हास्य कविता -ऑपरेशन पत्नी - सेवा
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जब -जब होता पेट -दर्द ,पत्नी मुझ पर झल्लाती थी |
जाँच पेट की करवाने खातिर ,डांट बहुत पिलाती थी ||
डॉक्टर की सलाह पर जब ,जाँच पेट की करवायी |
तिल्ले में पत्थरी होने की ,तब बात सामने थी आयी ||
यह जानकार मेरा चेहरा ,चिन्ता से मायूस हो गया |
होने वाले ऑपरेशन की ,चिन्ताओं में खो गया ||
ऑपरेशन की सलाह पाकर ,चेहरा उसका खिल उठा |
जाना उसकी ख़ुशी का कारण ,वाकई जो था बहुत अनूठा ||
मेरी मायूसी देखकर ,पत्नी झूम कर बोली |
ऊँट आया पहाड़ तले,ओ मेरे हमजोली ||
तुम से सेवा करवाने का ,अब आनन्द मुझे मिलेगा |
ऑपरेशन पत्नी -सेवा से ,दिल मेरा खिलेगा ||