरा ठाकुर बाहर से आवाज लगाता है - कौई है?
सोना बाहर निकलकर कहती है - जी, क्या काम है?
हीरा ठाकुर - फौजी गंगाधर का घर यही है?
सोना - जी।
हीरा ठाकुर - मुझसे पहले यहां कोई और पुलिस वाला आया था?
सोना - नहीं, यहां तो कोई नहीं आया।
हीरा ठाकुर सोना को देखकर उसे वह खिलौना देता है जो उसने खिलौने वाली से खरीदा था। जिसे देखकर सोना कहती है - बहुत सुन्दर खिलौना है। आपने कहां से लिया।
हीरा ठाकुर - यहीं पास से। अच्छा तो मैं चलता हूं। यह कहकर हीरा ठाकुर भानू प्रताप को ढूंढ़ने लगता है। जिसे देखकर सोना और अधिक सतर्क हो गई थी।