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कचोटती तन्हाइयां -भाग 18

2 अगस्त 2023

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" ओहो , एक तो सूर्य प्रताप का नंदिनी के प्रति  ऐसा व्यवहार कि भाई शिव के द्वारा उसके संदूक में जेवर रख देने से आग बबूला हो जाना , अपनी हजारों एकड़ की जमीन में से शिव प्रताप को महज ढा़ई सौ एकड़ देना ऊपर से अब रईस बहू की वजह से खटपट भी होगी क्या हवेली में !!" मादा गौरैया ने नर गौरैया से विस्मय से पूछा जिससे नर गौरैया  बोला -" बहुत चाव से कथा सुन रही हो , ये तो आगे की कथा सुनो तब पता चले ,,, "और नर गौरैया आगे की कथा सुनाने लगा --
मानसी ने शिव प्रताप की बात सुनी मगर उसने कुछ कहने के बजाय इस मामले में चुप्पी धारण करना ही उचित समझा ।
शिव प्रताप लेटा हुआ अपने विचारों में खोया हुआ था ,मानसी उठी और जाने लगी ।

"रात हो गई है तुम कहाँ जा रही हो ?" शिव प्रताप ने मानसी को जाते हुए देखकर पूछा ।

"आती हूँ "कहकर मानसी कक्ष से निकल कर दिव्या के कक्ष का द्वार खटखटाने लगी ।

" कौन है ?भीतर आ जाओ ।"दिव्या ने कहा और मानसी दिव्या के कक्ष में जाकर उसके पास खडी़ होकर बोली -"माँ ,आपके चरण दबाने आई हूँ ।" 
सूर्य प्रताप भोजन कर चुके थे और हाथ धो रहे थे ,उन्होने बहू को अपने कक्ष में जाते देखा था तो वहीं हवेली के प्रांगण में ही ठहर गए थे ।

"इसकी क्या आवश्यकता है बहू !!तुम विश्राम करो जाकर।" दिव्या उठते हुए बोली ।

"आवश्यकता है माँ ।"कहकर मानसी दिव्या के पाँव दबाने लगी ।

दिव्या ने मानसी से कहा -"बहू तुम्हारा चूल्हा पूजन हो गया है तो अब तुम पाकशाला सँभालो , तुम्हारे पिता अभी रात्रि का भोजन करते हुए फिर पूछ रहे थे कि पाकशाला में सुरतिया क्यों है जबकि मैंने कहा था कि बहू ही पाकशाला में भोजन बनाएगी व परोसेगी ।"

मानसी ,दिव्या के पाँव दबाती रही ,कोई उत्तर न दिया ।अब यही होने लगा था , मानसी दिव्या के व सूर्य प्रताप के कपडे़ धोकर उन्हें इस्त्री करके कक्ष में रखती ,दिव्या के केश सँवारती , उनके कक्ष में उनके लिए दोनों समय का नाश्ता स्वयं लेकर जाती,  हर तरह से वो दिव्या की सेवा कर रही थी पर दिव्या हर बार मानसी को भोजन बनाने के लिए पाकशाला सँभालने को कहती और मानसी हर बार उसे मौन ही अर्पण करती थी ।

सूर्य प्रताप भानु पाकशाला में सुरतिया को देखते तो दिव्या पर भड़कते और दिव्या कहती कि कल से बहू पाकशाला सँभालेगी ,कल आता ही नहीं और सूर्य प्रताप का क्रोध बढ़ ही रहा था ।
दिव्या महसूस कर रही थी कि बहू सेवा कार्य में पीछे नहीं है बाकी सारे कार्य भी वो बिना आलस्य किए करती है मगर उसे पाकशाला में भोजन बनाना न सुहाता है ।

