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कचोटती तनहाइयाँ-भाग 1

26 जुलाई 2023

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गोधूलि बेला होने वाली है ।गोधूलि बेला में चरवाहे अपने गोवंशों को घर ले जाते हैं, भगवान भास्कर अपना उदास,क्लांत, मुख लिए पश्चिम में जाते हैं और विहग अपने नीड़ की तरफ लौटते हैं ,ऐसे ही गोधूलि बेला में गौरैया दंपत्ति अपने नीड़ की तरफ उडा़ने भर रहे थे ।
अपने नीड़ में पहुँचकर नर गौरैया अस्थाचल सूर्य को देखने लगा ।
" ये आप नित्य ही अस्थाचल सूर्य को ऐसे क्यों देखते क्या सोचते रहते हैं !! ऐसी क्या खास बात है अस्थाचल सूर्य में ,, मुझे न बताएंगे !!"मादा गौरैया बहुत समय से देख रही थी कि उसका स्वामी नर गौरैया अस्थाचल सूर्य को बहुत ध्यान से देखता  कुछ सोचता रहता है ,आज हिम्मत कर वो पूछ ही बैठी थी ।

"जानती हो ,जब भगवान भास्कर उदय होते हैं ,आकाश में अपनी रश्मियाँ बिखराते ,आग उगलते हैं जिससे जनजीवन ग्रीष्म से त्रस्त हो जाता है , ऐसा आभास होता है कि जैसे सूर्यदेव को अभिमान हो जाता है कि मैं ही हूँ जो अपने प्रकाश से संसार को प्रकाशमान कर रहा हूँ ,, पर जब उनकी शक्तियाँ क्षीण होने लगती हैं ,वे शिथिल होते जाते लुप्त होने के कगार पर आते हैं तब उनकी रश्मियाँ भी अपना रूप परिवर्तित कर लालिमायुक्त होकर उनका साथ देने में असमर्थता प्रकट करती हैं और तब कोई उन्हें प्रणाम तक न करता है ,,   मानव जगत की यही रीति है ,,," नर गौरैया मादा गौरैया से बोला ।

"मानव जगत की रीति !! ऐसा क्यों कह रहे हैं आप !! बहुत समय से देख रही हूँ कि आप कहीं खोए खोए रहते हैं , कोई बात है !!मुझे न बताएंगे !!"मादा गौरैया ने नर गौरैया की तरफ देखकर पूछा ।

पर नर गौरैया अपने में ही खोए हुए बोला -"हम तो विहग हैं ,, अपने चूजों को उड़ने लायक बनाकर अपने कर्तव्य का निर्वहन कर अपनी दुनिया में मस्त,व्यस्त हो जाते हैं मगर ये इंसान ,,, इनके बच्चे  अपनी उडा़ने भरकर इन्हें छोड़कर चले जाते हैं ,, जिसके लिए कहीं न कहीं उत्तरदाई ये इंसान ही होते हैं ।"

"आप पहेलियां क्यों बुझा रहे हैं !! आपके मन में कुछ तो चल रहा है ,,, स्पष्ट बताइए ना !!" मादा गौरैया अधीर होकर बोली ।

"चलो आज तुमको एक  दंपत्ति की कथा सुनाता हूँ ,, एक सच्ची कथा  ,, सुनना चाहोगी !!" नर गौरैया ने पूछा।

