जंगल में तेजी से भागते हुए सोना उस व्यक्ति को बांस वाले जंगल की ओर ले जाने लगती है। जहां उसने पहले से बांसों को मोड़कर जाल बिछाया हुआ था। वहां पहुंचते ही सोना तेजी से टेढ़ा-मेढ़ा भागने लगती है। जिसके पीछे साइको अपना लोहे का डण्डा हवा में लहराते हुए भागता आ रहा था। तभी अचानक बांस जो इस तरीके से बंधे थे जो सोना के आगे निकलने के बाद उसके पीछे से खुलकर उसका पीछा करने वाले की ओर किसी गुलेल की तरह ऊपर और नीचे से एकसाथ वार करने लगते हैं। लेकिन साइको भी किसी परफेक्ट जिम्नास्ट की तरह कभी पीठ के बल पीछे की ओर मुडकर ऊपर से आने वाले बांस से बचता है तो कभी ऊंची छलांग लगाकर टांगों की ओर से आने वाले बांसों से बचता है। उसकी यह चुस्ती और फुर्ती देखकर ऐसा लगता है, मानों वह कोई कुशल जिम्नास्ट हो या फिर कोई शाओलिन कुंगफू योद्धा.....!
तेजी से भागते हुए जैसे ही सोना पीछे की ओर देखती है, जिसके कारण उसके दौड़ने की गति धीमी पड़ जाती है। तभी अचानक साइको एक छलांग लगाकर बड़ी तेजी से चिल्लाते हुए, हवा में उड़ते हुए एकदम सोना के चेहरे के सामने आ खड़ा होता है। उसे अपने इतने नजदीक देखकर सोना का रंग डर के मारे सफेद पड़ जाता है। वो भागना तो चाहती है लेकिन उसके हाथ-पैर और दिमाग मानों जम सा गया था। उसका शरीर उसके दिमाग का साथ नहीं दे रहा था। सामने खड़ा साइको की सांसे इतनी देर दौड़ने के कारण तेजी से चल रही थी और पसीने की बूंदे उसके माथे पर चमक रही थी। सोना एक पेड़ से चिपक कर किसी बुत के माफिक खड़ी थी। जिसे देखकर साइको निश्चिंत होकर थोड़ा सा मुस्कुराते हुए कहता है - ए लड़की आज तो मुझे बहुत मजा आया, तेरे इस खेल को खेलने में। तेरे जैसी खिलाड़ी मुझे आज तक कभी नहीं मिली। पहले एक जैसे शिकार करके थोड़ा बोर सा हो गया था मैं। लेकिन आज तो मजा ही आ गया। यह कहकर वह अपना डण्डा हिलाते हुए हंसने लगता है। तभी साइको कहता है - चलो इस खेल को थोड़ा और मजेदार बना देते हैं। मैं तुझे इतनी आसानी से नहीं मारूंगा। तभी वो अपनी जेब से एक रस्सी निकालकर सोना को मजबूती से पेड़ के साथ बांध देता है फिर जंगल की ओर चला जाता है। इस समय सोना जंगल में अकेली एक पेड़ के साथ बंधी थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि अब वह व्यक्ति उसके साथ क्या करने वाला है और उसे मारे बिना वह अब कहां चला गया। तभी वह जोर-जोर से चिल्लाने लगती है - बचाओ, बचाओ। मुझे इस पागल से कोई बचाओ। यह मुझे मार डालेगा। बचाओ, बचाओ। थोड़ी देर चिल्लाने के बाद जब वहां कोई नहीं आता तो वह रोने लगती है।
लगभग एक घण्टे के बाद वह व्यक्ति कुछ लकड़ियों का गट्ठड़ बांध कर अपने कंधे में उठाए उसके सामने लाकर पटक देता है। सोना उसे देखकर फिर से चिल्लाने लगती है। तो साइको बोलता है - चिल्ला, चिल्ला और चिल्ला, तभी तो मुझे और ज्यादा मजा आयेगा। यहां मेरे सिवा इन चीखों को सुनने वाला कोई नहीं। यह कहकर वो हंसने लगता है। तभी वह लकड़ियों को जलाकर अपना वो लोहे का डण्डा जिसके अगले हिस्से पर लोहे के उभरे हुए साइको शब्द था। उसे गर्म और लाल करने लगता है और सोना की ओर देखते हुए बोलता है। लड़की देख ये तेरे लिए ही तैयार हो रहा है। थोड़ी देर बार यह ठप्पा तेरे सीने पर लगेगा, तब देखना कितना मजा आयेगा। ऐसा कहते ही वह उछल-उछल कर हंसते हुए तालियां बजाने लगता है। लोहे को गर्म होता देखकर सोना के डर के मारे रोंगटे खड़े हो जाते है। उसे इस समय अपना बीता हुआ अतीत किसी फिल्म की तरह घूमने लगता है कि इसी आग ने कैसे उसकी पहली मां को जलाया था और वो रात भर वो उस भयानक मंजर को देखती रही। वो सभी पुरानी यादें उसके दिमाग पर हावी होने लगती है और वो पेड़ में बंधे-बंधे जोर-जोर से रोने लगती है।
जिसे देख साइको कहता है, अब रोती क्यों है? डर लग रहा है? ये तो तुझे पहले सोचना चाहिए था, मुझसे दूर भागने से पहले। तूने क्या सोचा था, मैं फंस जाउंगा और तू बच जायेगी। तभी वो जोर से चिल्लाकर कहता है - ऐसा न कभी हुआ है और न ही कभी होगा कि मेरा चुना हुआ शिकार मुझसे बच जाये। लेकिन सोना ने तो उसकी एक भी बात नहीं सुनी थी। वो तो बस अतीत की उन भयानक यादों में डूबी हुई थी। जिसके डर के साये उसका दामन छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहे थे।