निश्चय ही किसान देश का कर्णधार है,
निःसंदेह वो भारत का सबल आधार है,
अथक परिश्रम करके करता वो अन्न बौछार है,
माना उसका देश पर बहुत उपकार है।
किसानों की समस्या सुनना सरकार का सरोकार है,
हर समस्या का समाधान हो ऐसा इंतज़ार है,
मिलेगा फसल का उचित मूल्य ऐसा ऐतबार है,
समृद्ध होगा हर किसान ऐसा दृढ़ विचार है।
पर क्या किसान केवल यूपी पँजाब में बसते हैं,
जन साधारण हो परेशान ऐसा उपक्रम क्यों करते हैं,
जमाकर डेरा सड़कों पर हुड़दंग बहुत वो करते हैं,
जनता की सुविधा का ख्याल किंचित नहीं वो रखते हैं।
बड़ा कष्ट होता है जब तोड़फोड़ वो करते हैं,
देश की शान तिरंगे की अपमान से नहीं हिचकते हैं,
अपने सर पर पहन कर सुसज्जित साफा वो,
भारत माँ की पगड़ी का सम्मान नहीं वो करते हैं।
नहीं वो किसान नहीं हो सकते हैं,
न उन्हें हम भारत माँ का सपूत कह सकते हैं,
निश्चित ही कृषक भेष को धारण कर,
हर किसान का अपमान और देशद्रोह वो करते हैं।
©प्रदीप त्रिपाठी "दीप"
ग्वालियर(म.प्र)🇮🇳