एक दोपहर सूर्य प्रताप भानु भोजन करने हवेली के भीतर पधारे तो वहाँ उन्होनें सुरतिया को ही नित्य की भाँति पाया,सूर्य प्रताप भानु का पारा चढ़ गया ,दिव्या उन्हें पंखा झलने को बैठी थी ।
सूर्य प्रताप ने पूछा -" बहू पाकशाला में क्यों न है ?" 
दिव्या ने कहा -"जी कल ,,," दिव्या आगे कुछ कहती इससे पहले ही सूर्य प्रताप भानु ने भोजन का थाल खडे़ होकर जो फेंका वो झन्नाटेदार आवाज के साथ अलग गिरा जाकर और सारा भोजन भूमि पर बिखर गया ।सूर्य प्रताप चीखे -"कल,कल,कल ,,,, थक चुका हूँ सुनते सुनते ,, मैं कहे देता हूँ रात्रि को मैं आऊँ तो पाकशाला में बहू मिलनी चाहिए ,, वो क्या बैठे बैठे रोटियाँ तोड़ने के लिए ही आई है !!" और पाँव पटकते हुए हवेली से बाहर चले गए ।
सूर्य प्रताप की आदत थी वो न सुरतिया से और न बहू मानसी से प्रत्यक्ष कुछ कहते ,जो कहना होता वो दिव्या से ही कहते थे ।

ये प्रथम बार था जब सूर्य प्रताप दिव्या पर इतनी बुरी तरह बरसे थे ।दिव्या रोआसी होकर  भोजन किए बिना ही अपने कक्ष में जाकर लेट गई ।

दिव्य प्रताप कहाँ अवसर चूकने वाला था भला !! वो दिव्या के कक्ष में गया और दिव्या के पैरों के पास बैठकर बोला -"माँ ये भी कोई बात है भला !! भाभी को पाकशाला में भोजन बनाना चाहिए ,, वो ऐसा न कर घर में तनाव का माहौल बना रही हैं ,,, मेरी पत्नी होती और उसकी वजह से मेरी माँ को ये सब सुनना पड़ता तो मैं तो उसके केश पकड़ कर हवेली से बाहर कर देता ,,,  
मेरे माँ और पिताजी को किसी भी प्रकार की तकलीफ मैं सह न सकता और आपकी व पिताजी की आज्ञा की अवहेलना !!राम !राम!राम !!

दिव्य के इन्हीं बोलों पर दिव्या रीझ जाती थी और शिव प्रताप वास्तव में माँ के लिए सबकुछ करके भी उनका प्रिय न हो पाता था ,कारण उसे ये बस मीठी मीठी बातें करना न आता था ।

दिव्य माँ को अपने मीठे बोलों से भरमा ही रहा था कि दिव्या के कक्ष में मानसी ने प्रवेश किया ।मानसी नित्य की भाँति दिव्या के समीप जाकर बोली -"लाइए माँ मैं आपके चरण दाब दूँ ।" 
दिव्य मुस्कुराता हुआ चला गया ।
दिव्या उठ कर बैठ गई और तैश में बोली -"एक काम कर तू मेरा सीधे गला ही दबा दे ,, तेरे कारण आज पहली बार वो मुझपर इतना झल्लाए हैं !!
तुझे पाकशाला में भोजन क्यों न बनाना !! मेरे दिव्य की बहू होती तो मेरा कहना क्या टालती !! " 
मानसी बहुत समझदार व दिल की साफ व अच्छी थी  ,उसने दिव्या से कहा -"माँ मुझे पाकशाला में भोजन बनाने की आदत नहीं है ,,हाँ तीज त्योहारों पर पकवान बनाना बहुत भाता है ।"

दिव्या आवेश में कुछ कहती इसके पूर्व ही सुरतिया दिव्या के कक्ष में आकर बोली -"बहू रानी ,आप एक कार्य करो जिसमें आप भी खुश ,मालिक भी खुश ।"

"अच्छा ! वो क्या ,पहले मुझे ही बताओ सुरतिया।"दिव्या ने हैरानी से पूछा ।
"देखिए मालकिन , मालिक हवेली में दोनों समय जब भोजन करना होता है तभी आते हैं ,तो दोनों समय जब मालिक भोजन करने आएं उस समय बहू रानी पाकशाला में रहें और मालिक को भोजन परोस दें ,, मालिक बहू रानी को पाकशाला में देखकर यही समझेंगे कि भोजन बहूरानी ने बनाया है ,,और जब वो भोजन गृहण कर चलें जाएं तड बहू रानी भी पाकशाला से निकल लें ।
दिव्या और मानसी दोनों को सुरतिया का विचार श्रेष्ठ लगा ..........शेष अगले भाग में।

