विमुद्रीकरण अब अपने मंजिल से चंद कदमो की दुरी पे है, शिखर पर पहुँच कर अपनी उपलब्धियों को साकार करने और असफलता के बीच सिर्फ ७ दिनों का समय है.(समय =दिनक २१.११.२०१६ से २६.११.२०१६)
वक़्त के साथ साथ देश, जनता की जब्ज टटोलने वाले विपक्ष के राजनैतिक महारथियों के पास यही एक आखिर मौका होगा अगर चूक गए तो आर पार की लड़ाई में वाजी, केंद्र में सत्ताधारी सरकार के हाथों चली जाएगी?
देश और समाज को इससे क्या फायदे मिलेंगे ये तो आने वाला वक़्त बताएगा मगर देश की जनता उत्साहित है की कुछ बदलने वाला है परिवर्तन किसे अच्छा नहीं लगता है?
इन्तज़ार रहेगा उस वक़्त का जिसके लिए ईमानदारी के इस महापर्व ने आहुति तो कइयों की ली मगर पेशानियों और दुष्वारियों के साथ साथ आने वाले दिन में कुछ अच्छा होगा, आने वाली पीढ़ी खुशहाल होगी तो देश ने जो आहुति दी है वो बेकार नहीं जाएगी?