वहीं दूसरी ओर साइको बड़ी तेजी से मोटरसाइकिल दौड़ाते हुए गांव से बाहर बने हाइवे पर कुछ किलोमीटर आगे निकल जाता है। जहां जंगल सड़क के किनारे पड़ने वाले जंगल के अंदर गाड़ी छिपाकर वह पैदल ही थोड़ा आगे चलने लगता है जहां एक छोटा सा गेस्ट हाउस था। वहीं यह कुछ दिनों से रह रहा था। गेस्ट हाउस में प्रवेश करते ही वह व्यक्ति किसी को फोन मिलाता है। दूसरी ओर से आवाज आती है। हैलो, कौन। मैं सुन्दर लाल, पहचाना नहीं। अरे सुन्दर कैसे हो। अब मेरी क्या जरूरत पड़ गई?
सुन्दर - वकील साहब, आपको तो पता ही है, आपको जब भी याद करता हूं, तब कोई न कोई मुसीबत होती ही है और आप हमेशा किसी न किसी तरह मुझे बचा लेते हैं।
वकील - अब क्या हो गया? कहीं फिर से तो तुम वही पुरानी हरकते नहीं करने लग गये। सुन्दर मैंने तुम्हें लाख बार समझाया है, कहीं ऐसा न हो, तुम लम्बे फंस जाओ। अब पूरी बात बताओ, क्या माजरा है और अभी तुम कहां हो?
सुन्दर - यही पास ही जगतपुर नाम का एक गांव है, अरे जहां इन्स्पेक्टर शक्तिनाथ की पोस्टिंग हुई थी।
वकील - अच्छा तो तुम उसी का पीछा करते हुए वहां पहुंच गये, शक्तिनाथ से तुम दूर ही रहो तो अच्छा है। अब पूरी बात बताओ।
तभी सुन्दर लाल सारा घटनाक्रम वकील को बताने लगता है। उधर से वकील उसे तुरन्त शहर आने को कहता है लेकिन सुन्दर लाल उसे अपना कोई अधूरा काम पूरा करने के बाद आने को कहकर फोन कट कर देता है।
सुन्दर लाल धीमे कदमों से चलता हुआ सीधे रूम नम्बर 69 का कमरा खोलकर उसमें प्रवेश कर दरवाजें में अंदर से लॉक लगा देता है फिर आईने के सामने खड़ा होकर खुद को निहारते हुए, खुद से ही कहता है। कितनी सुन्दर है रे तू। कितनी अच्छी और दिल से मासूम। पर हाय ये दुनियां, कभी तुझे समझ ही नहीं सकती। अपने चेहरे की चोटों को सहलाते हुए आइने से कहता है, देख कितना मारा तुझको उस जालिम गंगाराम ने, नहीं नहीं, गंगादत्त ने, अरे यार क्या नाम था उसका। चलो जो भी हो, था बड़ा ही बेरहम। तभी सुन्दर अपनी पैंट नीचे सरकाकर अपने पिछवाड़े को आईने में देखने लगता है। जहां पर फौजी गंगाधर ने उसी का गर्म-गर्म ठप्पा उसी के पिछवाड़े चिपका दिया था। जहां उसकी त्वचा बुरी तरह से झुलस गई थी। जख्म को छूते ही सुन्दर लाल इस प्रकार आउच कहता है जैसा कि कोई लड़की करती है। तभी अपने जख्मों में मरहम लगाकर बड़ी संजीदगी से गेस्ट हाउस के सर्विस को फोन करका है। हैलो - रूम सर्विस, देखो मुझे अभी बहुत भूख लगी है। देखो, एक टोमैटो सूप, सलाद एंड फ्रूट्स लेकर आना। तभी वह खुद से ही कहता है। मैं भी कितनी हैल्थ कॉन्शियस हूं। ऑलवेज आई एम यूजिंग हैल्थी डाइट। मुझे अपनी स्कीन और वेट का भी तो ध्यान रखना पड़ता है। तभी सुन्दर फिर से आईने के आगे खड़ा होकर अपने चेहरे पर लगी चोटों को करीने से साफ करने लगता है और अपने टूटे हुए दांत को देखकर दुःखी होते हुए कहता है। अब सबसे पहले गांव में अपना अधूरा काम पूरा करने के बाद शहर में सबसे पहले अपना ये दांत ही ठीक करवाउंगी। कितना गंदा लग रहा है बिना दांत के मेरा चेहरा। मनहूस कहीं का गंगाराम, कीड़े पड़ेंगे उसको कीड़े। सड़सड़ कर मरेगा, मुआ गंगाराम।
उधर गांव में साइको को लेकर तरह-तरह की बातें हो रही थी कि आखिर कौन था वो और यहां क्यों आया होगा, औरतों को ही क्यों मारता था। ऐसी बातें हर जगह हो रही थी। यह बातें जहां गांव भर में खौफ का विषय बनी हुई थी। वहीं कुछ नौजवान युवा इन बातों से रोमांचित हो रहे थे कि आखिर कैसे एक आदमी ने पूरी पुलिस की नाक में दम कर दिया। जिसका न तो पुलिस कुछ बिगाड़ सकी और न वो बड़बोला फौजी गंगाधर। इन्हीं युवाओं के बीच रोहन बैठा ऐसी ही कुछ बातें कर रहा था कि कैसे वह साइकों बड़ी तेजी से भागता है, किसी कूंगफू मास्टर की तरह फाईट करता है, कितना कूल है न ये साइको। उसकी स्टाईल और उसका लुक तो किलर है भाई। यह कहकर सभी युवा नौजवान हंसने लगते हैं। तभी वहां गांव का कोई आदमी उनके पास से गुजरता है तो एकाएक सभी लड़के चुप हो जाते हैं। कहीं वह उनकी ऐसी बातें सुन न लें।