#BigIshratSecret
क्या देश का राजनैतिक घटनाचक्र घूम गया है? ऐसा क्या हो गया देश में की कुछ दिनों से देश की लगभग हर राजनैतिक दल एक किनारे की तलाश में भटक रही है? अब क्यों उस सहारे के साथ कोई नहीं दिखना चाह रहा है, जिस पार्टी ने इस देश पर सबसे लम्बे समय तक राज किया है!
मंच जो कभी उनके होने से गुलजार हुआ करता था, अब क्यों साथी दुरी बनाना चाह रहें है, घोटालों में विस्व कीर्तिमान स्थापीत करने के बाद, एक सोच जो देश के साथ होनी चाहिए थी सत्ता से दुरी ने सत्ता में वापसी की ललक को इतना अधीर कर देगी की जिसे देश के उन तमाम राजनैतिक पार्टियां ने भी कभी सपने में नहीं सोचा होगा?
उस सोच से राजनैतिक दूरदर्शिता दिखाते हुए लगभग हर एक पार्टी ने किनारा क्या मगर न जाने क्यों देश की तथाकथित सबसे बड़ी राष्ट्रभक्त पार्टी उसमे कूद पड़ी? अब तो पत्रकार भी उनके इस कदम से किनारा करके उनके समर्थन में बदनामी के दाग को धोने में जूट गए है?
झूठ के पुलिंदे की तरह सुसज्जित गुलदस्ता में से एक एक करके जब झूठे फूल/पत्ते झड़ कर पतझर के मौसम की तरह जमीन पर जमींदोज हो रहे है तब ISI की निशानिया भी बेमानी होती जा रही है?
जब देश के पत्रकार तठस्थ न रह कर एक विचाधारा के समर्थन में सामने आते है और उनकी सोच भी जब देश के सामने नंगी हो जाती है तब लगता है राजनीती भी क्या चीज़ है जिसे समझने के लिए न जाने कितने जन्म लेने पड़ेंगे?
अंत में तो यही कहा जा सकता है की नेता जब अंग्रेजी में हिंदी समझाने लगे तो समझ लीजियेगा की देश में राजनीती बदलने का वक़्त आ गया है, और सत्ता के साथ साथ व्यवस्था का भी बदलना बहुत ज़रूरी है?