"हाँ पर उससे पहले ये तो बताइए कि जो कथा आप सुनाने जा रहे हैं वो आपने किससे सुनी !!" मादा गौरैया ने पूछा ।
" तुम पहले कथा तो सुनो बाद में वो भी बता दूँगा ।" नर गौरैया बोला और वो मादा गौरैया को कथा सुनाने लगा --- 
विलासपुर में एक बहुत बडी़ हवेली थी ,उस हवेली में अपने पुरखों से विरासत में मिली  हजारों एकड़ भूमि के स्वामी अच्छे-खासे स्वास्थ्य के धनी, भरे हुए चेहरे , चौडे़ मस्तक पर तिलक लगाए घनी मूछों वाले ,श्वेत धोती व बादामी कुर्ता धारण किए सूर्य प्रताप भानु अपनी हवेली के बाहर पडे़ विशाल परिसर में  बने बरामदे में बैठे हुक्का गुड़गुडा़ रहे थे।हुक्का गुड़गुडा़ते हुए सूर्य प्रताप भानु ने समीप खडे़ अपने मरियल से सेवक श्रीधन से पूछा --"भीतर से कोई सूचना न आई श्रीधन !!" 
गन्ने के चुसे हुए चीफुर की भाँति दुबले- पतले श्रीधन ने अपने दोनों हाथ जोड़कर कहा -"मालिक वो सुरतिया भीतर ही है ,,जैसे ही कोई सूचना होगी वो तुरंत मुझे सूचित करेगी और मैं आपको बताऊँगा ।"

कोई दस मिनट बाद  भीतर से सुरतिया ने अपनी साडी़ का पल्लू अपने हाथ से मुँह में दबाए हुए श्रीधन को इशारा कर अपने पास बुलाया और उसके बाद श्रीधन अपने स्वामी सूर्य प्रताप भानु के समीप खडे़ होकर दोनों हाथ जोड़कर बोला --" मालिक , कन्या का जन्म हुआ है ।"

इतना सुनते ही सूर्य प्रताप भानु ने हुक्का गुड़गुडा़ना छोड़कर,हुक्के को झिटकते हुए अपने समीप रखे चावलों को विहग की तरफ छिटकाते हुए क्रोध में कहा --"अरे तो सुरतिया से कहो कि श्रीमती जी उसका टेंटुआ दबा दें ,,,, लौंडिया जनी हैं !! 
मेरे दोनों बाजुओं से मेरी ताकत तो मेरे दोनों सपूत शिव प्रताप भानु और दिव्य प्रताप भानु हैं ,,, पर ये लौंडिया आ गई मेरी छाती पर मूँग दलने !!हुंह् ,,,और आवेश में उठकर भीतर चले गए।

"दाना चुगते विहग को  स्वयं पर  क्रोध न आया !!  कि मैं कैसे लोगों का दिया चुग्गा चुग रहा हूँ !! 
दोनों पुत्र दो भुजाएं ,, और पुत्री का टेंटुआ दबा दो !! 
पुत्र और पुत्री में भेदभाव तो ये मनुष्य ही कर सकते हैं !!
हम पंक्षी तो नहीं !!" मादा गौरैया ने कथा सुनाते  नर गौरैया को मध्य में रोक कर आवेश में कहा ।

"अवश्य आया होगा तभी तो 

सूर्य प्रताप भानु को आवेश में भीतर जाते देख चुग्गा चुगना छोड़  वो विहग उनके पीछे -पीछे भीतर भागा जहाँ मालकिन अपनी शिशु कन्या को अपने समीप लिटाए हुए थीं और उस शिशु कन्या के दोनों भाई शिव प्रताप भानु और दिव्य प्रताप भानु बडे़ लाड़ से अपनी नवजात बहन को निहार रहे थे । , तू आगे सुन " नर गौरैया ने मादा गौरैया से कहते हुए  कथा आगे सुनाते हुए कहा --

जहाँ शिव प्रताप भानु आठ बरस का था वहीं दिव्य प्रताप भानु छह बरस का था ,दोनों के स्वभाव एक दूसरे से बिलकुल विपरीत थे ।शिव प्रताप भानु को अपने खेत,बाग   का निरीक्षण करना भाता था वहीं दिव्य प्रताप भानु हवेली में बैठे मस्ती किया करता था ,दोनों ही बालक थे मगर पूत के पाँव पालने में ही दिख जाते हैं ,,, 
शिव प्रताप भानु छोटे से ही अपने नित्य कार्यों को स्वयं कर अपने जिम्मेदार होने का परिचय देता था वहीं दिव्य प्रताप भानु ,, आलसी प्रकृति का ,अपने कार्य अपनी माँ से ही करवाता था ,, 
सूर्य प्रताप भानु को दो पुत्रों को पाकर बहुत निहाल थे मगर पुत्री का जन्म उनके मुँह की मिठास में जैसे नीम की कड़वाहट घोल गया था ।

