शिव प्रताप भानु को एक पिता का जो स्नेह सूर्य प्रताप भानु से न मिला था वो उसे श्रीधन से मिलता महसूस होता था ,यही कारण था कि वो श्रीधन से हर छोटी-बड़ी बात कहकर अपना मन हल्का कर लेता था ।
आज भी वो अपने खेतों में बनाए मचान पर श्रीधन से साथ बैठा हुआ था ।
" क्या बात है शिव बाबू , सब सही है ना !!" श्रीधन ने शांत बैठे शिव प्रताप भानु से उसकी तरफ देखकर पूछा ।
"कहां सब सही है काका !! बच्चे बडे़ हो गए हैं और उनसे अब कुछ भी तो छुपा न रह गया है ,, उन्हें भी पिताजी के द्वारा किए पक्षपाती बंटवारे का पता सब देख सुन कर हो गया है ,, अब राज प्रताप भानु और राग प्रताप भानु दोनों ही हवेली का बराबर का बंटवारा चाहते हैं ,कहते हैं कि आप सीधे थे तो सब सह गए मगर हम चुप न बैठने वाले हैं !! बंटवारा फिर से होगा और बराबर का होगा , वो दोनों पिताजी से अपनी बात रखना चाहते हैं ,, " शिव प्रताप भानु ने मायूसी से श्रीधन की तरफ देखकर फिर सिर झुकाकर कहा ।
" तो इसमें मायूस होने वाली क्या बात है शिव बाबू!! राज बाबू और राग बाबू सही कह रहे हैं ,आपके साथ बहुत अन्याय हुआ है और आप सह गए मगर ये नई पीढ़ी ,, इनके खून में बहुत उबाल होता है ,, ये अपना अधिकार ले कर रहेंगे और सही भी है ,, मैं तो कहता हूॅं कि सिर्फ़ हवेली में हिस्सा लेने से क्या ,,उन्हें तो जमीन में भी बराबर बंटवारा मालिक से करवाना चाहिए ,उनका अधिकार है।"श्रीधन ने कहा ।
"काका बात आप सही कह रहे हो मगर जमीन का बंटवारा कभी कभी रिश्तों के खून का प्यासा तक हो जाता है ,,,, दिव्यांश प्रताप भानु तो सीधा और सरल स्वभाव का है मगर दिवाकर प्रताप भानु और दिनकर प्रताप भानु बहुत तेज स्वभाव के हैं और दिव्य प्रताप भानु के बेटे हैं ,,वो आसानी से जमीन का बंटवारा भला हो जाने देंगे !! काका आपको तो सब बताता हूं ,आप सब जानते हो ,, " शिव प्रताप भानु ने कहा ।
इधर मानसी दनदनाती हुई हवेली के दरवाजे पर गई और फाटक पर खटखटाया । दिव्यांश प्रताप भानु ने आकर दरवाजा खोला तो मानसी को देखकर बहुत हर्ष के साथ बोला -"अरे मानसी ताई ,प्रणाम ,, आइए,,,,, आइए ना !!"
आवाज सुनकर कनक भीतर से बाहर आई तो मानसी को देखकर मुस्कुरा कर उसके चरण स्पर्श करते हुए बोली -" प्रणाम दीदी ,आइए पर जरा चप्पलें बाहर ही उतार दीजिए क्योंकि ..... मैं यहां बैठने न आई हूं तुम्हें सीधे व स्पष्ट शब्दों में कहने आई हूं कि मेरी शिवाली को अपनी नौकरानी समझने की भूल न करना , मेरी शिवाली से दूर ही रहना ,समझ गईं कि नहीं !! उसके भोलेपन का फायदा उठाने की आइंदा से जुर्रत भी न करना ,वरना तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा ।" मानसी ने कनक की बात पूरी होने से पहले ही अपनी बात कही और सीधे अपने घर की तरफ मुड़ ली ।
कनक मुस्कुराकर उसे जाते हुए देखती रही फिर अपना फाटक बंद कर लिया ।
सीधे-सीधे दिव्यांश प्रताप भानु का मन बहुत दुखी हो गया ये सोचकर कि क्यों रिश्तों में इतनी दूरियां व कड़वाहट लोग ले आते हैं !! सब मिलजुल पर स्नेह से साथ न रह सकते !!
