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कचोटती तन्हाइयां -भाग 46अंतिम भाग

16 अगस्त 2023

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दिव्या और सूर्य प्रताप भानु घर के मुख्य दरवाजे से पहले बने बरामदे के ऊपर बने कमरे में ले गए , और दिव्य प्रताप भानु और कनक , दिनकर प्रताप भानु और उसकी पत्नी सहित चले गए ।
दिव्य प्रताप भानु ने चतुराई के साथ तिजोरी के सारे जेवर पहले ही अपने नाम लाॅकर खुलवाकर उसमें पहुंचा दिए थे , अब पूरे घर में ताला भी डाल दिया और बहाने से दिनकर प्रताप व उसकी पत्नी को भी अपने साथ लिए गए ।

दिवाकर प्रताप भानु तो सपत्नीक पहले से ही वहीं था ।

दिव्यांश प्रताप भानु अपने हिस्से की जमीन ,जेवर सब छोड़कर किराए के मकान में पत्नी सहित रहने लगा था ।

शिव प्रताप भानु के सब कर्म होने के पश्चात घर की शुद्धि हो चुकी थी और मानसी ने फिर एक दिवस राज प्रताप भानु को बुलाकर कहा -" तुम्हारे पिता मुझे आदेश दे गए थे कि घर के मध्य से दीवार उठवा देना तो तुम किसी कारीगर को बुलवाकर दीवार उठवा दो ।" 
राज प्रताप भानु ने कहा -" मां उसकी आवश्यकता नहीं है , मैं पिता के सामने अपने हिस्से की सौ एकड़ भूमि भी राग प्रताप को देने का कह ही चुका था अब ये घर भी छोड़ रहा हूं , पिताजी के बिना इस घर में एक क्षण भी न रहा जा रहा है , मैं रुचिरा को लेकर किसी दूसरे शहर में बस जाऊंगा ।" 

राज प्रताप अपने कहे अनुसार घर छोड़कर दूसरे शहर में बसने चला गया और उसके साथ ही मानसी भी चली गई।

सूर्य प्रताप भानु और दिव्या एक कक्ष में सिमट कर रह गए थे जहां उनका हाल तक पूछने वाला कोई न था !!
अब दिव्या को अपने किए का पछतावा हो रहा था ,अब उसकी आंखों से पुत्र मोह की पट्टी हटी थी , जिस बेटे पर जान न्यौछावर करती आई थी उसने उसे व उसके पति को एक कक्ष में समेट कर बाकी घर में ताला जड़कर जाते समय उसकी तरफ मुड़कर एक बार देखा तक न था ।

सूर्य प्रताप भानु और दिव्या के पास अब अगर कुछ रह गया था तो वो थीं - कचोटती तन्हाइयां।

"उफ ! ये इंसान और इनकी फितरत !! अच्छा हुआ ईश्वर ने हमें इंसान नहीं बनाया ।" मादा गौरैया ने नर गौरैया से कहा ।

" सही कह रही हो तुम , ये इंसान होते ही ऐसे हैं !!" नर गौरैया ने कहा ।

" अच्छा आपने मुझे अभी तक न बताया कि आपको ये कथा किसने सुनाई !!" मादा गौरैया ने पूछा ।

" बताऊंगा ,पहले तुम्हें  अपनी कचोटती तनहाइयों से नित्यप्रति जूझते सूर्य प्रताप भानु और दिव्या को तो दिखा दूं ,देखोगी उन्हें !!" नर गौरैया ने पूछा ।

"हां अवश्य !" मादा गौरैया बोली और नर गौरैया मादा गौरैया को लेकर उडा़न भरने लगा ।
कुछ देर बाद नर गौरैया एक घर के झरोखे पर जाकर बैठा और मादा गौरैया भी उसके पास बैठ गई।

" वो उधर सामने के घर ,जो कभी हवेली हुआ करती थी ,उसके ऊपर कक्ष की खिड़की से बाहर देखते बुजुर्ग दंपति को देखो ,वही सूर्य प्रताप भानु और दिव्या प्रताप भानु हैं ।"नर गौरैया ने संकेत कर बताया ।