" ये लौंडिया जनी हैं आप !! लौंडिया !! लाइए इसको किसी नदी ,नाले में श्रीधन से फिंकवा दें,, पाप आकर जन्म ले ली है ,, जितना जोड़ जोड़ कर रखे हैं अपने सपूतों के लिए वो तो ये ही ले जाएगी ,, हम मरेंगे तो कंधा भी हमारे ये सपूत ही देंगे ,,, ये लौडिया तो किसी काम की नहीं होगी ,, बैठे बैठे बस हमारी संपत्ति को चरेगी,, लाइए ,, इधर लाइए ।" सूर्य प्रताप ने क्रोध में भरकर अपनी श्रीमती दिव्या भानु प्रताप की तरफ हाथ बढा़ते हुए कहा ........शेष अगले भाग में ।

Deepak Singh

Deepak Singh

आपकी यह कहानी बहुत सुंदर है ऐसी बहुमूल्य कहानी को निःशुल्क प्रदान करने के लिए धन्यवाद।🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

16 अक्टूबर 2024

Pooja Kesri thakkar

Pooja Kesri thakkar

Copyright kaise kare apne lekh ka

14 सितम्बर 2024

Sachin Tiwari

Sachin Tiwari

बेहद उम्दा

13 सितम्बर 2024

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

14 सितम्बर 2024

आपका बहुत धन्यवाद सर 🙏, कृपया बाकी सभी भाग पढ़कर लाइक और कमेंट कर आभारी करें 😊🙏

डा भागेन्द्र ठाकुर

डा भागेन्द्र ठाकुर

बहुत शिक्षाप्रद कहानी है आपकी

13 सितम्बर 2024

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

13 सितम्बर 2024

बहुत बहुत धन्यवाद आपका आदरणीय 😊🙏

हरिओम कुमार

हरिओम कुमार

बेहद उम्दा लेखनी...पाठक को कहानी से बाँधने वाले तत्वों पर अछि तरह से कार्य किया है आपने| पत्रों के साथ ही दृश्यों का भी काफी अच्छा चित्रण किया है अपने शब्दों से | बेहतरीन लेखनी|

9 सितम्बर 2024

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

9 सितम्बर 2024

धन्यवाद सर,हर भाग पढ़कर लाइक कमेंट और रिव्यू डालकर आभारी करें 🙏

नीलम द्विवेदी

नीलम द्विवेदी

अति सुन्दर रेखांकित किया है, बेटी का जन्म पर ऐसे भाव कोई अतिशयोक्ति नहीं है,समय की सोच... परिवर्तन तों आज़ भी नहीं हुआ।

7 सितम्बर 2024

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

8 सितम्बर 2024

बहुत बहुत धन्यवाद आपका बहन , ऊर्जावान टिप्पणी हेतु 😊🙏 कृपया बाकी सभी भाग भी पढ़कर अपने लाइक और रिव्यू देकर आभारी करें 😊🙏

ओंकार नाथ त्रिपाठी

ओंकार नाथ त्रिपाठी

लेखन शैली पाठक को बांधे रखने में सक्षम है।सुंदर लेखन।

26 अगस्त 2024

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

26 अगस्त 2024

बहुत बहुत धन्यवाद आपका सर 🙏😊🙏बाकी के भाग भी पढ़कर समीक्षा दें 🙏

Kamini Yadav

Kamini Yadav

अच्छी लेखन-शैली 🙏

5 फरवरी 2024

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

5 फरवरी 2024

धन्यवाद बहन ,बाकी भाग पढ़कर अमूल्य समीक्षा,लाइक करें ❣️❣️❣️😊🙏

brajmohan panday

brajmohan panday

बहुत सुन्दर बहुत ही मधुर रचना, शुभकामनाएं।

30 जनवरी 2024

18 नवम्बर 2023

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

18 नवम्बर 2023

धन्यवाद काव्या ❤️😘😘 , कहानी पसंद आई तो बाकी भागों पर भी अपनी अमूल्य समीक्षा व लाइक दे दें 😊🙏🙏🙏