डा भागेन्द्र ठाकुर

डा भागेन्द्र ठाकुर

घर की बिगड़ी हालत सुधारने के लिए क्या क्या पापड़ बेलने पड़ते हैं। घटनाक्रम की गति सुन्दर है।

14 सितम्बर 2024

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

14 सितम्बर 2024

प्रशंसनीय, सटीक और सारगर्भित प्रतिक्रिया हेतु आपका अनंत आभार आदरणीय 😊🙏

brajmohan panday

brajmohan panday

बहुत सुन्दर लेखन शैली है कहानी की,,, शुभकामनाएं।

14 मार्च 2024

Sandhya

Sandhya

बहुत अच्छी कहानी

24 अगस्त 2023

46
रचनाएँ
कचोटती तनहाइयाँ
4.8
मैं आप सबके लिए एक नई कहानी लेकर आई हूँ ,जिसका शीर्षक है 'कचोटती तनहाइयाँ '। मेरी ये कहानी पूर्णतः काल्पनिक है ।मेरी ये कहानी है कहानी के नायक सूर्य प्रताप भानु व उसकी सहधर्मिणी दिव्या प्रताप भानु की । सूर्य प्रताप भानु जो अपने पूर्वजों द्वारा प्राप्त हजारों एकड़ भूमि का स्वामी है और दो बेटों शिव प्रताप भानु व दिव्य प्रताप भानु का पिता है । मेरी ये कहानी 'कचोटती तनहाइयाँ ' वृद्धावस्था में अपनी कचोटती तनहाइयों से जूझ रहे सूर्य प्रताप भानु व दिव्या प्रताप भानु की है,अपनी कचोटती तनहाइयों के लिए ये दोनों स्वयं जिम्मेदार हैं ।हर बार इंसान की औलाद ही दोषी न होती है ,कभी कभी माँ और बाप भी ऐसा कुछ कर जाते हैं जिसका परिणाम उन्हें अपनी वृद्धावस्था में भुगतना पड़ता है जैसे सूर्य प्रताप भानु व दिव्या प्रताप भानु भुगत रहे हैं । आखिर हुआ क्या !! ये जानने के लिए पढे़ं मेरी कहानी -'कचोटती तनहाइयाँ ' 😊🙏🙏
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कचोटती तनहाइयाँ-भाग 1

26 जुलाई 2023
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गोधूलि बेला होने वाली है ।गोधूलि बेला में चरवाहे अपने गोवंशों को घर ले जाते हैं, भगवान भास्कर अपना उदास,क्लांत, मुख लिए पश्चिम में जाते हैं और विहग अपने नीड़ की तरफ लौटते हैं ,ऐसे ही गोधूलि बेला में ग

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कचोटती तनहाइयाँ-भाग 2

26 जुलाई 2023
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कथा सुनते मादा गौरैया सोने लगी थी और नर गौरैया भी ऊँघने लगा था ।"ऊँहहूँ , बडी़ आफत है !दिनभर मजदूरी करके आओ,रात में सोने को मिलता है तो ये बुढ़ऊ भक्क भक्क लगाकर सारी नींद बिगाड़ देते हैं !!"सत्य शरण न

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 3

28 जुलाई 2023
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उस दिवस जो, विहग ने सूर्य प्रताप भानु और दिव्या प्रताप भानु के कक्ष से निकलकर हवेली के प्रांगण में बने अपने कोठर में बैठकर अपना सिर अपनी गर्दन पर टिका लिया था , तो उस दिवस से उसने सूर्य प्रताप भानु के

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 4

28 जुलाई 2023
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दिव्य प्रताप भानु ,नंदिनी के साथ इसलिए न खेलता कि कहीं वो उससे उसके खिलौने न माँग ले और दूसरी बात अपनी बहन नंदिनी के जन्म पर जो उसके पिता ने कहा व व्यवहार किया था ,उसके कोमल मन पर उसकी छाप बन गई थी ,उ

