बात जब अपनी मातृभाषा के अलावा दूसरी भाषा को सीखने की आती है, तब लोग ज्यादातर अंग्रेजी और दूसरी विदेशी भाषा जैसे मंदारिन, रुसी, स्पेनिश, जापानी, जर्मन आदि सीखना पसंद करते है क्योंकि ये बाजार की मांग भी है साथ ही रोजगार के अवसर उपलब्ध कराती है ऐसे में इनके प्रति रुझान होना स्वाभाविक भी है। रही बात हिंदी या क्षेत्रीय भाषा सीखने की तो जिन्हें प्राथमिक स्तर पर भी इसका ज्ञान नहीं है उन्हें ये काम थोड़ा मुश्किल लग सकता है क्योंकि भले ही हम बोलते वक्त पचास या सौ शब्द सीख भी लें लेकिन इन्हें पढ़ना और समझना उतना आसान नहीं लगता है साथ इस काम में वक्त भी बहुत लगता है जो हर किसी के पास नहीं होता है। हालांकी जिनकी रुची बहुत सारी भाषा सीखने में है उन्होंने कठिन सी समझी जाने वाली भाषा भी सीखी है।
राष्ट्रीय स्तर पर बोली जाने वाली हिंदी और क्षेत्रीय मराठी इस मामले में बहनें लगती है जिन्हें समझना मुश्किल नहीं लगता है क्योंकि दोनों ही की लिपी देवनागरी है। यानि इनके एक दो वर्ण को छोड़ दिया जाए तो सभी वर्ण लगभग समान है।
बहुत से हिंदी भाषी जो सालों से महाराष्ट्र में रह रहे है वो अब मराठी बोलने और समझने लगे है साथ जिनकी शिक्षा भी यही हुई है वो मराठी लेखन में रुची लेने लगे और लिखने है। साथ ही जो मराठी भाषी हिंदी भाषी प्रदेशों में रहते है वो भी हिंदी को बेहतर तरीके से लिखने समझने लगे है। मराठी के मृत्युंजय, ययाति जैसे उपन्यास हिंदी में भी लोकप्रिय हुए है तो वहीं प्रेमचंद को भी महाराष्ट्र में पढ़ा गया है।
थोड़े बहुत परिवर्तन के साथ बहुत से या जस के तस कई ऐसे शब्द है जो दोनों भाषाओं में समान है, लेकिन मात्राओं के मामले ये कह सकते है इन भाषाओं में आप थोड़ा उलझन में पड़ सकते है तब आपको लिखना थोड़ा कठिन लग सकता है लेकिन बोलचाल के लायक और समझने की योग्यता थोड़े बहुत प्रयास से हासिल की जा सकती है चाहे वो हिंदी बोलने वालों के लिए मराठी हो या मराठी बोलने वाले के लिए हिंदी हो। इंटरनेट पर आपको भाषा सीखाने वाले वीडियो और साईट्स मिल जाएगी।