एक दौर था जब पुस्कालय में इतनी भीड़ लगी रहती थी कि पढ़ने के लिए अपनी बारी की इंतज़ार करना पड़ता था, कभी कभी कोई किताब इतनी लोकप्रिय होती थी कि अगर हम उसे खरीदने जाते तो उसकी प्रतियां भी खत्म हो चुकी रहती थी, क्योंकि अब बहुत सारे टीवी चैनल आ चुके है सोशल मीडिया का विस्तार हो चुका है ऐसे में बहुत कम लोग है जो किताब पढ़ने के लिए वक्त निकाल पाते है लेकिन बात अगर बुक रीडिंग की हो तो उसका स्थान कोई भी माध्यम नहीं ले सकता है उसका अपना एक महत्व आज भी है, अपने इस लेख के ज़रिए हम आपको किताब पढ़ने से होने वाले अनगिनत फायदे बताने वाले है।
इससे हमारी बुद्धि तेज होती है बात सिर्फ हमारी स्कूल और कॉलेज की किताबों तक सीमित नहीं है इसके अतिरिक्त वो किताबें भी हम पढ़नी चाहिए खासकर जिसमें हमारी रुची हो, ये उस विषय से संबंधित जानकारी बढ़ाने में मदद करती है।
कहानी, उपन्यास, कविता, संस्मरण, जीवनी, आत्मकथा, फिक्शन, नॉनफिक्शन हर इंसान की पुस्तक की अलग अलग पसंद हो सकती है, किताबें हमारी सोचने समझने की क्षमता को भी प्रभावित करती है, कठिन परिस्थितियों में किस तरह व्यवहार किया जाए, जिंदगी की उलझनों को सुलझाने का रहस्य भी ये अपने आप में समेटे हुए रहती है।
किताबें पढ़ने से किसी भी विषय के विश्लेषण करने की क्षमता में बढ़ोत्तरी होती है। अगर आप अच्छे वक्ता बनना चाहते है तो इसका रास्ता किताबों से होकर ही गुजरता है।
कुछ किताबें पढ़ने के पीछे हमारा उद्देश्य केवल मनोरंजन करना भी होता है, दिन भर की थकान और तनाव से निजात पाने के लिए रहस्य, रोमांच और ह्ल्के फुल्के मनोरंजन की किताबे काम आती है।
किताबें, जिस भी भाषा में आपकी रुची हो उसकी जानकारी में वृद्धि करती है आपकी शब्दावली को मजबूत बनाती है।
किताबें रचनात्मकता को नए आयाम देती है, जी हां किताबें पढ़ने वाले इंसान का रचनात्मक लेखन काफी अच्छा होता है।
किताब को पढ़ना हमारी एकाग्रता को बढ़ाता है है, साथ ही स्मरण शक्ति को तीव्र करता है। ये आपकी कल्पनाशीलता में वृद्धि करता है।
तो देखा आपने किताबें ना पढ़ने से आप कितने सारे फायदों से वंचित रह जाते है जो कि आपको होने चाहिए तो आज से ही किताब पढ़ने की आदत डाल ले, अगर आपके पास समय नहीं रहता को दिन का आधा घंटा तो आप निकाल ही सकते है ना। कभी कभी अपने आपको किसी एक विचार धारा का समर्थन करने वाली किताब तक सीमित ना रखे और अपनी सोच का दायरा विस्तृत करे, और एक सकारात्मक व्यक्तित्व गढ़ने में किताबों से बेहतर आपकी मदद कोई और नहीं कर सकता है और ये आपकी ऐसी मित्र बन सकती है जो बदले में आपसे कुछ नहीं चाहती है।