कल की तारीख २८.११.२०१६ भारत बंद का आह्वान, देश की जनता के प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतिनिधि को, क्या जनता के मूड को भांपने में कहीं चूक तो नहीं हो गई थी?
सब साथ आये और फिर कदम वापस खीच भी लिए सन्देश उनका क्या देश की जनता समझ पाई या फिर जनता अपने आप में ही उलझी रही, इंतजार कीजिये वक़्त बताएगा?
बंद के आह्वान के बाद देश को संबोधन करने के लिए जो हिंदी प्रेम जागा था क्या वो महज एक पानी का बुलबुला था जो वापस बंगाल की राजनीती में अपने जमीन मजबूत करने वापस चला गया? बंगाल देश भर में हड़ताल के लिए जाना जाता है मगर हाल के दिनों में हड़ताल की भी गरिमा कम हुई है, ऐसा रोजमर्रा की ख़बरों से एहसास होता है? तो क्या अब हम यह मान ले की जनता के पास वक़्त नहीं हड़ताल के लिए या इसके फायदे २१वी सदी में न के बराबर है?
मगर कल बंगाल में हड़ताल का आह्वान तो है जिसे बामदलों ने बुलाया है, हड़ताल बंगाल में है तो सफल ज़रूर होगा तो क्या देश यह मान ले की जिस वजह से हड़ताल बुलाया गया है बंगाल में देश उससे अलग राय रखता है? विरोध करना लोकतंत्र में आपका मौलिक अधिकार इसे कोई सरकार नहीं छीन सकती, हड़ताल में साथ देना या उससे दुरी बनाये रखना यह आपका अपना निजी मामला है!
हड़ताल ज़रूर कीजिये:-
कालेधन से मुक्ति के लिए.
बेहतर स्वास्थ सेवा के लिए.
बेहतर शिक्षा व्यवस्था के लिए.
बिजली, पानी और सड़क के लिए.
परिवहन सेवा में सुधार के लिए.
कानून व्यवस्था में सुधार के लिए.
हड़ताल करना आपका अधिकार है ज़रूर कीजिये.