मधुमिता और स्मिता बहुत अच्छी सहेलियां थी। दोनों में खूब जमती थी।
एक दिन मधुमिता ने स्मिता के को एक प्रोफेशनली क्वालिफाइ़ड, सुंदर और सुशील लड़के की तस्वीर दिखाई।
तभी स्मिता के चेहरे पर उदासी आ गई वो कहने लगी “हां तुम फोटोजनिक हो ना, तुम्हारे फोटो देखकर ही तुम्हें लोग पसंद कर लेते होंगे ना।’’
मधुमिता ने कहा “स्मिता मैं भी ठीक-ठाक दिखने वाली लड़की हूं, तुम्हारे जैसी सुंदर और गोरी लड़की के मन में ये विचार क्यों आ गया? ’’
“यार मुझे तो एक भी लड़का पसंद नहीं आया, ना मुझे किसी ने अभी पसंद किया।’’ स्मिता ने कहा ।
मधुमिता ने कहा “हम चाहे कितने ही योग्य क्यों ना हो, हम सबको पसंद आए ऐसा ज़रुरी नहीं है, इसका अर्थ ये नहीं है कि किसी के पसंद करने या ना करने से हमारे योग्यता तय होती है।हमें ना और हां दोनों ही चीज़ें सुनने के लिए तैयार रहना चाहिए और ये शब्द खुद भी कहने में झिझक महसूस नहीं करना चाहिए।’’
“बहुत आसान है, पहले मुझे तुम अपनी जगह रखकर देखो।’’ स्मिता ने कहा।
“हां, तुमको ही रखा है, उस लड़के को तुम्हारी तस्वीर भेज दी है जो तुमने मुझे दी थी और उसने तुमको पसंद भी कर लिया है और तुमसे मिलना भी चाहता है। अगर तुमको पसंद हो तो बात आगे बढ़ाती हूं।’’
“और तुम्हारे लिए ?”
“मेरी चिंता मत करो, शायद वो तुम्हारे लिए ही बना हो, तुमको तो पता है कि मुझे बड़ी देर लगती है किसी को पसंद करने में, मुझे समझना हर किसी के बस की बात नहीं हैं।’’
स्मिता को लगा सचमुच कयास लगाना कितना गलत होता है, जब कोई सचमुच आपके बारे में अच्छा सोच रहा हो उस इंसान के बारे में। ये अच्छी खासी दोस्ती में दरार डाल सकता हैं। स्मिता ने हल्की सी मुस्कान के साथ मधुमिता को गले लगा लिया।
शिल्पा रोंघे
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