एक गांव में सोना नाम की एक छोटी सुंदर बच्ची रहती थी। वह हमेशा बच्चों की तरह खेलती, हंसती और नाचती थी। लेकिन सोना की एक अजीब आदत थी। वह दूसरों के साथ नहीं खेलती थी और न किसी से बातचीत करती थी। वह अकेली होकर खेलती थी और लोगों से दूर रहती थी। उसे अपनी सुंदरता पर बहुत गर्व था और वह हमेशा एक सुंदर फूल माला पहनती थी। वह अपने माता-पिता के साथ एक छोटी सी झोपड़ी में रहती थी। झोपड़ी का नक्शा सरल था। यह दो कमरों से बना था, एक कमरा बच्ची और उसके माता-पिता के लिए था और दूसरा कमरा खाने के लिए था।
झोपड़ी के बाहर एक छोटा सा बाग था, जो सोना ने अपने माता-पिता के साथ सजाया था। वह बाग सोना को खेलने की जगह देता था। झोपड़ी की एक छत थी, जो गर्मियों में पूरे परिवार को ठंडा रखती थी। घर के अंदर, सोना ने अपने कमरे को खूबसूरती से सजाया था। उसने दीवारों को रंगीन बनाया था और खुशी से अपनी प्रिय बातों के चित्र और अन्य सुंदर चित्र लगाए थे। झोपड़ी के सामने एक छोटी सी बागवानी भी थी, जहां सोना ने कुछ फूल लगाए थे। उसे फूलों की खुशबू बहुत पसंद थी और उसे इन सबसे बहुत खुशी होती थी क्योंकि यह उसका घर था।
एक दिन, जब वह घर से निकली तो उसने एक लड़के को खेलते देखा जो उससे कुछ समय पहले गांव में आया था। वह उसकी तरफ दौड़ा और उससे कुछ पूछने की कोशिश की। लेकिन वह लड़का उससे बातचीत करने में असफल रहा।
उस लड़की के इस व्यवहार को देखकर उसे थोड़ा अजीब लगा। उसने गांव के अपने दोस्तों से पूछा कि यह लड़की कौन है और क्या उसमें कोई खास बात है? तब उसे पता चला कि यह लड़की अकेली रहना चाहती है और उसे दूसरों से दूर रहना पसंद है। वह लड़का उस लड़की के पास गया और उससे फिर से बातचीत करने की कोशिश की। इस बार सोना ने उस लड़के के साथ बातचीत की और धीरे-धीरे वह दूसरों से भी बातचीत करने लगी। उस लड़के ने लड़की के बारे में अधिक जानने के लिए उससे पूछा तो उसने उसे अपना नाम सोना बताया। वह अपने घर में बहुत सारे भयंकर हादसों के शिकार हुई थी, जिससे वह दूसरों से बातचीत करने में घबराती थी। इस वजह से वह दूसरों से दूर रहना पसंद करती थी। सोना ने उस लड़के से यह भी कहा कि वह अकेले होने से डरती है। उसने उस लड़के से अपने दोस्त बनने की अपील की। उस लड़के ने अपना नाम रोहन बताया और उसे दोस्त बना लिया और उसे समझाया कि वह अकेली नहीं है और वो हमेशा अच्छे दोस्त रहेंगे।
गांव में एक दिन, बच्चों ने उसे जंगल में घूमने के लिए कहा। वहाँ उन्हें एक छोटा सा झरना दिखाई दिया जो बहुत ही सुंदर था। बच्चों ने झरने के पास जाकर खेलना शुरू किया। बच्चों के साथ खेलते खेलते, सोना झरने के पास आई और वह उसके पास बैठ गई। झरने का पानी उसके बालों में बह रहा था और उसकी सुंदरता को और भी निखार दे रहा था। आज सोना बहुत खुश थी और वह झरने के साथ बहने वाले पानी का आनंद ले रही थी।
बच्चों ने झरने के पास थोड़ी दूर एक झोपड़ी देखी जो कि खाली थी। उन्होंने सोचा कि चलो, वहां चलकर खेलते हैं। बच्ची भी उनके साथ चली गई। उन्होंने उस झोपड़ी में खेलना शुरू किया लेकिन कुछ ही समय बाद धीरे-धीरे सभी बच्चे चले गये और सोना अकेली रह गई, तब उसे डर लगने लगा। वह बाहर नहीं निकल सकती थी क्योंकि उसके सामने अंधेरा था। वह चिंतित हो गई थी और उसने कोई भी आवाज नहीं की और डरते-डरते इधर-उधर देखने लगी।