( SECULARISM ) सेकुलरिज्म शब्द के मायने क्या है :- ""कहीं नास्तिकवाद तो नहीं?"
मोटे तौर पर देखे तो धर्मनिरपेक्षता ही सबसे उचित और सटीक मायने सेकुलरिज्म का लगता है, मगर जब हम धर्मनिरपेक्षता शब्द की गहराई से विश्लेषण करते है तो पाते है की इसके मायने मतलब तो हर कोई अपने हिसाब से चाहता है और शब्द के मतलब को हर कोई अपने हिसाब/तरीके से परिभाषित करना चाहता है जो शायद इस देश की राजनीती के द्वारा राजनीती में ही सम्भव है?
देश की राजनीती से देश ने पिछले ६७ सालों में बहुत कुछ देखा और सीखा है, अगर यह परिभाषा सही होती तो इस राजनैतिक के पोषक का वो हर्ष नहीं होता जो दिख रहा है, ज़रूर इसमें कहीं न कहीं कोई खोट है? तभी तो इसको दोबारा से सही रूप में प्रस्तुत करने की ज़रुरत महसूस की जा रही है और हो भी रही है?
इतिहास गवाह है देश का पिछले ६७ सालों में न जाने कितने राजनेताओं ने इस शब्द के पक्ष और विपक्ष में खड़े होकर सत्ता का सौदा जनता से सत्ता हथियाने के लिए किया, तो फिर क्या हम इतिहास भूल जाये या याद रखें?
चुनाव अभी बिहार में है और इस शब्द का राजनैतिक इस्तेमाल तो सत्ताधारी और विपक्ष ने बखूबी किया है तो हम कैसे मान ले की इस शब्द का सही उपयोग देश में हो रहा है? गिरगिट की तरह रंग बदलने वालों की पहचान सबसे पहले ज़रूरी है?
शब्द अपने आप में कोई बुरा नहीं है इसके गलत इस्तेमाल पर रोक ज़रूरी है, लोकतान्त्रिक देश को किसी के बलबूते पे छोड़ देना कहाँ तक जायज है जनता मालिक है देश की और देश कानून के राज तहत चलना चाहिए?
शब्द सेकुलरिज्म का एक मतलब और भी है नास्तिकवाद, जो इस शब्द को सही तौर पे परिभाषित करता है, मगर देश की राजनीती इससे घबराती है डरती है मगर क्यों, सही मायने में तो सच्ची धर्मनिरपेक्षता का प्रयाय तो कहीं नहीं है? क्योंकि जब तक हम अपने धर्म को मानेगे तब तक सही मायने में धर्मनिरपेक्षता को अपना नहीं सकते? और अगर हम किसी भी धर्म को अपनाते है तो धर्मनिरपेक्ष रह पाना कैसे सम्भव हो पायेगा किसी भी समुदाय के लिए यह एक स्वाभाविक मनोस्थिति है?
इसीलिए नास्तिकवाद को ही अगर सही मायने में धर्मनिरपेक्ष मान लिया जाये तो क्या बुराई है इसमें किसी भी स्थापित धर्म की कोई भी रूप रेखा मौजूद नहीं है, इनसानियत पे भरोषा करता है और इंसान बने रहने की प्रेरणा देता है! राजनीती इसको किसी न किसी मोड़ पर तकनीक से जोड़ कर इस मतलब को निरश्त कर देगी और पढ़े लिखे लोगो को ये अंगूठा छाप सदा की तरह आइना दिखा देंगे?
धुल तो चेहरे पर है आइना साफ करने से क्या हासिल होगा?