ऐ जाते हुए साल!
छोड़ गया तू कई सवाल,
मत भुलाना तुम मुझे यादों में,
मैं भी याद रखूंगा तुझे ख्वाबों में।
मेरी हर खुशी हर ग़म का,
पहरेदार रहा है तू ,
तेरे हर पल में,
बसी है मेरी खुशबू।
बहुत कुछ खोया तो,
बहुत कुछ पाया है तेरी संगत में,
और इक साल में बहुत कुछ,
परिवर्तन आया है मेरी रंगत में।
मिले जो कभी भविष्य में,
कभी किसी घटनाक्रम में,
तो बैठकर खोलेंगे यादों का पिटारा,
कभी हँसेंगे तो कभी रोएंगे किसी गम में।
ये तो प्रकृति का नियम है,
जो आता है, वो जाता है इस जग से,
जाने वाले के स्थान पर नया आता है,
पर जाने वाला अपने निशाँ छोड़ जाता है।
तू भी रात बारह बजे के बाद,
भूत हो जाएगा,
सुबह जब नींद खुलेगी तो,
उम्मीदों का भविष्य जगमगाएगा।
*आप सभी को नव वर्ष की मंगलमय शुभकामनाएं!!*
© प्रदीप त्रिपाठी "दीप"
ग्वालियर