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 5

28 जुलाई 2023
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नंदिनी हवेली के मुख्य दरवाजे की ओट से अपना मासूम मन लिए हुए बाहर बैठे पिता व दोनों दादा को देख रही थी।सूर्य प्रताप भानु ने तो नंदिनी का विद्यालय में दाखिला तक न करवाया था ,नंदिनी दिव्य प्रताप भानु को

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 6

29 जुलाई 2023
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सूर्य प्रताप भानु के तीनों बच्चे बडे़ हो रहे थे ।अपनी उम्र पूरी करके दिव्या का प्रिय विहग स्वर्ग सिधार गया था ,जिसकी वजह से दिव्या बहुत शोकाकुल रहने लगी थी। शिव प्रताप भानु पिता के कार्यों में हाथ बँट

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 7

29 जुलाई 2023
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"मेरी पीठ पीछे क्या होता रहता है !! स्पष्ट बताओ,पहेलियाँ न बुझाओ !!"सूर्य प्रताप भानु ने कहा।शिव प्रताप भानु हैरानी से छोटे भाई दिव्य को देखने लगा कि ये क्या कहने आया है यहाँ !!दिव्य प्रताप भानु ने कु

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 8

29 जुलाई 2023
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नर गौरैया ने आगे की कथा मादा गौरैया को पुनः सुनानी आरंभ कर दी --जहाँ एक तरफ शिव प्रताप के मन में अपने पिता सूर्य प्रताप के प्रति पर्याप्त खटास आ गई थी वहीं दिव्य प्रताप ने मन ही मन निश्चय किया था कि प

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 9

30 जुलाई 2023
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श्रीधन सूर्य प्रताप भानु के समीप खडे़ होकर बोला -"मालिक अपनी हवेली के दक्षिण तरफ जो मुख्य मार्ग गया है उस पर जाकर आगे चलकर जो थोडा़ वन क्षेत्र पड़ता है ,उसके आगे ही एक नदी पड़ती है ,,वो नदी पार करने क

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 10

30 जुलाई 2023
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सुरतिया पाकशाला का कार्य समेट रही थी और समेटते समेटते ही उसने मनिका व नंदिनी की बात सुनी थी तो उसका मन भी खिन्न हो गया था ,होता भी क्यों नहीं !! माना हवेली के भीतरी कार्यों में लगे रहने की वजह से उसे

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 11

30 जुलाई 2023
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"जानती हूँ मैडम जी ,, उसी संबंध में बात करने आई हूँ।"सुरतिया ने दिव्या के पैरों के पास भूमि पर पडी़ दरी पर बैठते हुए कहा ।"हाँ बोल क्या बात करनी है तुझे ?"दिव्या ने पूछा ।"वो मैडम जी ,कल रात से

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 12

30 जुलाई 2023
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दिव्या का बुझा और उदास मन याद करने लगा कि कब 'इन्होनें' मुझसे प्यार से बात की !! विवाह के बाद से अभी तक इन्होने उसपर अपनी व्यस्तता ही तो थोपी , अपना रौब ही तो झाडा़ और कुछ नहीं ,,, प्यार के दो बोल तो

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 13

31 जुलाई 2023
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नंदिनी के विवाह के दो दिन रह गए थे और दिव्या मन ही मन ये सोचकर कुढ़ रही थी कि इनको लोकलाज की भी परवाह नहीं है ,, ये नहीं सोचते कि सामने भले कोई न बोले मगर पीठ पीछे तो लोग हँसकर कहेंगे ही कि देखो

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 14

1 अगस्त 2023
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दिव्य प्रताप भानु प्रसन्न होता हुआ ,मन ही मन अपनी पीठ थपथपाता हुआ हवेली के बाहर जा रहा था कि मैं जैसा सोच रहा था सबकुछ वैसे ही हो रहा है अब मुझे अपना दाँव खेलना है ।गोपी हवेली के सामने वाले शिव मंदिर

