“क्या कर रही हो शैलजा ? ’’ नानी ने पूछा।
“मैं इस गुड्डें और गुड़ियां की शादी कर रही हूं।‘’
“अच्छा करों।’’
“शादी -शादी खेल रही हूं।आज मेरी दोस्त नहीं आई ना, नहीं तो मैं उसके साथ ही बाहर खेलने जाती हूं, तो आज सोचा कि घर पर अकेले ही खेल लेती हूं।’’
शैलजा 10 साल की थी तब से वो इन गुड्डे –गुडियों से खेला करती थी।जब वो 20 साल की थी तब फिर एक बार अपनी नानी के घर पहुंची और बोली वो “गुड़िया कहां है जिससे मैं खेला करती थी।’’
“ऐसी एक नहीं अनेक गुड़ियां और गुड्डें है, पूरी अलमारी भरी पड़ी हुई है। ये देखो।’’ नानी ने कहा।
“किसने बनाई?” शैलजा ने कहा।
“ये मेरी मौसी ने बनाई थी। 12 साल की थी वो जब उसका ब्याह हुआ था,
बच्ची थी, उस वक्त बाल विवाह प्रचलन में था, तो जल्दी उसका ब्याह हो गया था
उसकी बिदाई भी नहीं हुई थी कि उसके 15 साल के पति की बुखार से मौत हो गई।’’ नानी ने कहा।
“तो फिर उसका पुनर्विवाह नहीं हुआ।’’ शैलजा ने पूछा।
“नहीं तब ये चलन में नहीं था, तब तो विधवा महिला को रंगीन कपड़ें भी पहनने को मिलते नहीं थे, सफेद साड़ी पहननी पड़ती थी और लंबे बाल भी नहीं रख सकती थी वो, ताकी कोई उसकी तरफ आकर्षित ना हो।’’
“ये तो गलत बात है।’’ शैलजा ने कहा।
“घर का काम खत्म करने के बाद जितना वक्त बचता था, उसमें वो मिट्टी के गुड्डें और गुड़िया बनाया करती थी।
करीब 500 गुड्डें और गुड़िया बना चुकी थी वो, जिसे उसने सारे रिश्तेदारों को उपहार में दे दिया।
अब तो वक्त काफी बदल चुका है, अब तो काफी आजादी है महिलाओं को।’’ नानी ने कहा।
“पूरी तरह से अभी भी बदलाव नहीं आया है, आज भी लोग एक महिला के पुनर्विवाह को लेकर सवाल उठाते है।’’ शैलजा ने कहा।
“चलो कुछ खाते है, तुम तो बहुत गहराई वाली बातें करने लगी, चलो मुझे एक कप चाय बनाकर दो।’’ नानी ने कहा।
“हां देती हूं, लेकिन इस बार गुड़िया साथ लेकर जाउंगी गुड्डें और गुड़िया के खेल में बहुत मजा आता है मुझे।
एक बार फिर उनकी शादी करवाउंगी।’’ शैलजा ने कहा।
“अगली बार तुम आओगी, तो बड़ों की तरह व्यवहार करोगी, ऐसी उम्मीद रख सकती हूं ना मैं तुमसे ? नानी ने पूछा।
"हां रख सकती हो लेकिन नारी मुक्ति पर लिखे मेरे भाषण के लिए तैयार रहना।’’ शैलजा ने कहा।
“अरे हां बाबा भाषण क्या तुम तो पूरी किताब ही लिख डालो।’’ नानी ने कहा।
ऐसा कहकर दोनों धीमे से एक दूसरे की तरफ देखकर मुस्कुराई।
शिल्पा रोंघे
© सर्वाधिकार सुरक्षित, कहानी के सभी पात्र काल्पनिक है जिसका जीवित या मृत व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है।