कुछ लोग कहते है कि कुछ चीजे हमारे वश में नहीं होती है जैसे जन्म मृत्यु, विवाह और रिश्ते और जो कार्य हम चुनते है वो भी कभी कभी हमारा भाग्य ही तय करता है ये बात पूरी तरह गलत नहीं है कि ये हम खुद नहीं चुनते है कि हमें किस देश या परिवार में जन्म लेना है सबसे ख़ास बात हम ये नहीं जान सकते है कि हमारी आयु कितनी लंबी है, तो फिर क्या भाग्य के भरोसे बैठ जाना सही है तो इसका जवाब हम इस तरह देना चाहेंगे कि ज़िंदगी में कर्म किये बिना कुछ भी नहीं मिलता है। हो सकता है कि आपको अपने प्रयासों में बार बार असफलता या फिर निराशा का सामना भी करना पड़े लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि आप प्रयास करना ही बंद कर दे। सबसे पहले आप अपनी सफलता का पैमाना खुद तय कीजिए। दौलत कमाना अगर आपका लक्ष्य है तो कोई गलत बात नहीं क्योंकि जीवन चलाने के लिए पैसों के महत्व को नकारा नहीं जा सकता है लेकिन ध्यान रखे कि इसे कमाने के लिए शार्टकट ना अपनाएं क्योंकि जैसा आप कर्म करते है वैसा परिणाम भी होता है, अगर आपके जीवन में मूलभूत सुविधाएं है लेकिन अगर बहुत अमीर ना भी बन पाए तो फ़िक्र की कोई बात नहीं है।
कुछ लोग नाम कमाना चाहते है और इसमें सफल भी हो जाते है अगर सही रास्ते पर चलते हुए, बिना किसीके के अधिकार ना छिनते हुए वो ऐसा करते है तो इसमें कोई गलत बात नहीं है, हर किसी को अपनी ज़िंदगी के बारे में सोचने का अधिकार है।
कुछ लोग ना नाम की चाह रखते है ना पैसों की वो बस आत्मसंतुष्टी के लिए काम करना चाहते है तो वो भी गलत नहीं दुनिया को दिखाने के लिए हमें खुश नहीं होना चाहिए क्योंकि खुशियों का दरवाजा हमारे मन के भीतर से होकर जाता है।
आप अपने उद्देश्य के लिए किसी खास अवसर का इंतज़ार ना करे और अपने काम में लगे रहिए आप खुद ही सोचिए क्या बिना परीक्षा दिए उसमें सफल हुआ जा सकता है क्या ? या सिर्फ नक्शा हाथ में होने से मंजिल तो नहीं पाई जा सकती है उसके लिए सफर तो करना ही पड़ता है।
कर्म करने से ज्यादा से ज्यादा बुरा क्या होगा कि आप असफल हो जाएंगे इससे बुरा तो कुछ नहीं हो सकता है लेकिन आपको ये मलाल तो नहीं रहेगा कि आपने कुछ किया ही नहीं है।
अगर आपका स्वास्थ खराब है तो चिंतित होने की आवश्यकता नहीं आप व्यायाम और सतुंलित आहार से उसे नियंत्रण में रख सकते है।
किसी विषय में कमजोर है तो उससे संबंधित शिक्षक को ढूंढ कर उन कमियों को दूर सकते है या जिस विषय में आपकी रुचि है उसे चुन सकते है।
“असफलताओं की चिंता बिल्कुल मत करो वो स्वाभिवक है। वे जीवन का सौंदर्य हैं। यदि तुम एक हजार बार असफल होते हो तो भी एक बार फिर प्रयत्न करों”
स्वामी विवेकानंद के शब्द आज भी प्रासंगिक है और युवा पीढ़ी को कर्म का महत्व सिखलाते है।
जब हम जमीन में पानी की तलाश करते है तो सभी जगह पानी नहीं मिलता है लेकिन उसकी खोज तो करनी पड़ती है और किसी एक जगह से पानी निकल भी आता है इस तरह कभी कभी एक प्रयास असफल हो जाता है तो दूसरा प्रयास सफल भी हो जाता है।