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 15

1 अगस्त 2023
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पूरे विधि विधान से कुशलता पूर्वक नंदिनी का विवाह संपन्न हो गया था और विवाह संपन्न होते होते भोर हो गई थी ।भोर में कलेवा होने लगा ।सूर्य प्रताप भानु ने हवेली के बाहर बने बरामदे में कलेवा में ही नंदिनी

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 16

2 अगस्त 2023
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नंदिनी मनिका को लेकर विदा होकर नवीश के साथ चली गई ,तत्पश्चात श्रीधन हवेली की और उसके सामने शिव मंदिर की सारी सजावट कृषकों की मदद से हटवाने लगा ।शिव प्रताप भानु रात का बचा भोजन व मिठाइयाँ भीतर रखवाकर प

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 17

2 अगस्त 2023
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अब वो समय आ गया था जब शिव प्रताप भानु और दिव्य प्रताप भानु दोनों के विवाह के लिए रिश्ते आना प्रारंभ हो गए थे।सूर्य प्रताप लड़की वालों से वार्ता करते और उनके द्वारा लाई उनकी बेटी की फोटो हवेली के

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 18

2 अगस्त 2023
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" ओहो , एक तो सूर्य प्रताप का नंदिनी के प्रति ऐसा व्यवहार कि भाई शिव के द्वारा उसके संदूक में जेवर रख देने से आग बबूला हो जाना , अपनी हजारों एकड़ की जमीन में से शिव प्रताप को महज ढा़ई सौ एकड़ दे

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 19

2 अगस्त 2023
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जब से सूर्य प्रताप ने अपनी वसीयत कर अपनी हजारों एकड़ की भूमि में से शिव प्रताप को महज ढा़ई सौ एकड़ भूमि दी थी और दिव्या ने भी इस पक्षपात पर कुछ न कहा था तब से शिव प्रताप के मन से माँ दिव्या भी दूर हो

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 20

3 अगस्त 2023
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दिव्या व मानसी बात कर ही रही थीं कि दिव्या के कक्ष में दिव्य ने प्रवेश किया ।"अरे दिव्य ,मेरा लाड़ला बेटा ,आओ ,आओ ।"दिव्या ने उठकर आगे बढ़ते हुए दिव्य प्रताप भानु से स्नेह का गागर उडे़लते हुए कहा ।दिव

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 21

3 अगस्त 2023
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श्रीधन दिव्य से कुछ भी कहने की हिम्मत न कर सका और दिव्य की तरफ देखकर -"नहीं ,कुछ नहीं बेटा"कहकर वापस हवेली के पीछे बने अपने घर लौट गया ।श्रीधन के घर जाने के दो रास्ते थे ,एक हवेली के गलियारे से होते ह

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 22

7 अगस्त 2023
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।श्रीधन हवेली में दबे पाँव आ तो गया मगर चूंकि वो प्रथम बार हवेली के भीतर आया था तो उसे दिव्य प्रताप भानु का कक्ष कौन सा है ये न पता था अतः वो हर कक्ष के पास से दबे पाँव गुजरता हुआ हर कक्ष के अंदर झांक

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 23

7 अगस्त 2023
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" उफ़ ! ये दिव्य तो बहुत ही बुरा इंसान है, अपने ही भाई को फंसा रहा है जबकि उसकी कोई ग़लती ही नहीं इस सब में !!" मादा गौरैया ने नर गौरैया से कहा ।" हां ,ये इंसान और इनकी प्रकृति ऐसी ही होती है ,ये अपने

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 24

7 अगस्त 2023
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सुरतिया श्रीधन को लेकर अस्पताल के बाहर पड़े परिसर के एक वृक्ष के नीचे बैठ गई और रोते हुए बोली - "ये आपने क्या कर दिया ! अब हम कहां रहेंगे ,क्या खाएंगे ! " " मैं भी जा रहा हूं दिव्य दादा , यहां कब

