
दीपों के त्यौहार पर पेश है जगमगाती काव्यांजलि-
कविता- दीपों की माला
इस दीवाली हम मिट्टी के
दीये जलाएंगें।
जिससे
ना सिर्फ हमारे
बल्कि
उन्हें बनाने
वालों
के घर में भी खुशी के
उजियारे
आएंगें।
शिल्पा रोंघे
कविता- दीपों का त्यौहार
दीपों
की माला जगमगा रही है द्वार पर।
बिंदूओं
से बनीं रंगोली सजी है द्वार पर।
फूलों
और पत्तों के तोरण बंधे है द्वार पर।
ऐश्वर्य
और सौभाग्य की देवी का होगा
आगमन
हर घर पर।
होगा
दूर अंधकार कुछ यूं मनेगा उजाले
का
पर्व दीवाली हमारे और तुम्हारे घर
पर।
शिल्पा रोंघे
कविता- दीपक की रोशनी
सुनो दीपक
दीपावली पर ना सिर्फ
मेरी चौखट पर जगमगाना
बल्कि सारे संसार का
तम दूर करना।
शिल्पा रोंघे
