तभी सोना ने हड्डी का एक छोटा सा टुकड़ा टॉमी के आगे फैंक दिया। जिसे बड़ी तेजी से मुंह में पकड़कर टॉमी अपनी झोपड़ी की ओर भाग गया। सोना को अब थोड़ी देर के लिए टॉमी से छुटकारा मिल चुका था। अब उसने लकड़ियों को तंदूर में डालकर जला दिया और चिकन बनाने के लिए दुबारा से मसालों को इकट्ठा करने लगी।
उसने एक बड़ी बाउल में तेल, लहसुन अदरक का पेस्ट, काली मिर्च पाउडर, जीरा पाउडर, धनिया पाउडर, हल्दी पाउडर, लाल मिर्च पाउडर, चाट मसाला, नमक, शहद, सोया सॉस और विनेगर को एक साथ मिलाया। फिर चिकन को इस मिश्रण में अच्छी तरह से मिलाकर उसे मेरिनेट के लिए 1 घंटे के लिए छोड़ दिया। वहीं दूसरी ओर तंदूर गर्म होने लगा था।
फिर सोना ने मेरिनेट किए हुए चिकन को एक सीख पर पीरोकर उसे भूनने के लिए तंदूर में डालकर ऊपर से ढक्कन लगा दिया। चिकन भूनते समय सोना ने इसके साथ कुछ टमाटर, प्याज़, पनीर और लाल-पीली शिमला मिर्च को मसालों में लपेटकर एक अन्य सीख में पिरो दिया और उसे 5 मिनट के लिए तंदूर में डाल दिया। लगभग आधे घण्टे में चिकन पूरी तरह से पक गया, तब उसे तंदूर से निकालकर सोना ने उसे टमाटर, प्याज़, पनीर और मिर्च के साथ में परोसा। जिसके साथ धनिया और पुदिने की चटनी जिसमें लहसुन भी मिलाया गया था, जिससे खाने के स्वाद में वाकई चार चांद लग गये। सोना ने तंदूर में जो पनीर की वेज आईटम बनाई थी। उन्हें चटनी के साथ सर्व करके वह अपने माता-पिता को देती है। जिसे वो मजे से खाते हुए सोना की कुकिंग की जमकर तारीफ करते हैं।
एक दिन पहले जंगल में अन्य बच्चों द्वारा उसे अकेले छोड़ दिये जाने वाली घटना के बाद से सोना अधिक सतर्क रहने लगी थी और अब उसका व्यवहार पहले से और अधिक बदल गया था। वह अब भी अपने दोस्तों के साथ खेलने जाती थी और उन्हें बताती थी कि वह कैसे अपने डर से निपटती है। सोना के दोस्तों को इस बात से बड़ी खुशी हुई कि उनके द्वारा उसे रात को जंगल में छोड़कर जाने के बाद भी वह उनसे बातें कर रही है और उनके साथ अच्छा समय बिता रही है। सोना के इस व्यवहार से सभी बहुत खुश थे।
उस दिन रोहन ने सोना को अपने पास बुलाकर उसे कहा कि क्या तुम्हें पता है यहां पर आसपास के कुछ बच्चे तुम्हारे बारे में क्या कहते हैं?
इस पर सोना बोली - क्या कहते हैं?
रोहन - सब बच्चे तुम्हें ’कातिल बच्ची’ के नाम से बुलाते हैं।
सोना - ऐसा क्यों, कहते हैं।
रोहन - क्योंकि तुम मांसाहारी खाना बनाती हो और खुद ही शुरू से आखिर तक का काम कर लेती हो। शायद इसलिए।
इस गांव में अधिकतर परिवार ब्राह्मण जाति से संबंध रखते हैं और यहां की अन्य ग्रामीण लड़कियों की तुलना में तुम उनसे बहुत अलग हो। इसलिए उन्हें तुम अजीब लगती हो।
सोना - क्या तुम्हें भी मैं अजीब लगती हूं?
रोहन - झिझकते हुए, बिल्कुल भी नहीं। बल्कि तुम्हारा यह बर्ताव मुझे तो बहुत अच्छा लगता है। क्योंकि मुझे शुरू से ही आत्मनिर्भर लड़कियां बहुत पसंद हैं। तुम सबसे अलग हो, इसलिए तुम मेरी सबसे फेवरेट हो।
यह सुनकर सोना बिना कोई चेहरे पर भाव और प्रतिक्रिया लाये कुछ भी नहीं कहती। रोहन सोना की आंखों की ओर देखने लगता है। तभी सोना उसे अपनी आंखों की तरफ देखता हुए देखकर एक नकली मुस्कान के साथ उसे धन्यवाद देती है। जिससे रोहन खुश हो जाता है। और मन ही मन सोचने लगता है कि उसने सोना के दिल में अपने लिए थोड़ी जगह तो बना ही ली है।
यहां कहीं न कहीं कुछ अजीब तो हो रहा था और अतीत के गर्भ में छिपा था कि आखिर सोना इतनी बुद्धिमान कैसे थी और उसके माता-पिता उसे कुछ करने से रोकने के लिए क्यों झिझकते थे। इसके पीछे भी कोई कहानी जरूर थी। जो सोना नहीं जानती थी, या फिर न जानने का नाटक करती थी। कुछ भी हो सकता था क्योंकि सोना का गांव के बच्चों के प्रति यह जानते हुए भी कि वो सभी उसके बारे में क्या सोचते हैं और क्या बातें करते हैं, आवश्यकता से अधिक मित्रतापूर्ण होने कर व्यवहार ही शक की सुई को कभी सोना की ओर इशारा करते थे तो कभी उसके माता-पिता की ओर, आखिर इसके पीछे क्या राज हो सकता है, पढ़िये अगले अंक में .....