मादा गौरैया ने देखा - कक्ष में खिड़की के समीप एक तरफ बुजुर्ग दिव्या प्रताप भानु अथाह उदासी के साथ अपने एक  हाथ को अपने गाल पर रखे खिड़की से बाहर सड़क पर आते-जाते लोगों को बहुत मायूसी के साथ देख रही थी और उसके सामने सूर्य प्रताप भानु सिर झुकाए  बैठे हुए थे।
दोनों से बात करने वाला , कोई नहीं था, दोनों‌ के पास अपने अपने हिस्से की कचोटती तन्हाइयां ही थीं जिनसे  जूझते हुए अपने दिन काट रहे थे।

"अब तो बता दीजिए कि इनकी कथा आपने किससे सुनी !!" मादा गौरैया अधीर होकर बोली।

"हां पहले इधर आकर इसे तो देख लो ।" नर गौरैया ने उड़कर एक दूसरे घर के आंगन में उतर कर कहा ।

मादा गौरैया भी उस आंगन में उतरी और उसने देखा - एक बुड्डा  खांसते हुए आंखों से आंसू बहाते हुए स्वयं से कह रहा था - हे ईश्वर, अब तो मुझे भी पूछ ! मुझे पूछने वाले ,मेरा हाल- चाल लेने वाले शिव बाबू को तूने पूछ लिया , मेरा पुत्र सत्य शरण उर्फ गोपी और उसकी पत्नी सुगना तो मेरे पास फटकते तक नहीं हैं !! 
मेरे पास अगर कोई हर क्षण रहता है तो वो हैं कचोटती तन्हाइयां !! 
इन कचोटती तनहाइयों से मुक्ति दे ईश्वर , मुक्ति दे !!

" कहीं ये..........." तुमने सही समझा ,,, ये श्रीधन है जिसका अपना पुत्र भी इससे मुंह फेरे हुए है और इसके पास भी इसकी कचोटती तन्हाइयां ही हैं " मादा गौरैया की बात पूरी होने से पहले ही उसकी बात समझ कर नर गौरैया ने कहा।

" अच्छा अब तो बताइए कि आपको ये कथा किसने सुनाई !!" मादा गौरैया नर गौरैया के साथ उडा़न भरकर एक वृक्ष पर बैठती हुई पुन: पूछने लगी ।

" एक दिवस मैं उड़ता हुआ श्रीधन के आंगन में उतरा था ,इसने मुझे देखकर अपने बिस्तर के नीचे रखे अपने भोजन थाल से भात के कुछ दाने लेटे लेटे ही मेरे आगे छिटकाकर कहा -" हे विहग , लो भोजन कर लो , मेरे साथ बात करने वाला कोई नहीं है ,मेरा हाल पूछने वाला कोई नहीं है , मेरे पास बिखरी हुई कचोटती तन्हाइयां क्यों हैं ! ये मैं तुम्हें सुनाऊं तुम सुन लो इसी बहाने कुछ देर ही सही मुझे लगेगा कि मैं किसी का सानिध्य पा गया हूं !!"
मैं अपने स्वर में  चहचहाया और इसने मुझे प्रारंभ से अंत तक सारा वृत्तांत सुनाया । नर गौरैया ने मादा गौरैया से कहा और दोनों फिर उडा़न भरने को आकाश में उड़ चले ।

समाप्त ।

ओंकार नाथ त्रिपाठी

ओंकार नाथ त्रिपाठी

कचोटती तन्हाईयां समाज का वास्तविक चित्रण है।अंत बहुत ही सटीक तथा यथार्थ परक है।मरती संवेदनाएं हमें कहां से कहां पटक देती हैं। उपभोक्तावादी संस्कृति में गणित का महत्व समीचीन है।हम जो धन-वैभव एकत्रित करते हैं अपनों के लिए अंत में न तो वह धन वैभव और न ही वह वे अपने सब कुछ बिखर जाता है। फिर अपने ही अपने नये अपनों में व्यस्त हो जाते हैं।इस तरह संवेदनाएं मरती हैं फिर जन्मती हैं और फिर मरती रहती हैं।यही चक्र है वर्तमान में बदले जीवन पद्धति का। नूतन जी आपकी रचना चिड़िया की बतकहियों के माध्यम से बहुत कुछ कहती है‌। सुंदर रचना और उसकी संरचना।