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7 अगस्त 2023
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कनक बिना कुछ कहे ही चली गई, बडे़ और उदार ह्रदय वाली मानसी ने भी घर में शांति बनी रहे इस हेतु आगे कुछ न कहा और सारे कार्य स्वयं ही करती रही ।मानसी की चुप्पी से कनक और ज्यादा मनमानी करने लगी और मा

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7 अगस्त 2023
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"क्या ! पिताजी ने हमारे साथ इतना पक्षपात किया और मां ने कुछ न कहा क्या !आप भी तो उनके बेटे हो और बडे बेटे हो कोई आपको कहीं से उठा कर तो न लाया गया !!"मानसी ने राज प्रताप भानु को सुलाते हुए कहा ।" एक त

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8 अगस्त 2023
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"ये कैसा बंटवारा है पिताजी !! पूरी हवेली दिव्य प्रताप भानु की और जितना परिसर पड़ा वो सब मेरा !! मैं पहले अपने लिए घर बनवाऊं तब जा कर रह पाऊं !! "शिव प्रताप भानु ने हैरानी में भरकर पिता सूर्य प्रताप भा

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 28

8 अगस्त 2023
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हवेली के पीछे श्रीधन के लिए जो घर सूर्य प्रताप भानु ने दिया था वो बस दो कक्षों का एक छोटा सा घर था जिसमें एक कक्ष इतना छोटा था कि उसमें पाकशाला ही हो सकती थी , दूसरा कक्ष ही था जिसमें दो पलंग पड़ने के

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8 अगस्त 2023
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जैसे जैसे बच्चे बडे़ हो रहे थे उन्हें चीजें समझ आ रही थीं । शिवन्या, शिवल्या और शिवाली को समझ आने लगा था कि बाबा उन्हें पसंद न‌ करते हैं तो वो अब हवेली न‌ जाकर अपने यहां शिव‌ मंदिर के सामने ही अपने गु

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8 अगस्त 2023
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दिव्य प्रताप भानु के बच्चों की पढाई हो चुकी थी इसलिए वे अपनी मां कनक के साथ हवेली ही रुक गए थे मगर दिव्य प्रताप भानु की सरकारी नौकरी थी अत: वो वापस चला गया था ,कनक ने दिव्य प्रताप भानु से कह दिय

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 31

10 अगस्त 2023
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शिव प्रताप भानु को एक पिता का जो स्नेह सूर्य प्रताप भानु से न मिला था वो उसे श्रीधन से मिलता महसूस होता था ,यही कारण था कि वो श्रीधन से हर छोटी-बड़ी बात कहकर अपना मन हल्का कर लेता था ।आज भी वो अपने खे

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10 अगस्त 2023
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मानसी शिव प्रताप भानु के पास बैठती हुई बोली ,-" राज और राग दोनों हवेली के बंटवारे की बात करने पिताजी के पास जाएंगे , मुझे तो यही लग रहा है कि पहले तो पिताजी ही उसके बाद दिव्य प्रताप और उनके दिवाकर व द

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10 अगस्त 2023
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मानसी बोली -" उनके बाप का नहीं मगर उनके बाबा का तो घर है ,वो बाबा ,जिनका स्वास्थ्य इतना खराब हो गया था कि वे मरणासन्न हो गए थे तब तो तुम और देवर जी अपने -अपने मुंह छुपाए वहां पड़े हुए थे तब इनके बाप न

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 34

10 अगस्त 2023
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पिता ससुर सूर्य प्रताप भानु के इस निर्णय को सुनकर कनक का मुंह उतर गया और दिवाकर प्रताप भानु और दिनकर प्रताप भानु के चेहरों पर भी बारह बज गए ।सूर्य प्रताप भानु ने आगे राज प्रताप भानु और राग प्रता

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 35

10 अगस्त 2023
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सबके पेट दुख रहे थे दिव्य प्रताप भानु और उसके बेटों को हवेली में रहते देखकर ,खाना न‌ हजम हो रहा था ,हवेली बंटवा ली तभी सबके कलेजे को ठंड़क पड़ी ।"दिव्या यूं भुनभुनाते हुए ये भी न सोच रही थी कि उ

