धर्मनिरपेक्षता को धार्मिक जगह और जलसो से दूर रहना चाहिए मगर जब दो युवराज को मंदिरों के चौखट पे सीश झुकाते हुए देखा गया, तब देश की ऐसा लगा की अब धर्मनिरपेक्षता सत्ता के लिए वो चौखट भी चूमने के लिए तैयार जिसे आज़ादी के बाद से ही धर्मनिरपेक्षता के नाम पे दुत्कारा जा रहा था?
एंटोनी कमिटी न जाने क्या क्या गुल खिलाएगी, और राजनीती कैसे कैसे बदलेगी देखने वाली होगी निकट भविष्य में?