28 सितम्बर 2024

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

29 सितम्बर 2024

धन्यवाद आदरणीय इतनी खूबसूरत और प्रशंसनीय समीक्षा हेतु,ये समीक्षा प्रतियोगिता की समाप्ति से पूर्व मिलती तो सार्थक हो जाती 😔🙏🙏🙏

डा भागेन्द्र ठाकुर

डा भागेन्द्र ठाकुर

शिक्षाप्रद प्रेरणादायक कहानी

12 सितम्बर 2024

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

12 सितम्बर 2024

बहुत बहुत धन्यवाद आपका आदरणीय 😊🙏

Jitendra Kumar sahu

Jitendra Kumar sahu

अच्छा लेखन ✌

15 सितम्बर 2023

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

15 सितम्बर 2023

धन्यवाद सर 😊 बाकी भाग भी पढ़कर अमूल्य समीक्षा दें 🙏🙏

लता सुमन 'नमन्'

लता सुमन 'नमन्'

बहुत खूब बहुत शानदार कहानी 👌👌

9 सितम्बर 2023

Papiya

Papiya

बहुत ही प्यारी रचना है

29 अगस्त 2023

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

29 अगस्त 2023

धन्यवाद बहन 🙏😊

Sandhya

Sandhya

बहुत अच्छी कहानी

24 अगस्त 2023

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

30 अगस्त 2023

धन्यवाद 🙏🙏🙏

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रचनाएँ
कचोटती तनहाइयाँ
4.8
मैं आप सबके लिए एक नई कहानी लेकर आई हूँ ,जिसका शीर्षक है 'कचोटती तनहाइयाँ '। मेरी ये कहानी पूर्णतः काल्पनिक है ।मेरी ये कहानी है कहानी के नायक सूर्य प्रताप भानु व उसकी सहधर्मिणी दिव्या प्रताप भानु की । सूर्य प्रताप भानु जो अपने पूर्वजों द्वारा प्राप्त हजारों एकड़ भूमि का स्वामी है और दो बेटों शिव प्रताप भानु व दिव्य प्रताप भानु का पिता है । मेरी ये कहानी 'कचोटती तनहाइयाँ ' वृद्धावस्था में अपनी कचोटती तनहाइयों से जूझ रहे सूर्य प्रताप भानु व दिव्या प्रताप भानु की है,अपनी कचोटती तनहाइयों के लिए ये दोनों स्वयं जिम्मेदार हैं ।हर बार इंसान की औलाद ही दोषी न होती है ,कभी कभी माँ और बाप भी ऐसा कुछ कर जाते हैं जिसका परिणाम उन्हें अपनी वृद्धावस्था में भुगतना पड़ता है जैसे सूर्य प्रताप भानु व दिव्या प्रताप भानु भुगत रहे हैं । आखिर हुआ क्या !! ये जानने के लिए पढे़ं मेरी कहानी -'कचोटती तनहाइयाँ ' 😊🙏🙏
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कचोटती तनहाइयाँ-भाग 1

26 जुलाई 2023
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गोधूलि बेला होने वाली है ।गोधूलि बेला में चरवाहे अपने गोवंशों को घर ले जाते हैं, भगवान भास्कर अपना उदास,क्लांत, मुख लिए पश्चिम में जाते हैं और विहग अपने नीड़ की तरफ लौटते हैं ,ऐसे ही गोधूलि बेला में ग

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कचोटती तनहाइयाँ-भाग 2

26 जुलाई 2023
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कथा सुनते मादा गौरैया सोने लगी थी और नर गौरैया भी ऊँघने लगा था ।"ऊँहहूँ , बडी़ आफत है !दिनभर मजदूरी करके आओ,रात में सोने को मिलता है तो ये बुढ़ऊ भक्क भक्क लगाकर सारी नींद बिगाड़ देते हैं !!"सत्य शरण न