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रचनाएँ
कचोटती तनहाइयाँ
4.8
मैं आप सबके लिए एक नई कहानी लेकर आई हूँ ,जिसका शीर्षक है 'कचोटती तनहाइयाँ '। मेरी ये कहानी पूर्णतः काल्पनिक है ।मेरी ये कहानी है कहानी के नायक सूर्य प्रताप भानु व उसकी सहधर्मिणी दिव्या प्रताप भानु की । सूर्य प्रताप भानु जो अपने पूर्वजों द्वारा प्राप्त हजारों एकड़ भूमि का स्वामी है और दो बेटों शिव प्रताप भानु व दिव्य प्रताप भानु का पिता है । मेरी ये कहानी 'कचोटती तनहाइयाँ ' वृद्धावस्था में अपनी कचोटती तनहाइयों से जूझ रहे सूर्य प्रताप भानु व दिव्या प्रताप भानु की है,अपनी कचोटती तनहाइयों के लिए ये दोनों स्वयं जिम्मेदार हैं ।हर बार इंसान की औलाद ही दोषी न होती है ,कभी कभी माँ और बाप भी ऐसा कुछ कर जाते हैं जिसका परिणाम उन्हें अपनी वृद्धावस्था में भुगतना पड़ता है जैसे सूर्य प्रताप भानु व दिव्या प्रताप भानु भुगत रहे हैं । आखिर हुआ क्या !! ये जानने के लिए पढे़ं मेरी कहानी -'कचोटती तनहाइयाँ ' 😊🙏🙏
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कचोटती तनहाइयाँ-भाग 1

26 जुलाई 2023
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गोधूलि बेला होने वाली है ।गोधूलि बेला में चरवाहे अपने गोवंशों को घर ले जाते हैं, भगवान भास्कर अपना उदास,क्लांत, मुख लिए पश्चिम में जाते हैं और विहग अपने नीड़ की तरफ लौटते हैं ,ऐसे ही गोधूलि बेला में ग

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कचोटती तनहाइयाँ-भाग 2

26 जुलाई 2023
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कथा सुनते मादा गौरैया सोने लगी थी और नर गौरैया भी ऊँघने लगा था ।"ऊँहहूँ , बडी़ आफत है !दिनभर मजदूरी करके आओ,रात में सोने को मिलता है तो ये बुढ़ऊ भक्क भक्क लगाकर सारी नींद बिगाड़ देते हैं !!"सत्य शरण न

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 3

28 जुलाई 2023
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उस दिवस जो, विहग ने सूर्य प्रताप भानु और दिव्या प्रताप भानु के कक्ष से निकलकर हवेली के प्रांगण में बने अपने कोठर में बैठकर अपना सिर अपनी गर्दन पर टिका लिया था , तो उस दिवस से उसने सूर्य प्रताप भानु के

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 4

28 जुलाई 2023
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दिव्य प्रताप भानु ,नंदिनी के साथ इसलिए न खेलता कि कहीं वो उससे उसके खिलौने न माँग ले और दूसरी बात अपनी बहन नंदिनी के जन्म पर जो उसके पिता ने कहा व व्यवहार किया था ,उसके कोमल मन पर उसकी छाप बन गई थी ,उ

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 5

28 जुलाई 2023
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नंदिनी हवेली के मुख्य दरवाजे की ओट से अपना मासूम मन लिए हुए बाहर बैठे पिता व दोनों दादा को देख रही थी।सूर्य प्रताप भानु ने तो नंदिनी का विद्यालय में दाखिला तक न करवाया था ,नंदिनी दिव्य प्रताप भानु को

