आज़ादी अपनी अपनी बोल अपने अपने?
अभिव्यक्ति आज़ादी अगर हमारा संवैधानिक आधार है तो फिर इस पर सफाई, सवाल और वबाल क्यों?
क्या मेरा अधिकार आपसे कम है या आपका अधिकार मुझसे अधिक, अगर नहीं है तो ये वबाल का रास्ता निकलता किधर से है?
कहीं ऐसा तो नहीं की जब संविधान लिखी गई थी तब से आज के परिपेक्ष में इस परिभाषा की समीक्षा करके पुनः परिभाषित करने की ज़रुरत आन पड़ी है?
आज़ादी अपनी अपनी धर्म अपना अपना तो फिर ये राह में रोड किसने बिछाये, राजनीती? ज़मीन अपनी तलाशनी हो चाहे अस्तित्व बचानी हो मुद्दा देश का मुद्दा है जाती, धर्म, साम्प्रदायिकता, धर्मिनिरपेक्षता, अभिव्यक्ति की आज़ादी? परदे की पीछे की कहानी सत्ता, पैसा और ताक़त?