"पंजाब" "दिल्ली" नहीं है,
चुनावों के नतीजों पे एक आंकलन ११ मार्च से पहले, बाद के परिणाम के लिए इंतजार कंपनी के समय से अपने घडी का समय मिला ले.
१. पंजाब दिल्ली के दिल के कितने करीब है, इसका आंकलन अगर आज की तारीख में लगाया जाये तो "हाथ में झाड़ू" थामने के जैसे है!
२. देश के प्रदेश जिसकी राजनीति क हैसियत को नकारना, जो देश की राजनैतिक परिस्थिति को बदलने में सक्षम है, पुत्र मोह का शिकार भी है? महाभारत काल के मामा भांजे वाली शकुनि की कहानी याद दिलाती यही: त्रिशंकु विधानसभा वाली स्थिति पैदा कर सकती है?
३. पर्वतों पे देवी, देवताओं का वास् है और वहां कमल के फूल से प्रदेश की आराधना होगी!
४. देशी विदेशी, मिली जुली संस्कृति का प्रदेश समुद्र तात पे जो वसा है अपना पुराना रुतवा ही कायम रखेगा? इसकी पुष्टि कौशाम्बी में स्वयं, देश में बदलाव लाने वाले नेता कर चुके है! परेशान ज़रूर कमल के खिलने में कर सकते है?
५. सूर्य की पहली किरण पूर्व दिशा है निकलती है और वहां पे चुनाव में राज्य एक नया सवेरा का इंतजार कर रहा है, अंदेशा है बदलाव के लिए मत पड़ेंगे? पंजा कितना कमल के खिलने में बाधक है ११ मार्च की तारीख बतलायेगी!