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 6

29 जुलाई 2023
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सूर्य प्रताप भानु के तीनों बच्चे बडे़ हो रहे थे ।अपनी उम्र पूरी करके दिव्या का प्रिय विहग स्वर्ग सिधार गया था ,जिसकी वजह से दिव्या बहुत शोकाकुल रहने लगी थी। शिव प्रताप भानु पिता के कार्यों में हाथ बँट

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 7

29 जुलाई 2023
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"मेरी पीठ पीछे क्या होता रहता है !! स्पष्ट बताओ,पहेलियाँ न बुझाओ !!"सूर्य प्रताप भानु ने कहा।शिव प्रताप भानु हैरानी से छोटे भाई दिव्य को देखने लगा कि ये क्या कहने आया है यहाँ !!दिव्य प्रताप भानु ने कु

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 8

29 जुलाई 2023
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नर गौरैया ने आगे की कथा मादा गौरैया को पुनः सुनानी आरंभ कर दी --जहाँ एक तरफ शिव प्रताप के मन में अपने पिता सूर्य प्रताप के प्रति पर्याप्त खटास आ गई थी वहीं दिव्य प्रताप ने मन ही मन निश्चय किया था कि प

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 9

30 जुलाई 2023
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श्रीधन सूर्य प्रताप भानु के समीप खडे़ होकर बोला -"मालिक अपनी हवेली के दक्षिण तरफ जो मुख्य मार्ग गया है उस पर जाकर आगे चलकर जो थोडा़ वन क्षेत्र पड़ता है ,उसके आगे ही एक नदी पड़ती है ,,वो नदी पार करने क

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 10

30 जुलाई 2023
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सुरतिया पाकशाला का कार्य समेट रही थी और समेटते समेटते ही उसने मनिका व नंदिनी की बात सुनी थी तो उसका मन भी खिन्न हो गया था ,होता भी क्यों नहीं !! माना हवेली के भीतरी कार्यों में लगे रहने की वजह से उसे

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 11

30 जुलाई 2023
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"जानती हूँ मैडम जी ,, उसी संबंध में बात करने आई हूँ।"सुरतिया ने दिव्या के पैरों के पास भूमि पर पडी़ दरी पर बैठते हुए कहा ।"हाँ बोल क्या बात करनी है तुझे ?"दिव्या ने पूछा ।"वो मैडम जी ,कल रात से

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 12

30 जुलाई 2023
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दिव्या का बुझा और उदास मन याद करने लगा कि कब 'इन्होनें' मुझसे प्यार से बात की !! विवाह के बाद से अभी तक इन्होने उसपर अपनी व्यस्तता ही तो थोपी , अपना रौब ही तो झाडा़ और कुछ नहीं ,,, प्यार के दो बोल तो

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 13

31 जुलाई 2023
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नंदिनी के विवाह के दो दिन रह गए थे और दिव्या मन ही मन ये सोचकर कुढ़ रही थी कि इनको लोकलाज की भी परवाह नहीं है ,, ये नहीं सोचते कि सामने भले कोई न बोले मगर पीठ पीछे तो लोग हँसकर कहेंगे ही कि देखो

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 14

1 अगस्त 2023
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दिव्य प्रताप भानु प्रसन्न होता हुआ ,मन ही मन अपनी पीठ थपथपाता हुआ हवेली के बाहर जा रहा था कि मैं जैसा सोच रहा था सबकुछ वैसे ही हो रहा है अब मुझे अपना दाँव खेलना है ।गोपी हवेली के सामने वाले शिव मंदिर

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 15

1 अगस्त 2023
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पूरे विधि विधान से कुशलता पूर्वक नंदिनी का विवाह संपन्न हो गया था और विवाह संपन्न होते होते भोर हो गई थी ।भोर में कलेवा होने लगा ।सूर्य प्रताप भानु ने हवेली के बाहर बने बरामदे में कलेवा में ही नंदिनी