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 3

28 जुलाई 2023
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उस दिवस जो, विहग ने सूर्य प्रताप भानु और दिव्या प्रताप भानु के कक्ष से निकलकर हवेली के प्रांगण में बने अपने कोठर में बैठकर अपना सिर अपनी गर्दन पर टिका लिया था , तो उस दिवस से उसने सूर्य प्रताप भानु के

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 4

28 जुलाई 2023
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दिव्य प्रताप भानु ,नंदिनी के साथ इसलिए न खेलता कि कहीं वो उससे उसके खिलौने न माँग ले और दूसरी बात अपनी बहन नंदिनी के जन्म पर जो उसके पिता ने कहा व व्यवहार किया था ,उसके कोमल मन पर उसकी छाप बन गई थी ,उ

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 5

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नंदिनी हवेली के मुख्य दरवाजे की ओट से अपना मासूम मन लिए हुए बाहर बैठे पिता व दोनों दादा को देख रही थी।सूर्य प्रताप भानु ने तो नंदिनी का विद्यालय में दाखिला तक न करवाया था ,नंदिनी दिव्य प्रताप भानु को

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 6

29 जुलाई 2023
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सूर्य प्रताप भानु के तीनों बच्चे बडे़ हो रहे थे ।अपनी उम्र पूरी करके दिव्या का प्रिय विहग स्वर्ग सिधार गया था ,जिसकी वजह से दिव्या बहुत शोकाकुल रहने लगी थी। शिव प्रताप भानु पिता के कार्यों में हाथ बँट

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 7

29 जुलाई 2023
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"मेरी पीठ पीछे क्या होता रहता है !! स्पष्ट बताओ,पहेलियाँ न बुझाओ !!"सूर्य प्रताप भानु ने कहा।शिव प्रताप भानु हैरानी से छोटे भाई दिव्य को देखने लगा कि ये क्या कहने आया है यहाँ !!दिव्य प्रताप भानु ने कु

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 8

29 जुलाई 2023
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नर गौरैया ने आगे की कथा मादा गौरैया को पुनः सुनानी आरंभ कर दी --जहाँ एक तरफ शिव प्रताप के मन में अपने पिता सूर्य प्रताप के प्रति पर्याप्त खटास आ गई थी वहीं दिव्य प्रताप ने मन ही मन निश्चय किया था कि प

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 9

30 जुलाई 2023
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श्रीधन सूर्य प्रताप भानु के समीप खडे़ होकर बोला -"मालिक अपनी हवेली के दक्षिण तरफ जो मुख्य मार्ग गया है उस पर जाकर आगे चलकर जो थोडा़ वन क्षेत्र पड़ता है ,उसके आगे ही एक नदी पड़ती है ,,वो नदी पार करने क

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 10

30 जुलाई 2023
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सुरतिया पाकशाला का कार्य समेट रही थी और समेटते समेटते ही उसने मनिका व नंदिनी की बात सुनी थी तो उसका मन भी खिन्न हो गया था ,होता भी क्यों नहीं !! माना हवेली के भीतरी कार्यों में लगे रहने की वजह से उसे

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 11

30 जुलाई 2023
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"जानती हूँ मैडम जी ,, उसी संबंध में बात करने आई हूँ।"सुरतिया ने दिव्या के पैरों के पास भूमि पर पडी़ दरी पर बैठते हुए कहा ।"हाँ बोल क्या बात करनी है तुझे ?"दिव्या ने पूछा ।"वो मैडम जी ,कल रात से

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 12

30 जुलाई 2023
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दिव्या का बुझा और उदास मन याद करने लगा कि कब 'इन्होनें' मुझसे प्यार से बात की !! विवाह के बाद से अभी तक इन्होने उसपर अपनी व्यस्तता ही तो थोपी , अपना रौब ही तो झाडा़ और कुछ नहीं ,,, प्यार के दो बोल तो

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 13

31 जुलाई 2023
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नंदिनी के विवाह के दो दिन रह गए थे और दिव्या मन ही मन ये सोचकर कुढ़ रही थी कि इनको लोकलाज की भी परवाह नहीं है ,, ये नहीं सोचते कि सामने भले कोई न बोले मगर पीठ पीछे तो लोग हँसकर कहेंगे ही कि देखो

