हायकु जापानी की वह कविता होती है जिसमें 5-7-5 वाला फार्मूला लागू होता है। इसका मतलब है पहली लाईन में 5 दूसरी लाईन में 7 और तीसरी लाईन में 5 वर्ण होते है। इस शैली का अनुकरण हिंदी में भी किया जाता है। कहने को तो ये बहुत छोटी सी कविता होती है लेकिन खुद में एक संदेश समेटे रहती है। कभी कभी आखिरी वाक्य पहले वाक्य से बिल्कुल उलट होता है और बीच का वाक्य दोनों वाक्यों के बीच सेतु की तरह कार्य करता है। ज्यादातर जापान में इनका विषय प्रकृति होता है। मैंने भी कुछ हायकु लिखे है जिन्हें आप पढ़ सकते है।
हायकु
अहसास है,
अहसान नहीं है
प्रीति मन की।
हायकु कविता
उबला
नहीं
गर्म
दिनों में पानी,
सूखा
तालाब।
हायकु कविता
बिना
कारण
बैर
नहीं रखना।
प्रीति
करना।
शिल्पा रोंघे