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 16

2 अगस्त 2023
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नंदिनी मनिका को लेकर विदा होकर नवीश के साथ चली गई ,तत्पश्चात श्रीधन हवेली की और उसके सामने शिव मंदिर की सारी सजावट कृषकों की मदद से हटवाने लगा ।शिव प्रताप भानु रात का बचा भोजन व मिठाइयाँ भीतर रखवाकर प

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 17

2 अगस्त 2023
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अब वो समय आ गया था जब शिव प्रताप भानु और दिव्य प्रताप भानु दोनों के विवाह के लिए रिश्ते आना प्रारंभ हो गए थे।सूर्य प्रताप लड़की वालों से वार्ता करते और उनके द्वारा लाई उनकी बेटी की फोटो हवेली के

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 18

2 अगस्त 2023
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" ओहो , एक तो सूर्य प्रताप का नंदिनी के प्रति ऐसा व्यवहार कि भाई शिव के द्वारा उसके संदूक में जेवर रख देने से आग बबूला हो जाना , अपनी हजारों एकड़ की जमीन में से शिव प्रताप को महज ढा़ई सौ एकड़ दे

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2 अगस्त 2023
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जब से सूर्य प्रताप ने अपनी वसीयत कर अपनी हजारों एकड़ की भूमि में से शिव प्रताप को महज ढा़ई सौ एकड़ भूमि दी थी और दिव्या ने भी इस पक्षपात पर कुछ न कहा था तब से शिव प्रताप के मन से माँ दिव्या भी दूर हो

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 20

3 अगस्त 2023
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दिव्या व मानसी बात कर ही रही थीं कि दिव्या के कक्ष में दिव्य ने प्रवेश किया ।"अरे दिव्य ,मेरा लाड़ला बेटा ,आओ ,आओ ।"दिव्या ने उठकर आगे बढ़ते हुए दिव्य प्रताप भानु से स्नेह का गागर उडे़लते हुए कहा ।दिव

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3 अगस्त 2023
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श्रीधन दिव्य से कुछ भी कहने की हिम्मत न कर सका और दिव्य की तरफ देखकर -"नहीं ,कुछ नहीं बेटा"कहकर वापस हवेली के पीछे बने अपने घर लौट गया ।श्रीधन के घर जाने के दो रास्ते थे ,एक हवेली के गलियारे से होते ह

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 22

7 अगस्त 2023
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।श्रीधन हवेली में दबे पाँव आ तो गया मगर चूंकि वो प्रथम बार हवेली के भीतर आया था तो उसे दिव्य प्रताप भानु का कक्ष कौन सा है ये न पता था अतः वो हर कक्ष के पास से दबे पाँव गुजरता हुआ हर कक्ष के अंदर झांक

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 23

7 अगस्त 2023
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" उफ़ ! ये दिव्य तो बहुत ही बुरा इंसान है, अपने ही भाई को फंसा रहा है जबकि उसकी कोई ग़लती ही नहीं इस सब में !!" मादा गौरैया ने नर गौरैया से कहा ।" हां ,ये इंसान और इनकी प्रकृति ऐसी ही होती है ,ये अपने

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 24

7 अगस्त 2023
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सुरतिया श्रीधन को लेकर अस्पताल के बाहर पड़े परिसर के एक वृक्ष के नीचे बैठ गई और रोते हुए बोली - "ये आपने क्या कर दिया ! अब हम कहां रहेंगे ,क्या खाएंगे ! " " मैं भी जा रहा हूं दिव्य दादा , यहां कब

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 25

7 अगस्त 2023
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कनक बिना कुछ कहे ही चली गई, बडे़ और उदार ह्रदय वाली मानसी ने भी घर में शांति बनी रहे इस हेतु आगे कुछ न कहा और सारे कार्य स्वयं ही करती रही ।मानसी की चुप्पी से कनक और ज्यादा मनमानी करने लगी और मा

