राजनैतिक गलियारों में भी टॉपर्स के लिए स्थान सुरक्षित है जिसे देश और देश की जनता अपर हाउस या राज्यसभा के नाम से जाना जाता है?
बिहार के टॉपर्स और यहाँ के टॉपर्स में भी कोई खास ज्यादा अंतर नहीं है जहाँ तक चुनने का सवाल है पढाई लिखाई हो चाहे जनता से चुनावी मुकाबले में भले ही कोई मात खा जाये मगर एक व्य्वस्था है देश में टॉपर्स बनने की?
इस प्रक्रिया के तहत जनता के नकारे हुए प्रतिनिधि, या फिर जो पढ़ने लिखने में कमजोर है उनको तबज्जो दी जाती है और RBI गवर्नर के दस्तक किये हुए उत्तरपुस्तिका के साथ संल्गन रंगीन कागज बाकी का काम कर देती है?
हमारा देश महान है क्योंकि व्य्वस्था नादान है? मगर इस नादानी को आप कम कर मत आंकिएगा देश को बर्बादी के कगार तक पहुँचाने में इनका भी अहम योगदान है? इनसे मुकाबला आसान नहीं होता क्योंकि यह उनके अस्तित्व का सवाल है, और चुनौती देने वाले की ज़िन्दगी का?