@@@@ अन्धविश्वास का अन्धेरा @@@@
**************************************************
दुर्घटना में पलट गयी थी ,एक मारुती कार |
उस काली कार में , मेरा साथी था सवार ||
साथी के एक हाथ में ,गहरी चोट थी आयी |
पास के हॉस्पिटल से उसने,पट्टी थी करवायी ||
शाम को वो साथी घर पर,प्रसाद लेकर आया |
और दुर्घटना में बच जाने का, किस्सा मुझे सुनाया ||
मैं बोला ,मरने से बच गये,यह तो अच्छी बात है |
पर इसमें प्रसाद चढाने की,कौन सी ऐसी बात है ?|
वह बोला,भक्ति-भाव से ,भगवान ने मुझे बचाया है |
इसी ख़ुशी में मैंने आज,सवा मण प्रसाद चढ़ाया है ||
मैं बोला रक्षक था भगवान अगर तो, टक्कर ही क्यों होने दी ?
तुम जैसे भक्त वीर को , इतनी पीड़ा भी क्यों कर दी ? |
तब साथी बोला दुर्गेश तुम, भगवान के पीछे क्यों पड़े हो ?
मैं बोला क्यों कि तुम ,भ्रम को सच समझने पर अड़े हो ||
************************************************************