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 14

1 अगस्त 2023
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दिव्य प्रताप भानु प्रसन्न होता हुआ ,मन ही मन अपनी पीठ थपथपाता हुआ हवेली के बाहर जा रहा था कि मैं जैसा सोच रहा था सबकुछ वैसे ही हो रहा है अब मुझे अपना दाँव खेलना है ।गोपी हवेली के सामने वाले शिव मंदिर

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 15

1 अगस्त 2023
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पूरे विधि विधान से कुशलता पूर्वक नंदिनी का विवाह संपन्न हो गया था और विवाह संपन्न होते होते भोर हो गई थी ।भोर में कलेवा होने लगा ।सूर्य प्रताप भानु ने हवेली के बाहर बने बरामदे में कलेवा में ही नंदिनी

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 16

2 अगस्त 2023
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नंदिनी मनिका को लेकर विदा होकर नवीश के साथ चली गई ,तत्पश्चात श्रीधन हवेली की और उसके सामने शिव मंदिर की सारी सजावट कृषकों की मदद से हटवाने लगा ।शिव प्रताप भानु रात का बचा भोजन व मिठाइयाँ भीतर रखवाकर प

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 17

2 अगस्त 2023
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अब वो समय आ गया था जब शिव प्रताप भानु और दिव्य प्रताप भानु दोनों के विवाह के लिए रिश्ते आना प्रारंभ हो गए थे।सूर्य प्रताप लड़की वालों से वार्ता करते और उनके द्वारा लाई उनकी बेटी की फोटो हवेली के

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 18

2 अगस्त 2023
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" ओहो , एक तो सूर्य प्रताप का नंदिनी के प्रति ऐसा व्यवहार कि भाई शिव के द्वारा उसके संदूक में जेवर रख देने से आग बबूला हो जाना , अपनी हजारों एकड़ की जमीन में से शिव प्रताप को महज ढा़ई सौ एकड़ दे

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2 अगस्त 2023
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जब से सूर्य प्रताप ने अपनी वसीयत कर अपनी हजारों एकड़ की भूमि में से शिव प्रताप को महज ढा़ई सौ एकड़ भूमि दी थी और दिव्या ने भी इस पक्षपात पर कुछ न कहा था तब से शिव प्रताप के मन से माँ दिव्या भी दूर हो

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 20

3 अगस्त 2023
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दिव्या व मानसी बात कर ही रही थीं कि दिव्या के कक्ष में दिव्य ने प्रवेश किया ।"अरे दिव्य ,मेरा लाड़ला बेटा ,आओ ,आओ ।"दिव्या ने उठकर आगे बढ़ते हुए दिव्य प्रताप भानु से स्नेह का गागर उडे़लते हुए कहा ।दिव

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3 अगस्त 2023
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श्रीधन दिव्य से कुछ भी कहने की हिम्मत न कर सका और दिव्य की तरफ देखकर -"नहीं ,कुछ नहीं बेटा"कहकर वापस हवेली के पीछे बने अपने घर लौट गया ।श्रीधन के घर जाने के दो रास्ते थे ,एक हवेली के गलियारे से होते ह

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 22

7 अगस्त 2023
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।श्रीधन हवेली में दबे पाँव आ तो गया मगर चूंकि वो प्रथम बार हवेली के भीतर आया था तो उसे दिव्य प्रताप भानु का कक्ष कौन सा है ये न पता था अतः वो हर कक्ष के पास से दबे पाँव गुजरता हुआ हर कक्ष के अंदर झांक

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 23

7 अगस्त 2023
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" उफ़ ! ये दिव्य तो बहुत ही बुरा इंसान है, अपने ही भाई को फंसा रहा है जबकि उसकी कोई ग़लती ही नहीं इस सब में !!" मादा गौरैया ने नर गौरैया से कहा ।" हां ,ये इंसान और इनकी प्रकृति ऐसी ही होती है ,ये अपने

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 24

7 अगस्त 2023
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सुरतिया श्रीधन को लेकर अस्पताल के बाहर पड़े परिसर के एक वृक्ष के नीचे बैठ गई और रोते हुए बोली - "ये आपने क्या कर दिया ! अब हम कहां रहेंगे ,क्या खाएंगे ! " " मैं भी जा रहा हूं दिव्य दादा , यहां कब