दिव्यांश प्रताप भानु को दिव्य प्रताप भानु ने जुगाड़ लगाकर गैर सरकारी विद्यालय में शिक्षक के पद पर नौकरी करा दी थी तो वो अपने विद्यालय जाता- आता था , दिवाकर प्रताप भानु ने जीवन बीमा का कार्य करना प्रारंभ कर दिया था ।
अपनी मीठी जुबान चलाकर वो लोगों को बीमा की नई नई स्कीम बताकर उनके पूरे परिवार का बीमा करता था ।
धीरे-धीरे कर बीमा एजेंट के कार्य में उसने सबको पीछे छोड़ दिया था ।
दिनकर प्रताप भानु को ट्रांसपोर्ट कंपनी खुलवा दी थी और वो उसे बहुत अच्छी तरह संभाल रहा था ।
अब सूर्य प्रताप भानु रास्ता देख रहे थे कि शिव प्रताप भानु के दोनों बेटों राज प्रताप भानु और राग प्रताप भानु का बड़े होने के कारण पहले विवाह हो जाए तब दिव्य प्रताप भानु के बेटों दिव्यांश प्रताप भानु, दिवाकर प्रताप भानु और दिनकर प्रताप भानु का विवाह हो ।
शिव प्रताप भानु के दरवाजे पर लड़की वाले आने लगे थे ,पर शिव प्रताप भानु जब भी इस संबंध में राज प्रताप भानु से बात करता ,वो बात टाल देता था ।
एक दिवस शिव प्रताप भानु ने राज प्रताप भानु को बुलाकर पूछ ही लिया -" राज , तुम्हारे विवाह वाले आ रहे हैं और तुम हर बार टाल देते हो ,कोई विशेष वजह है !!"
राज प्रताप भानु ने पिता शिव प्रताप भानु के पास बैठते हुए कहा -" पिताजी मैं चाहता हूं कि पहले मेरी दो बहनों शिवन्या और शिवल्या का विवाह हो जाए फिर ही मैं विवाह करूं ,, क्योंकि यदि मैंने और राग प्रताप भानु ने पहले विवाह कर लिया तो बाद में जब शिवन्या और शिवल्या का विवाह करेंगे तो हमारी पत्नियों का पेट दुखेगा ,,, कि हाय जितना भी है पिताजी और भाई मिलकर अपनी क्रमश: बेटी व बहनों को ही दिए दे रहे हैं !! और ये मैं न चाहता हूं अत: पहले शिवन्या और शिवल्या का विवाह धूमधाम से कर दें फिर हम अपना विवाह करते रहेंगे।"
" तो फिर शिवन्या और शिवल्या के लिए ही वर खोजने का कार्य प्रारंभ किया जाए ।" शिव प्रताप भानु ने कहा ।
"नहीं पिताजी ,उसके पहले हवेली का बंटवारा होगा ,मैं और राग प्रताप भानु बाबा से इस संबंध में बात करने जाएंगे ,, उसके बाद आगे कुछ होगा ।" राज प्रताप भानु ने कहा।
शिव प्रताप भानु भी चाहता था कि हवेली का बंटवारा हो जाए तो सही है वरना कल को जब राज प्रताप भानु और राग प्रताप भानु की पत्नी आएंगी तो उनको देने के लिए कमरे न होंगे मगर वो अपने बेटों को बंटवारे के लिए उकसाना न चाहता था ।
राज प्रताप भानु ,राग प्रताप भानु के कक्ष में जाकर उससे इस संबंध में बात करने चला गया ।
मानसी शिव प्रताप भानु के पास आई और बोली ........शेष अगले भाग में।