रविश भाई आपके फरमान को किस हद तक अपनाए अगर टीवी देखना छोड़ दे तो आपके प्राइम टाइम को ९ बजे मिस करेंगे फिर दाल रोटी टीवी चैनलों का कैसे चलेगा?
चलो टीवी देखना छोड़ भी देंगे तो साधन और भी कई है सूचनाक्रांति का दौर है ज़रा संभल के? मुद्दों से ही राजनीती होती है और राजनीती ने ही इस देश का बंटाधार किया है? खैर छोडिए आप तो प्राइम टाइम मुस्कुरा के मुद्दा उछाल देंगे जनता भी देख कर नजरअंदाज कर देगी! राजनीती को नया राजनैतिक मुद्दा परोस कर आप भी सो जाइये जनता भी सो जाएगी राजनैतिक कार्यकर्ता आपस में उलझते रहेंगे फेसबुक और ट्विटर पर उलझे सवाल को सुलझते रहेंगे?
टीवी देखें या न देखे डिजिटल मीडिया तो स्क्रॉल डाउन करते रहिये और पढ़ते रहिये वे ख़बरें जो मुख्यधारा की पत्रकारिता में छिपाई जाती है?