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7 अगस्त 2023
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कनक बिना कुछ कहे ही चली गई, बडे़ और उदार ह्रदय वाली मानसी ने भी घर में शांति बनी रहे इस हेतु आगे कुछ न कहा और सारे कार्य स्वयं ही करती रही ।मानसी की चुप्पी से कनक और ज्यादा मनमानी करने लगी और मा

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7 अगस्त 2023
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"क्या ! पिताजी ने हमारे साथ इतना पक्षपात किया और मां ने कुछ न कहा क्या !आप भी तो उनके बेटे हो और बडे बेटे हो कोई आपको कहीं से उठा कर तो न लाया गया !!"मानसी ने राज प्रताप भानु को सुलाते हुए कहा ।" एक त

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8 अगस्त 2023
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"ये कैसा बंटवारा है पिताजी !! पूरी हवेली दिव्य प्रताप भानु की और जितना परिसर पड़ा वो सब मेरा !! मैं पहले अपने लिए घर बनवाऊं तब जा कर रह पाऊं !! "शिव प्रताप भानु ने हैरानी में भरकर पिता सूर्य प्रताप भा

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 28

8 अगस्त 2023
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हवेली के पीछे श्रीधन के लिए जो घर सूर्य प्रताप भानु ने दिया था वो बस दो कक्षों का एक छोटा सा घर था जिसमें एक कक्ष इतना छोटा था कि उसमें पाकशाला ही हो सकती थी , दूसरा कक्ष ही था जिसमें दो पलंग पड़ने के

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 29

8 अगस्त 2023
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जैसे जैसे बच्चे बडे़ हो रहे थे उन्हें चीजें समझ आ रही थीं । शिवन्या, शिवल्या और शिवाली को समझ आने लगा था कि बाबा उन्हें पसंद न‌ करते हैं तो वो अब हवेली न‌ जाकर अपने यहां शिव‌ मंदिर के सामने ही अपने गु

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 30

8 अगस्त 2023
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दिव्य प्रताप भानु के बच्चों की पढाई हो चुकी थी इसलिए वे अपनी मां कनक के साथ हवेली ही रुक गए थे मगर दिव्य प्रताप भानु की सरकारी नौकरी थी अत: वो वापस चला गया था ,कनक ने दिव्य प्रताप भानु से कह दिय

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 31

10 अगस्त 2023
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शिव प्रताप भानु को एक पिता का जो स्नेह सूर्य प्रताप भानु से न मिला था वो उसे श्रीधन से मिलता महसूस होता था ,यही कारण था कि वो श्रीधन से हर छोटी-बड़ी बात कहकर अपना मन हल्का कर लेता था ।आज भी वो अपने खे

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मानसी शिव प्रताप भानु के पास बैठती हुई बोली ,-" राज और राग दोनों हवेली के बंटवारे की बात करने पिताजी के पास जाएंगे , मुझे तो यही लग रहा है कि पहले तो पिताजी ही उसके बाद दिव्य प्रताप और उनके दिवाकर व द

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मानसी बोली -" उनके बाप का नहीं मगर उनके बाबा का तो घर है ,वो बाबा ,जिनका स्वास्थ्य इतना खराब हो गया था कि वे मरणासन्न हो गए थे तब तो तुम और देवर जी अपने -अपने मुंह छुपाए वहां पड़े हुए थे तब इनके बाप न

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10 अगस्त 2023
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पिता ससुर सूर्य प्रताप भानु के इस निर्णय को सुनकर कनक का मुंह उतर गया और दिवाकर प्रताप भानु और दिनकर प्रताप भानु के चेहरों पर भी बारह बज गए ।सूर्य प्रताप भानु ने आगे राज प्रताप भानु और राग प्रता

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 35

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सबके पेट दुख रहे थे दिव्य प्रताप भानु और उसके बेटों को हवेली में रहते देखकर ,खाना न‌ हजम हो रहा था ,हवेली बंटवा ली तभी सबके कलेजे को ठंड़क पड़ी ।"दिव्या यूं भुनभुनाते हुए ये भी न सोच रही थी कि उ

