हमारे संविधान ने आर्टिकल 19 के तहत अभिव्यक्ति की आजादी
दी है, ताकि हम बिना डरे अपनी बात रख सके, क्योंकि इस मौलिक अधिकार के साथ हम
सम्मानपूर्वक जीवन बिता सकते है। अगर आप सोशल मीडिया की सूचना के दौर को देखे तब
आपको महसूस होगा कि बहुत सारी सकारात्मक चीज़े हुई है आम लोगों को भी अपनी राय रखने
का मौका मिला है और जिन चीज़ो को परंपरागत मीडिया में जगह नहीं मिल पाती थी वो
सोशल मीडिया के द्वारा उजागर हो रही है, लेकिन अगर अखबारों से तुलना की जाए तब
प्रामाणिकता के मामले में अखबार सोशल मीडिया न्यूज़ या पोस्ट से कहीं आगे है, सारे
तथ्यों की जांच और आंकलन, पुष्टी करने के बाद ही अखबार में कोई खबर छापी जाती है, आज कल हर
कोई पोस्ट लिखकर शेयर कर रहा है बिना तथ्यों की जांच किए, याद रखिए अपने आप को
अभिव्यक्त कीजिए लेकिन जान लिजिए की कुछ ऐसा ना पोस्ट करे जिससे देश की अखंडता,
संप्रभुता को खतरा पहुंचे। धर्मिक हिंसा फैलाने या मानहानि करने वाली चीज़ो को पोस्ट
ना करे।
अधिकारों के साथ एक नागरिक होने के नाते अपने कर्तव्य याद रखना भी ज़रुरी है।
आज की पीढ़ी समस्या यही है कि पढ़ती बहुत कम है लेकिन अपने विचार अभिव्यक्त बहुत करती है।
अपना नॉलेज बढ़ाइए अखबारों के संपादकीय पढ़ेंगे तो आप पाएंगे कि कितनी सधी हुई भाषा और तर्कों के साथ लेखक अपनी बात रखते है बिना किसी की भावना आहत किए।
जिस विषय का हमें नॉलेज नहीं उस पर विचार रखना ज़रुरी नहीं सिर्फ इसलिए कि हमारे दोस्त या परिचित उस विषय पर बात कर रहे है।
सचमुच वाट्स अप और सोशल मीडिया के द्वारा होने वाली सूचना के आदान प्रदान पर फिर एक बार गंभीरता से सोचने की ज़रुरत है।