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 26

7 अगस्त 2023
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"क्या ! पिताजी ने हमारे साथ इतना पक्षपात किया और मां ने कुछ न कहा क्या !आप भी तो उनके बेटे हो और बडे बेटे हो कोई आपको कहीं से उठा कर तो न लाया गया !!"मानसी ने राज प्रताप भानु को सुलाते हुए कहा ।" एक त

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 27

8 अगस्त 2023
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"ये कैसा बंटवारा है पिताजी !! पूरी हवेली दिव्य प्रताप भानु की और जितना परिसर पड़ा वो सब मेरा !! मैं पहले अपने लिए घर बनवाऊं तब जा कर रह पाऊं !! "शिव प्रताप भानु ने हैरानी में भरकर पिता सूर्य प्रताप भा

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 28

8 अगस्त 2023
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हवेली के पीछे श्रीधन के लिए जो घर सूर्य प्रताप भानु ने दिया था वो बस दो कक्षों का एक छोटा सा घर था जिसमें एक कक्ष इतना छोटा था कि उसमें पाकशाला ही हो सकती थी , दूसरा कक्ष ही था जिसमें दो पलंग पड़ने के

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 29

8 अगस्त 2023
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जैसे जैसे बच्चे बडे़ हो रहे थे उन्हें चीजें समझ आ रही थीं । शिवन्या, शिवल्या और शिवाली को समझ आने लगा था कि बाबा उन्हें पसंद न‌ करते हैं तो वो अब हवेली न‌ जाकर अपने यहां शिव‌ मंदिर के सामने ही अपने गु

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 30

8 अगस्त 2023
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दिव्य प्रताप भानु के बच्चों की पढाई हो चुकी थी इसलिए वे अपनी मां कनक के साथ हवेली ही रुक गए थे मगर दिव्य प्रताप भानु की सरकारी नौकरी थी अत: वो वापस चला गया था ,कनक ने दिव्य प्रताप भानु से कह दिय

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 31

10 अगस्त 2023
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शिव प्रताप भानु को एक पिता का जो स्नेह सूर्य प्रताप भानु से न मिला था वो उसे श्रीधन से मिलता महसूस होता था ,यही कारण था कि वो श्रीधन से हर छोटी-बड़ी बात कहकर अपना मन हल्का कर लेता था ।आज भी वो अपने खे

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10 अगस्त 2023
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मानसी शिव प्रताप भानु के पास बैठती हुई बोली ,-" राज और राग दोनों हवेली के बंटवारे की बात करने पिताजी के पास जाएंगे , मुझे तो यही लग रहा है कि पहले तो पिताजी ही उसके बाद दिव्य प्रताप और उनके दिवाकर व द

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 33

10 अगस्त 2023
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मानसी बोली -" उनके बाप का नहीं मगर उनके बाबा का तो घर है ,वो बाबा ,जिनका स्वास्थ्य इतना खराब हो गया था कि वे मरणासन्न हो गए थे तब तो तुम और देवर जी अपने -अपने मुंह छुपाए वहां पड़े हुए थे तब इनके बाप न

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 34

10 अगस्त 2023
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पिता ससुर सूर्य प्रताप भानु के इस निर्णय को सुनकर कनक का मुंह उतर गया और दिवाकर प्रताप भानु और दिनकर प्रताप भानु के चेहरों पर भी बारह बज गए ।सूर्य प्रताप भानु ने आगे राज प्रताप भानु और राग प्रता

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 35

10 अगस्त 2023
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सबके पेट दुख रहे थे दिव्य प्रताप भानु और उसके बेटों को हवेली में रहते देखकर ,खाना न‌ हजम हो रहा था ,हवेली बंटवा ली तभी सबके कलेजे को ठंड़क पड़ी ।"दिव्या यूं भुनभुनाते हुए ये भी न सोच रही थी कि उ

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 36

11 अगस्त 2023
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"पिताजी , आपकी पोती का श्रावस्ती जिले में विवाह देख आया हूं , आपको विवाह की बातचीत तय करने चलना है ।" शिव प्रताप भानु ने कहा ।दिव्यांश प्रताप भानु को पता चला कि शिव प्रताप ताऊ जी आए हैं तो