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 36

11 अगस्त 2023
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"पिताजी , आपकी पोती का श्रावस्ती जिले में विवाह देख आया हूं , आपको विवाह की बातचीत तय करने चलना है ।" शिव प्रताप भानु ने कहा ।दिव्यांश प्रताप भानु को पता चला कि शिव प्रताप ताऊ जी आए हैं तो

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 37

11 अगस्त 2023
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राज प्रताप की बात सुनकर शिव‌ प्रताप भानु समझ गया कि इसने मेरी और मानसी की विगत रात्रि की बात सुन ली है तभी इसने अपनी दादी के समक्ष प्रश्न उठाया है वहीं राज प्रताप भानु के मुंह से 'बाबा की तो पूरी तिजो

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 38

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बाबा सूर्य प्रताप भानु का उत्तर सुनकर राज प्रताप भानु और राग प्रताप भानु उठकर जाने लगे ।घर के अंदर से अपने ट्रांसपोर्ट के लिए जाते दिनकर प्रताप भानु ने बाबा और राज दादा व राग दादा की बात सुनी और वो व्

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 39

11 अगस्त 2023
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दिव्यांश प्रताप भानु , शिवन्या के विवाह में सम्मिलित हुआ था , ये राज प्रताप भानु को तो न बुरा लगा क्योंकि वो सुलझे दिमाग का और सह्रदय था मगर राग प्रताप भानु का उसको देखकर मुंह बना ही रहा ।अगले दिन जब

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 40

12 अगस्त 2023
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सूर्य प्रताप भानु ने अपने दरवाजे पर राज प्रताप भानु और राग प्रताप भानु को आया देखकर उनसे कहा -" कहो शिव प्रताप के दूतों , आज शिव प्रताप की तरफ से क्या संदेश लेकर आए हो !!" " चरण स्पर्श बाबा , हम

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 41

13 अगस्त 2023
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शिवल्या भी अपने भाइयों , पिता व मां को परेशान‌ देखकर दुखित थी और दोपहर का भोजन‌‌ कर अपने कक्ष में लेटी हुई करवटें बदलती जा रही थी , जब चैन‌ न पडा़ तो सोचा कि चलकर कुछ क्षण शिव‌ मंदिर में ही बैठूं ! और

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 42

13 अगस्त 2023
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दिव्यांश प्रताप भानु का विवाह कुशलतापूर्वक निपट गया था और शिवन्या और शिवल्या अपने अपने पतियों के साथ अपने ससुराल वापस जाने के लिए सामान बांध‌ रही थीं ।सामान बांधने के बाद शिवन्या और शिवल्या दोनों मां

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 43

13 अगस्त 2023
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राज प्रताप भानु खेतों पर काम करते हुए पिता से बोला -" पिताजी ,आप चिंता न करें, शिवाली ने कह दिया है मगर वो एक दिन‌ भी भूख सह न पाएगी और भोजन कर लेगी , वो एक दिन भोजन न करे वो मैं सह सकता हूं मगर उसको

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 44

15 अगस्त 2023
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शिवाली के लिए इसके आगे एक शब्द भी कहा तो मैं तुम्हारी जुबान खींच लूंगा ,मुझे शिवाली के लिए ऐसे शब्द सुनना कदापि स्वीकार नहीं है , तुम्हें पूरी सौ एकड़ भूमि चाहिए ना , ठीक है तुम्हें पूरी सौ एकड़ भूमि

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 45

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शिव प्रताप भानु का कोई समाचार न‌ मिलने के कारण श्रीधन का मन छटपटाता रहा ........... राज प्रताप भानु बहन शिवाली के विवाह की तिथि समीप आने के कारण विवाह की बची हुई तैयारियों में लगा था और उसी मध्य

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 46अंतिम भाग

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दिव्या और सूर्य प्रताप भानु घर के मुख्य दरवाजे से पहले बने बरामदे के ऊपर बने कमरे में ले गए , और दिव्य प्रताप भानु और कनक , दिनकर प्रताप भानु और उसकी पत्नी सहित चले गए ।दिव्य प्रताप भानु ने चतुराई के

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