अब लगता है देश में जनता के भी दिन बदलने वाले है, ख़बरों की माने तो चुनाव कैसे लड़े और जीते पर एक किताब आने वाली है, और उसके लेखक कोई और नहीं देश के जाने माने चुनाव रणनीतिकार श्री प्रशांत किशोर जी होंगे!
जिन्होंने २०१४ और २०१५ में एक कई राजनैतिक दलों के गठबंधन को चुनाव जितवा कर अपना लोहा मनवा लिया है!
अगर यह किताब बाजार में आती है तो क्या इसका फायदा जनता को भी मिलेगा इस पर संदेह है? क्योंकि जनता देश की आदि है फ़र्ज़ी तौर तरीकों की तो फिर इस कुंजी का सारा सार किसके लिए होगा, शायद मेहनत करने वालों के लिए?
कक्षा में पढाई हो रही थी देश और चुनाव के विषय पर शिक्षक ने इतना पका दिया की सारे विद्यार्थी ऊब गए और विश्राम करने लगे, इतने में शिक्षक महोदय ने पूछ बैठे अब बताओ देश में अगला चुनाव देश के किस राज्य में है?
एक बच्चे ने कहा पंजाब में, तभी दूसरे बच्चे ने शिक्षक से पूछा क्या इस बार पप्पू (य) जीतेगा, शिक्षक ने कहा पता नहीं बेटे किताब अगर हिंदी में हुई तो पढ़ेगा कौन देश के नागरिक तब बताओ जीतेंगे कौन आम जनता! जब किताब आम आदमी के लिए है तब जीत आम आदमी की ही न होगी?