हुई सभा एक दिन गुड्डे गुड़ियों की.
गुड़िया बोली,
मैं सुंदरता की पुड़िया
मुझसे ना कोई बढ़िया.
इतने में आया गुड्डा
पहन के लाल चोला,
कितनों का घमंड है मैंने तोड़ा.
बीच में उचका काठी का घोड़ा
अरे चुप हो जाओ तुम थोड़ा.
मैंने ही हवा का रुख़ है मोड़ा.
लट्टू घूमा, कुछ झूमा.
बोला लड़ों ना गिरो ना,
ज़रा संभलों
सभी हो एक से बढ़कर एक.
बच्चों का मन बहलाए वही
कहलाता है खिलौना.
ना जादू ना टोना, ना सोना
दिल की बात बचाए बच्चा जब सामने हो कोई
खिलौना.
शिल्पा रोंघे