हे नारी! तेरे रूप अनेक,
तू सृष्टि का आधार है एक,
माँ बनकर तू सृष्टि चलाती,
मानवता पर उपकार कर जाती।
पत्नी बन परिवार चलाती,
बेटी बन दुलार दिखलाती,
बहू रूप में आदर्श हो जाती,
उस घर को है स्वर्ग बनाती।
बहना बनकर है स्नेह दिखातीं,
बनकर बुआ अधिकार जमातीं,
यदि घर में कुछ बिगड़ है जाता,
फ़ौरन उसका समाधान ले आतीं।
चाची चुन चुन खुशियाँ देतीं,
ताई बनकर वो रिश्ते बुनतीं,
घर आये मेहमान का स्वागत,
वो दोनों दिल खोलकर करतीं।
साली करती हँसी ठिठोली,
सासू माँ बन जाती भोली,
बेटी को रिश्ते समझा कर,
उसे सर्वगुण सम्पन्न बनातीं।
मौसी बनकर प्यार दिखातीं,
मामी बनकर लाड़ जतातीं,
जब नानी के रूप में आतीं,
हर ख्वाहिश पूरी कर जातीं।
दादी बन कर ज्ञान सिखातीं,
दुनियाँ की हर रीत बतातीं,
हे नारी! बिन तेरे यह जग है अधूरा,
कोई नहीं कर सकता पूरा।
*अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं...💐💐💐*
©प्रदीप त्रिपाठी "दीप"
ग्वालियर