१९६० के दशक की एक फिल्म "काला बाजार" और उस फिल्म का एक सदाबहार गाना जो हिट था हिट है और हिट रहेगा.
खोया खोया चाँद, खुला आसमान,
आँखों में सारी रात जाएगी,
तुमको भी कैसे नींद आएगी?
फिल्म का नाम "काला बाजार" और ऊपर से ये गाना, क्या साहित्य आने वाले का भी आइना होता है? इसी फिल्म के एक गाने के मुखड़े को अगर थोड़ा सा तोडा मड़ोडा जाये तो २१ वी सदी में फिल्मकारों के लिए किये एक नाम उभर कर आता है "खोया खोया कालाधन?
ट्रेलर तो दिख गई कतार के रूप में पुरे देश में, बाकि है, भ्रांति, चरमोत्कर्ष, दहशत और न इस फिल्म की कहानी से क्या क्या निकलेगा इंतजार कीजिये और लुफ्त उठाइये? https://www.youtube.com/watch?v=xGn_DlbyWTg