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 36

11 अगस्त 2023
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"पिताजी , आपकी पोती का श्रावस्ती जिले में विवाह देख आया हूं , आपको विवाह की बातचीत तय करने चलना है ।" शिव प्रताप भानु ने कहा ।दिव्यांश प्रताप भानु को पता चला कि शिव प्रताप ताऊ जी आए हैं तो

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 37

11 अगस्त 2023
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राज प्रताप की बात सुनकर शिव‌ प्रताप भानु समझ गया कि इसने मेरी और मानसी की विगत रात्रि की बात सुन ली है तभी इसने अपनी दादी के समक्ष प्रश्न उठाया है वहीं राज प्रताप भानु के मुंह से 'बाबा की तो पूरी तिजो

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 38

11 अगस्त 2023
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बाबा सूर्य प्रताप भानु का उत्तर सुनकर राज प्रताप भानु और राग प्रताप भानु उठकर जाने लगे ।घर के अंदर से अपने ट्रांसपोर्ट के लिए जाते दिनकर प्रताप भानु ने बाबा और राज दादा व राग दादा की बात सुनी और वो व्

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 39

11 अगस्त 2023
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दिव्यांश प्रताप भानु , शिवन्या के विवाह में सम्मिलित हुआ था , ये राज प्रताप भानु को तो न बुरा लगा क्योंकि वो सुलझे दिमाग का और सह्रदय था मगर राग प्रताप भानु का उसको देखकर मुंह बना ही रहा ।अगले दिन जब

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 40

12 अगस्त 2023
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सूर्य प्रताप भानु ने अपने दरवाजे पर राज प्रताप भानु और राग प्रताप भानु को आया देखकर उनसे कहा -" कहो शिव प्रताप के दूतों , आज शिव प्रताप की तरफ से क्या संदेश लेकर आए हो !!" " चरण स्पर्श बाबा , हम

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 41

13 अगस्त 2023
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शिवल्या भी अपने भाइयों , पिता व मां को परेशान‌ देखकर दुखित थी और दोपहर का भोजन‌‌ कर अपने कक्ष में लेटी हुई करवटें बदलती जा रही थी , जब चैन‌ न पडा़ तो सोचा कि चलकर कुछ क्षण शिव‌ मंदिर में ही बैठूं ! और

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 42

13 अगस्त 2023
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दिव्यांश प्रताप भानु का विवाह कुशलतापूर्वक निपट गया था और शिवन्या और शिवल्या अपने अपने पतियों के साथ अपने ससुराल वापस जाने के लिए सामान बांध‌ रही थीं ।सामान बांधने के बाद शिवन्या और शिवल्या दोनों मां

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 43

13 अगस्त 2023
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राज प्रताप भानु खेतों पर काम करते हुए पिता से बोला -" पिताजी ,आप चिंता न करें, शिवाली ने कह दिया है मगर वो एक दिन‌ भी भूख सह न पाएगी और भोजन कर लेगी , वो एक दिन भोजन न करे वो मैं सह सकता हूं मगर उसको

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 44

15 अगस्त 2023
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शिवाली के लिए इसके आगे एक शब्द भी कहा तो मैं तुम्हारी जुबान खींच लूंगा ,मुझे शिवाली के लिए ऐसे शब्द सुनना कदापि स्वीकार नहीं है , तुम्हें पूरी सौ एकड़ भूमि चाहिए ना , ठीक है तुम्हें पूरी सौ एकड़ भूमि

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 45

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शिव प्रताप भानु का कोई समाचार न‌ मिलने के कारण श्रीधन का मन छटपटाता रहा ........... राज प्रताप भानु बहन शिवाली के विवाह की तिथि समीप आने के कारण विवाह की बची हुई तैयारियों में लगा था और उसी मध्य

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कचोटती तन्हाइयां -भाग 46अंतिम भाग

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दिव्या और सूर्य प्रताप भानु घर के मुख्य दरवाजे से पहले बने बरामदे के ऊपर बने कमरे में ले गए , और दिव्य प्रताप भानु और कनक , दिनकर प्रताप भानु और उसकी पत्नी सहित चले गए ।दिव्य प्रताप भानु ने चतुराई के

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