इंडिया संवाद ब्यूरो
नई दिल्ली : देश के जाने माने न्यूज़ नेटवर्क NDTV का सूरज अब डूबने के कगार पर दिख रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगर मनमोहन सिंह की तरह हस्तक्षेप करें तो शायद NDTV के मालिक प्रणॉय रॉय और उनके नेटवर्क को गर्त में जाने से बचाया जा सकता है. लेकिन फैसला उस मोदी को करना है जिसके दामन पर दंगे के दाग लगाने की शुरआत NDTV से हुई थी. 2002 में स्टार न्यूज़ के नाम से देखे जाने वाले NDTV ने सबसे पहले कहा था की गुजरात में चुन चुन कर मुसलमानो को मारा जा रहा है. विवाद उठने पर तब बरखा दत्त ने कहा की दंगे के दौरान मुस्लमान शब्द का प्रयोग इसलिए करना ज़रूरी था क्यूंकि पूरी कौम निशाने पर थी.
मोदी सरकार को करना है प्रणॉय रॉय पर फैसला
बहरहाल गुजरे 13 साल में समय का चरखा पूरी तरह घूम चूका है. तब मोदी पर लगे इल्ज़ामों का फैसला स्टूडियो से प्रणॉय कर रहे थे और आज प्रणॉय पर लगे इल्ज़ामात पर मोदी को फैसला लेना है. प्रणॉय रॉय पर विदेशी मुद्रा के घपले के आरोप 2000 करोड़ से ज्यादा के हैं और अगर ईडी के रिपोर्ट पर यकीं करें तो रॉय पर सीधे सीधे मनी लॉन्डरिंग का मामला हैं. उन्हें पैसों का हिसाब देना है और वो अब तक एजेंसियों को भरोसे में नही ले पा रहे हैं. सच तो ये है की उनकी हालत सुब्रत रॉय जैसी ही है.
अंग्रेजी की प्रतिष्ठित मैगज़ीन कारवां (Caravan ) के मुताबिक राम जेठमलानी ने तो NDTV पर 5500 करोड़ रूपए से ज्यादा की मनी लॉन्डरिंग के आरोप लगाए हैं. NDTV पर कर चोरी के आरोप 3500 करोड़ के हैं. ईडी के नोटिस के अनुसार NDTV ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के तहत 3500 करोड़ रूपए का घपला किया है.दरअसल सभी आरोप NDTV के अस्तित्व पर सवालिया निशान खड़ा करते हैं.
क्या मुकेश अम्बानी ने गुपचुप तरीके से दिए 353 करोड़ रूपए ?
अंग्रेजी पत्रिका कारवां (Caravan ) ने खुलासा किया है कि जब 2008 के ग्लोबल क्रैश में NDTV को भारी नुकसान हुआ तो प्रणॉय रॉय ने इंडिया बुल्स से 501 करोड़ रूपए का कर्ज लिया. इस कर्जे के मकड़जाल में रॉय ऐसा फंसे की वो उधार लेते ही चले गए. मैगज़ीन के मुताबिक इस कड़ी में उन्हें मुकेश अम्बानी की एक कम्पनी शिनानो ने मदद की. जांच में ये बात सामने आयी है की मुकेश अम्बानी की इस कम्पनी ने 353 करोड़ रूपए रॉय को दिए थे. लेकिन जब इस कम्पनी का क़र्ज़ उतारा गया तो ये मालूम नही हो पाया की रकम कहाँ से आई. ऐसा कहा जाता है की शायद ये रकम किसी दबाव या अहसान के बदले रॉय को दान की गयी थी. ये दान मुकेश ही दे सकते थे. हालाँकि इस सिलसिले में अबतक कोई पुख्ता जानकारी सरकारी एजेंसियां नही जुटा पायी हैं.बहरहाल वित्तमंत्रालय के अधीन ईडी के अफसर NDTV के खिलाफ जांच कर रहे है और देखना है की मनमोहन सरकार की तरह मोदी सरकार क्या रॉय के खिलाफ जांच आगे बढ़ाती हैं या एक बार फिर NDTV की फाइल ठन्डे बस्ते के सुपुर्द की जाती है. सरकार अभी तक इस मामले पर चुप ही है.