हमें अक्सर सोसाइटी में ये बातें सुनने की मिलती है कि कोई लड़की एकदम सीधी साधी जिसकी सिर्फ पढ़ाई या अपने घर परिवार या करियर में ही रूची है वो अपने से बिल्कुल विपरीत व्यक्तित्व वाले लड़के से शादी कर लेती है। कभी कभी विपरीत स्वभाव के बावजूद उनका वैवाहिक जीवन खुशहाल चलता रहता है तो कभी कभी बात बिगड़ भी जाती है तब लोग लड़की की पसंद और फैसले पर बिना सोचे समझे सवाल उठाने लगते है और दोष देने लगते है। अपने इस लेख के ज़रिए उन कारणों को उठाने वाले है कि जिस वजह से वो अपना इस तरह का चुनाव कर बैठती है।
ज्यादातर अपनी पढ़ाई लिखाई और करियर पर ध्यान देने वाली लड़कियां अपने लुक्स को ज्यादा महत्व नहीं देती है बिल्कुल सिंपल रहती है साथ ही बात भी कम करती है, उन्हीं की तरह के स्वाभाव वाले लड़के उनसे अपने दिल की बात कहने से डरते है या फिर उन्हें ये लगता है कि अगर उन्हें रिजेक्शन झेलना पड़ा तब क्या होगा।
ज्यादातर शांत
स्वभाव वाले लड़के अपने माता पिता, रिश्तेदार इस बारे में बहुत सोचते है और कोई भी
फैसला करने से पहले उनकी राय को बहुत महत्व देते है और अपनी भावनाएं जाहिर नहीं कर
पाते है।
कुछ लड़के पढ़ाई लिखाई और करियर में इतने बिज़ी रहते है कि इमोशनल रिश्तों की उनकी ज़िंदगी में कोई ज़गह नहीं रहती है और वो रिश्तों को भी प्रोफेशनली लेने लगते है इन कसौटियों पर कसने के बाद ही वो किसी को अपनी ज़िंदगी का हिस्सा बनाना चाहते है, इसलिए सीधी साधी लड़कियों से वो शादी करने का फैसला वो जल्दबाजी में नहीं करना चाहते है क्योंकि वो मानते है की ज़िंदगी सिर्फ इमोशन्स से नहीं चलती है इंसान को कुछ हद तक चालाक भी होना चाहिए।
कुछ लड़कें स्मार्ट लड़कियों को ही पसंद करते है जो ना सिर्फ अपने लुक्स पर ध्यान दे बल्कि फैशन का भी सेन्स अच्छा हो, क्योंकि कुछ लड़के सिंपल की बजाए लक्ज़री वाली लाइफ़स्टाइल पसंद करते है। वो ये सोचते है कि जैसी उनके दोस्तों की लाइफ है वैसी ही लाइफ़ होनी चाहिए।
अब इतनी बातें सुनने
के बाद लड़कियों की रूची भी अपने जैसे स्वभाव वाले लड़कों में नहीं रह जाती है। कहीं
ना कहीं हमारी सोसाइटी में लोग लड़कियों को एडजेस्ट करने को कहते है या उनमें ही
खोट निकालना शुरू कर देते है।
इस मामले में महिलाएं भी पीछे नहीं है अक्सर वो भी हमारे पितृसत्तामक समाज वाली सोच का समर्थन करने लगती है और कहने लगती है बर्दाश्त करना तालमेल बैठाना और अपने अपेक्षाओं को खत्म करना लेना औरतों का ही काम है। ऐसे में भोली भाली लड़कियों को लगने लगता है कि उनके अच्छे व्यवहार और संस्कारों के बावजूद ना तो पुरूष उनका साथ देता है ना समाज और तो और माता पिता भी सामाजिक बंधनों के आगे झुक जाते है। ऐसे में उनकी लाईफ में आए तेज तर्रार लड़कों से ही वो नई उम्मीद बांध लेती है। कहते भी है तो कि विपरीत व्यक्तित्व वाले एक दूसरे को आकर्षित करते है। जिन्हें दुनिया तेज तर्रार कहती है ऐसे लड़के अपने फैसले खुद लेना पसंद करते है वो किसी के आगे झुकना पसंद नहीं करते है ना समाज को दिखाने के लिए अपनी इच्छाओं का गला घोंटते है, ना ही भविष्य को लेकर चिंतित होते है, इनकी निर्णयशक्ति भी तेज होती है, अगर लड़की हां कह दे तो ये भी फैसला लेने में देर नहीं करते है अगर ना कह दे तो कुछ दिन इंतज़ार करने के बाद अपना वक्त बर्बाद ना करने में ही भलाई समझते है और अपना रास्ता बदल लेते है और किसी और की तलाश में जुट जाते है।
तो किसी भी लड़की की पसंद पर सवाल उठाने से पहले ये ज़रूर सोचना चाहिए कि वो किन हालातों से गुजरी है रिश्तें जुए के खेल की तरह होते है कभी कामयाब हो जाते है तो कभी नाकामयाब चाहे कितना भी संभाल लो।
हम अपने लेख के ज़रिए कौन अच्छा है कौन बुरा है ये फैसला नहीं करना चाहते है बस एक सामान्य नज़रिए को पेश करने की कोशिश हमने की है।