पूरे गांव में भानूप्रताप को ढूंढता हुआ हीरा ठाकुर वापिस थाने आ जाता है, जहां इन्स्पेक्टर शक्तिनाथ हीरा ठाकुर से पूछता है - आज कहां थे तुम और भानूप्रताप और केस का कुछ पता चला।
हीरा ठाकुर - साहब, भानूप्रताप उस गांव के बाहर जंगल के पास जो फौजी का घर है, वहां इस केस की तफ्तीश करने गया था। लेकिन जब बहुत देर तक वो वापिस नहीं आया तो मैंने वहां जाकर पता किया जहां एक छोटी लड़की थी। जिसने बताया कि वहां तो कोई भी नहीं आया।
शक्तिनाथ - तो फिर कहां गया, भानूप्रताप। चलो आज का दिन देखते हैं। हो सकता है, अपने किसी काम से कहीं गया हो। नहीं तो पता करते हैं।
हीरा ठाकुर के मन में संशय हो रहा था कि भानूप्रताप के साथ कोई अनहोनी न हो गई हो। आखिर वह दोनों बहुत खास दोस्त थे। हीरा ठाकुर मोबाईल के नेटवर्क के द्वारा भानूप्रताप की लोकेशन निकालता है तो उसे पता चलता है कि उसकी लोकेशन तो जंगल से आ रही है जो फौजी के घर के ही पास की कोई जगह है। सबसे बड़ी विचित्र बात तो यह है कि भानूप्रताप की लोकेशन जरा सी भी नहीं हिल रही। आखिर क्या कर रहा होगा, इस समय भानूप्रताप। वो भी जंगल के बीच में। हीरा ठाकुर इन्स्पेक्टर शक्तिनाथ को यह बात बताता है तो वह अपने कुछ सिपाहियों के साथ जंगल की ओर रवाना हो जाते हैं।
जैसे-जैसे हीरा ठाकुर जंगल के नजदीक पहुंच रहा था। भानूप्रताप के मोबाईल की लोकेशन की बीप तेज होती जा रही थी और उसके साथ ही साथ हीरा के दिल की धड़कने बीप से भी तेज, जिसे सभी साफ महसूस कर रहे थे।
जंगल के अंदर प्रवेश करते ही हीरा ठाकुर मोबाईल की लोकेशन के अनुसार आगे-आगे चल रहा था। तभी वह उसी झाड़ीनुमा रास्ते पर पहुंच जाते हैं जहां पर भानूप्रताप ने सोना को पकड़ने की कोशिश की थी। आगे चलते हुए उन्हें बड़े पत्थर पर कुछ खून के निशान मिलते हैं। जो भानूप्रताप के ही थे। आगे बढ़ते हुए बीच रास्ते में कंटीले पेड़ पर भानूप्रताप की वर्दी के कुछ टुकड़े मिलते हैं। जो उसके टकराने पर वहीं पर अटक गये थे। यह सब देखकर सभी पुलिस वालों का मन आशंकित हो रहा था कि उसके साथ कोई अनहोनी न हो गई हो। थोड़ा आगे चलने पर एक सिपाही तेज आवाज से इन्स्पेक्टर को बुलाता है। साहब जल्दी यहां आईये। भानूप्रताप मिल गया है, लेकिन।
शक्तिनाथ - लेकिन क्या?
सिपाही - साहब वो नीचे गिरा हुआ है, और उसके सिर से खून बह रहा है।
शक्तिनाथ - जल्दी से उसे ऊपर लेकर आओ, इस समय एक एक मिनट भी बहुत कीमती है। हो सकता है, उसकी जान बचाई जा सके।
सभी सिपाही मिलकर भानूप्रताप को उठाकर ले आते हैं। लेकिन उसके सिर के दो टुकड़े देखकर हीरा ठाकुर की चीख निकल जाती है और वो उसी समय जोर-जोर से रोने लगता है। जिसे देखकर पत्थर दिल शक्तिनाथ का दिल भी दहल उठता है। हीरा ठाकुर को किसी औरत की तरह रोता देख वो उससे कहता है - चुप हो जाओ, रोओ मत, यह हम पुलिस वालों को शोभा नहीं देता।
हीरा ठाकुर - कौन पुलिस वाले। क्या पुलिस वाले इंसान नहीं होते? क्या उनका दिल नहीं होता? क्या उन्हें दुख-दर्द और तकलीफ नहीं होती? मैं नहीं मानता ऐसी बातों को कि पुलिस वाले नहीं रोते। यह कहते हुए हीरा ठाकुर रोने लगता है जिसे देखकर और खड़े सिपाहियों की आंखें भी नम हो उठती हैं।
तभी शक्तिनाथ कहता है - लेकिन यह काम किसका हो सकता है, बस ये बात समझ नहीं आ रही। आखिर भानूप्रताप को इतने घने जंगल में आने की क्या जरूरत पड़ गई। शक्तिनाथ का दिमाग अब पूरी तरह से चलने लगा था, वह बारिक से बारिक चीजों को बड़े ही ध्यान से देख रहा था कि कोई सुराग मिल जाये। तभी वह वहां भानूप्रताप के पैरों के निशानों की पड़ताल करने लगता है। जहां से भानूप्रताप दौड़ता हुआ आया था और उसका पैर पेड़ से बंधी तारों से अटक कर गिरा था। वहीं पर से भानूप्रताप के पैरों के निशान खत्म हो रहे थे और उसके तेजी से गिरने के कारण ढलान की शुरूआत में गिरने के कारण मिट्टी के धंसने का निशान था। शक्तिनाथ पेड़ों पर तार के बांधे जाने के निशान देख लेता है। पतली मजबूत लोहे की तारों के बांधे जाने के कारण पेड़ के तने के चारों ओर कटने के निशान मौजूद थे। जिसे देखकर शक्तिनाथ समझ चुका था कि किसी ने जाल बिछाकर, पूरी तरह से सोचसमझ कर इस जगह उसका कत्ल किया गया है। शक्तिनाथ की शक की सुई इस समय फौजी गंगाधर की ओर ही घूम रही थी क्योंकि आखिरी बार भानूप्रताप उसके ही घर की ओर गया था। जैसा की हीरा ठाकुर ने बताया था लेकिन वो छोटी लड़की ने मना क्यों किया। हो सकता है, वो अपने बाप को बचाने के लिए झूठ बोल रही हो। लेकिन कोई बात नहीं शक्तिनाथ सच उगलवाना जानता है। वो झूठ को सच और सच को झूठ बनाने का पुराना खिलाड़ी है। इस समय शक्तिनाथ को जंगल में पहले फॉरेस्ट गार्ड की हत्या और भनूप्रताप की हत्या में कोई संबंध नजर आ रहा था और वो मन ही मन सोच रहा था कि हो न हो इन दोनों केस में एक ही व्यक्ति का हाथ हो सकता है।