चंद्र की शुभ्र किरणें
ले रही विदा दुल्हन
की तरह.
रात्री की डोली में
बैठकर उन्हें
सूर्योदय के घर
जाना है.
तम तो प्रकाश
तक जाने का प्रतिदिन
का साधन है.
किंतु आज पिछले बरस को
सबको नवीन
वर्ष से मिलवाना
है.
शिल्पा रोंघे
31 दिसम्बर 2019
चंद्र की शुभ्र किरणें
ले रही विदा दुल्हन
की तरह.
रात्री की डोली में
बैठकर उन्हें
सूर्योदय के घर
जाना है.
तम तो प्रकाश
तक जाने का प्रतिदिन
का साधन है.
किंतु आज पिछले बरस को
सबको नवीन
वर्ष से मिलवाना
है.
शिल्पा रोंघे
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पत्रकार, लेखक, ब्लॉगर, कवि,
विभिन्न न्यूज चैनल में सबएडिटर के तौर पर काम करने का अनुभव और वेबमीडिया में फीचर लेखक के तौर काम किया है । फ्रीलांस लेखक के तौर पर कार्यरत । विभिन्न समाचार पत्र और पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन हुआ है । मास्टर्स इन जर्नलिज़्म ( एमसीआरपीवी )
पत्रकार, लेखक, ब्लॉगर, कवि,
विभिन्न न्यूज चैनल में सबएडिटर के तौर पर काम करने का अनुभव और वेबमीडिया में फीचर लेखक के तौर काम किया है । फ्रीलांस लेखक के तौर पर कार्यरत । विभिन्न समाचार पत्र और पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन हुआ है । मास्टर्स इन जर्नलिज़्म ( एमसीआरपीवी )