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 37

11 अगस्त 2023
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राज प्रताप की बात सुनकर शिव‌ प्रताप भानु समझ गया कि इसने मेरी और मानसी की विगत रात्रि की बात सुन ली है तभी इसने अपनी दादी के समक्ष प्रश्न उठाया है वहीं राज प्रताप भानु के मुंह से 'बाबा की तो पूरी तिजो

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 38

11 अगस्त 2023
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बाबा सूर्य प्रताप भानु का उत्तर सुनकर राज प्रताप भानु और राग प्रताप भानु उठकर जाने लगे ।घर के अंदर से अपने ट्रांसपोर्ट के लिए जाते दिनकर प्रताप भानु ने बाबा और राज दादा व राग दादा की बात सुनी और वो व्

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 39

11 अगस्त 2023
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दिव्यांश प्रताप भानु , शिवन्या के विवाह में सम्मिलित हुआ था , ये राज प्रताप भानु को तो न बुरा लगा क्योंकि वो सुलझे दिमाग का और सह्रदय था मगर राग प्रताप भानु का उसको देखकर मुंह बना ही रहा ।अगले दिन जब

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 40

12 अगस्त 2023
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सूर्य प्रताप भानु ने अपने दरवाजे पर राज प्रताप भानु और राग प्रताप भानु को आया देखकर उनसे कहा -" कहो शिव प्रताप के दूतों , आज शिव प्रताप की तरफ से क्या संदेश लेकर आए हो !!" " चरण स्पर्श बाबा , हम

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 41

13 अगस्त 2023
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शिवल्या भी अपने भाइयों , पिता व मां को परेशान‌ देखकर दुखित थी और दोपहर का भोजन‌‌ कर अपने कक्ष में लेटी हुई करवटें बदलती जा रही थी , जब चैन‌ न पडा़ तो सोचा कि चलकर कुछ क्षण शिव‌ मंदिर में ही बैठूं ! और

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 42

13 अगस्त 2023
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दिव्यांश प्रताप भानु का विवाह कुशलतापूर्वक निपट गया था और शिवन्या और शिवल्या अपने अपने पतियों के साथ अपने ससुराल वापस जाने के लिए सामान बांध‌ रही थीं ।सामान बांधने के बाद शिवन्या और शिवल्या दोनों मां

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 43

13 अगस्त 2023
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राज प्रताप भानु खेतों पर काम करते हुए पिता से बोला -" पिताजी ,आप चिंता न करें, शिवाली ने कह दिया है मगर वो एक दिन‌ भी भूख सह न पाएगी और भोजन कर लेगी , वो एक दिन भोजन न करे वो मैं सह सकता हूं मगर उसको

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 44

15 अगस्त 2023
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शिवाली के लिए इसके आगे एक शब्द भी कहा तो मैं तुम्हारी जुबान खींच लूंगा ,मुझे शिवाली के लिए ऐसे शब्द सुनना कदापि स्वीकार नहीं है , तुम्हें पूरी सौ एकड़ भूमि चाहिए ना , ठीक है तुम्हें पूरी सौ एकड़ भूमि

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 45

16 अगस्त 2023
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शिव प्रताप भानु का कोई समाचार न‌ मिलने के कारण श्रीधन का मन छटपटाता रहा ........... राज प्रताप भानु बहन शिवाली के विवाह की तिथि समीप आने के कारण विवाह की बची हुई तैयारियों में लगा था और उसी मध्य

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 46अंतिम भाग

16 अगस्त 2023
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दिव्या और सूर्य प्रताप भानु घर के मुख्य दरवाजे से पहले बने बरामदे के ऊपर बने कमरे में ले गए , और दिव्य प्रताप भानु और कनक , दिनकर प्रताप भानु और उसकी पत्नी सहित चले गए ।दिव्य प्रताप भानु ने चतुराई के

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